Almond Farming: कैसे तैयार किया जाता है हाई डेंसिटी बादाम? कश्मीर के बादाम किसानों को मिलेगी राहत

कश्मीर में होने वाले बादाम में सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी पुलवामा के किसानों की है। भारत में होने वाले कुल 10 हज़ार टन बादाम में से 60 प्रतिशत से ज़्यादा तो यही ज़िला पैदा करता है। बादाम की मांग ऐसी बढ़ी है कि भारत को दूसरे देशों से इसे आयात करना पड़ता है। अब कश्मीर में हाई डेंसिटी बादाम की खेती पर ज़ोर दिया जा रहा है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा किसान बादाम की खेती से जुड़ें।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती

ज़बरदस्त संकट का सामना कर रहे कश्मीर के बादाम किसानों के लिए अब उम्मीद की नई किरण दिखाई देने लगी है। नब्बे के दशक से यहां घट रहे बादाम बागानों के रकबे को बढ़ाने के लिए कवायद तेज़ हो गई है। अब कश्मीर में बादाम की ऐसी पौध विकसित की जा रही है, जो किसानों में बादाम को लेकर घटे रुझान में यु टर्न लाने की क्षमता रखती है। ये हाई डेंसिटी वाली बादाम की किस्म है, जिसे किसानों तक पहुँचने में अभी दो साल तो लग ही सकते हैं।

भारत में बादाम की कुल पैदावार 10 हज़ार टन का तकरीबन 90 प्रतिशत हिस्सा मुख्य तौर पर कश्मीर के पुलवामा और बडगाम में ही होता है, लेकिन तीन दशकों से यहां के किसानों ने बादाम में दिलचस्पी लेनी कम कर दी है। बीते तीन चार साल में तो यहां के किसान अपने पुश्तैनी बादाम बागों को उजाड़कर उनमे सेब लगाना पसंद कर रहे हैं। उनके ऐसा करने के पीछे सबसा बड़ा कारण बादाम उगाने में लगातार कम होता मुनाफ़ा है। उनके पास सेब के तौर पर आमदनी का एक अच्छा विकल्प मौजूद है। इसलिए भी वे बादाम को अपनी प्राथमिकता वाली सूची से हटा चुके हैं। अब तक जम्मू कश्मीर का पूरा सिस्टम बादाम की अपेक्षा सेब के उत्पादन को तरजीह और तरह तरह से मजबूती देता रहा है इसलिए भी किसानों का बादाम से मोहभंग और सेब से जुड़ाव हुआ।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती
तस्वीर साभार: immediate

लगातार बढ़ रही बादाम की खपत

अब भारत में बादाम की खपत लगातार बढ़ रही है और इस ज़रुरत को पूरा करने के लिए अन्य मुल्कों से बड़ी मात्रा में बादाम आयात किया जा रहा है। 2019 में भारत ने अकेले अमेरिका से ही 62 करोड़ डॉलर से भी ज़्यादा मूल्य का बादाम खरीदा था। कुछ देशों से भी बादाम भारत लाया गया। आबादी में सामान्य वृद्धि और कोविड-19 संक्रमण की वैश्विक महामारी के बाद लोगों में फल और ख़ासतौर से ड्राई फ्रूट खाने के प्रति रुझान में आए बदलाव से बादाम की मांग भी बढ़ी है। लिहाज़ा अब घरेलू बादाम की अहमियत का अहसास सबको होने लगा है, जो खाने में विदेशी से आयात होने वाले बादाम के मुकाबले ज्यादा स्वाद भरा, खुशबूदार और गुणकारी है। बावजूद इसके भारतीय बादाम का बाज़ार कम होता जा रहा है क्योंकि वो रंग रूप में पिछड़ने के कारण व्यापारियों और उपभोक्ताओं को उतना आकर्षित नहीं कर पाता, जितना अमेरिका की सेन्ट्रल कैलिफोर्निया वैली से आया बादाम करता है। इसकी गिरी लम्बी और आकर्षक रंग वाली होती है।

कश्मीर में उगाए जाने वाले बादाम के पेड़ों में वंशानुगत बीमारी और ग्लोबल वार्मिंग से मौसम में आए बदलाव के कारण फसल कम हो रही है। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि जिस मौसम में बादाम के पेड़ पर फूल आता है, उन दिनों में ही बरसात और तापमान में गिरावट आती है। लिहाज़ा काफ़ी फूल झड़ जाते हैं या मुरझा जाते हैं। जब फूल ही झड जाएगा तो फसल की पैदावार में कमी आना लाज़मी है। पिछले कुछ साल से ये ट्रेंड लगातार देखा जा रहा है। यही नहीं किसानों की एक समस्या ये भी है एक सीज़न में अच्छी पैदावार होती है तो उसके अगले साल बेहद कम बादाम लगते हैं। कभी कभी अच्छी फसल के बीच दो साल का फासला आ जाता है। पुलवामा के मुख्य बागवानी अधिकारी जावेद अहमद बताते हैं कि यहां बादाम के 90 प्रतिशत पुराने पेड़ परम्परगत तरीके से बीज बोकर तैयार की गई पौध से बने हैं। धीरे-धीरे इनमें वंशानुगत कमी आती गई, लिहाज़ा इनके फसल देने की क्षमता में भी कमी आई। केमिकलयुक्त कीटनाशक और खाद के ज़्यादा इस्तेमाल ने भी मिटटी को उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुँचाया। उस पर मौसम की मार और बाज़ार में विदेशी बादाम से कम्पीटीशन ने बादाम किसानों की आमदनी को प्रभावित किया।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती
पुलवामा के मुख्य बागवानी अधिकारी जावेद अहमद

Almond Farming: कैसे तैयार किया जाता है हाई डेंसिटी बादाम? कश्मीर के बादाम किसानों को मिलेगी राहत

हाई डेंसिटी बादाम की खेती पर दिया जा रहा है ज़ोर

बागवानी करने वाले किसानों को अब पौध बनाने, लगाने से लेकर फसल की देखभाल के आधुनिक तौर तरीके अपनाने के लिए जागरूक किए जाने की ज़रुरत है। इसकी कवायद की जा रही है लेकिन इसे और प्रभावी करने की ज़रुरत है। खुद अधिकारी भी ऐसा मानते हैं और इस दिशा में नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। वहीं अब घरेलू बादाम के बीज से उगे पौधे में दूसरी किस्म के बादाम के पेड़ की कलम ग्राफ्ट करके ऐसे पौधे बनाए जा रहे हैं जिनमें देशी-विदेशी दोनों बादाम के गुण हैं। इससे वंशानुगत बीमारियों से बचाव होगा। इस काम में लगे अधिकारी मोहम्मद शफ़ी डार ने बताया कि ग्राफ्टिंग के लिए किसानों को बागवानी विभाग प्रशिक्षण भी देता है। साथ ही इसमें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को बढ़ावा दिया जा रहा है। बादाम की नई पौध लगाने के लिए निजी नर्सरी वालों से भी तालमेल किया जाता है और किसानों को समझाया जाता है कि उनसे पौध खरीदें। राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी पहले इस दिशा में आड़े आती रही है, लेकिन 2016 में  इस दिशा में कुछ पहल की गई। उसी को आधार बनाकर हाल के वर्षों में फिर से काम शुरु हुआ है, जिसने अब तेज़ी पकड़नी शुरू की है। सरकार ने भी इस काम में निवेश को बढ़ावा दिया है।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती
मोहम्मद शफ़ी डार

किसानों के लिए जारी की जाती कृषि से संबंधित पुस्तकें

कश्मीर में बागवानी विभाग किसानों के लिए हर साल एक पुस्तक जारी करता है जिसमें किसानों को उस साल होने वाले मौसम में सम्भावित परिवर्तन और उसके प्रभाव से अपने पौधों व फसल को बचाने के तरीके बताए जाते हैं। बागवानी सुचना एवं प्रकाशन शाखा की तरफ से हॉर्टिकल्चर प्लांट प्रोटेक्शन एडवाइजरी (Plant Protection Advisory) अंग्रेज़ी और उर्दू भाषा में छापी जाती है। इसमें किसानों को ये तक बताया जाता है कि किस किस्म की फसल को कब खाद पानी देना है। कब-कब, किन-किन कीटनाशकों का कितनी मात्रा में छिडकाव करना है और इनकी खरीद कहां से की जा सकती है, ये तमाम जानकारियां इस छोटी सी पुस्तिका में हैं। इस पुस्तिका को किसान अपनी फसल के रिकॉर्ड या रिपोर्ट कार्ड की तरह इस्तेमाल करते हैं। कृषि वैज्ञानिक के पास जब किसान अपनी फसल से जुड़ी किसी समस्या को लेकर आता है तो विज्ञानी इस पुस्तिका पर समस्या का ब्यौरा दर्ज करता है साथ ही उसमें समाधान भी लिख कर देता है। मोहम्मद शफ़ी डार ने बताया कि इस पुस्तक की उपयोगिता के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इस साल तीन लाख प्लांट प्रोटेक्शन एडवाइजरी पुस्तक छपी थीं।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती

Almond Farming: कैसे तैयार किया जाता है हाई डेंसिटी बादाम? कश्मीर के बादाम किसानों को मिलेगी राहत

कश्मीर में होने वाले बादाम में सबसे ज़्यादा हिस्सेदारी पुलवामा के किसानों की है। भारत में होने वाले कुल 10 हज़ार टन बादाम में से 60 प्रतिशत से ज़्यादा तो यही ज़िला पैदा करता है। खराब हालात और बादाम के पेड़ों की कटाई के रुझान के बावजूद पुलवामा में वित्त वर्ष 2021-22 में 6468 टन बादाम की पैदावार हुई है। यहां के मुख्य बागवानी अधिकारी जावेद अहमद ने बताया कि बादाम की नस्ल सुधारने में अब तेज़ी से काम किया जा रहा है। हाई डेंसिटी सेब की तरह हाई डेंसिटी बादाम की एक किस्म भी तैयार की जा रही है, जो कश्मीर की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से उपयुक्त है। यहां की घरेलू किस्म से विदेशी किस्म को मिलाकर बादाम की एक ऐसी किस्म तैयार की गई है, जिसमें फूल खिलने की प्रक्रिया (Flower Blooming) पहले के मुकाबले थोड़ी देर से शुरू होगी, यानी जब फूल खिलेगा तब तक मौसम उसके कायम रखने के अनुकूल होगा। मतलब कि खराब मौसम निकलने के बाद ही बादाम के पेड़ पर फूल आएंगे। इससे उस पेड़ पर बादाम की पैदावार ज़्यादा होगी। अहमद का कहना है कि इस किस्म का वैज्ञानिक ट्रायल काफ़ी हद तक कामयाब हुआ है और इस पर श्रीनगर के रंगरेट स्थित सेन्ट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेम्परेट हॉर्टिकल्चर ( ICAR- Central Institute of Temperate Horticulture) में काम चल रहा है। नई किस्म की इस पौध को कश्मीर के किसानों तक पहुंचाने में अभी थोड़ा और वक्त लगेगा। उम्मीद है कि दो साल में इसे किसान पा सकेंगे।

Almond Farming हाई डेंसिटी बादाम की खेती

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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