खेती के बाद बागवानी किसानों की आय का एक बड़ा ज़रिया है। देश में बागवानी का क्षेत्रफल बढ़ रहा है, लेकिन साथ ही बागवानी करने वालों के सामने फलों के गिरने और फटने की समस्या आम होती जा रही है। इसे हल्के में लेने वाले किसानों को इस बात का पता भी नहीं चलता कि इस कारण उनकी उपज में कितनी गिरावट हुई है। कैसे इस समस्या से किसान निजात पा सकते हैं, इसको लेकर किसान ऑफ़ इंडिया ने उत्तर प्रदेश स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के प्रमुख और सब्जी और बागवानी विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. शाही से ख़ास बातचीत की।
कृषि विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. शाही कहते हैं कि फल के गिरने और फटने की समस्या आम, अनार, लीची, अंगूर, नींबू, संतरा और बेल जैसे फलों में ज़्यादा देखी जाती है। दरअसल, इस समस्या से 25 से लेकर 85 फ़ीसदी तक फल नष्ट हो जाते हैं। इसके कारण बहुत ज़्यादा आर्थिक नुकसान होता है।
फलों की फटने और गिरने की समस्या का कारण
डॉ. शाही ने बताया कि बागवानी में फलों के फटने या गिरने की समस्या के कई कारण हैं। प्राकृतिक कारणों में तापमान ज़्यादा होना ,नमी और बारिश कम होना और साथ ही गर्मी में लू या गर्म हवा के कारण फल फटने लगते हैं। बाग का सही प्रबंधन न किया जाए तो भी दिक्कतें हो सकती है। बागों में समय से संतुलित सिंचाई न कर पाना, लगातार कई दिनों तक पानी न मिलने के बाद अचानक से पौधों को खूब पानी मिलना या एकाएक ज़्यादा बारिश होना भी इस समस्या के होने का कारण हो सकती है। इसी तरह फलों के बाग में पोषक तत्वों का सही से प्रबंधन न होने की वजह से भी फलों के फटने और गिरने की समस्या देखी जाती है।
फलों के फटने और गिरने की समस्या से कैसे मिले निजात?
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. शाही ने बताया कि सबसे पहले बागानों की सुरक्षा पर बात करें तो आप बागान के चारों तरफ़ आम और जामुन के पेड़ लगा कर गर्म और शुष्क हवाओं से फलों और पेड़ों की रक्षा कर सकते हैं। इसके अलावा, आप पौधों की अच्छी तरह से देखभाल करके भी फल फटने या गिरने की समस्या दूर कर सकते हैं।
पोषक तत्व प्रबंधन और नमी का रखें ख्याल
डॉ. बी.पी. शाही ने आगे बताया कि लगातार संतुलित सिंचाई और मल्चिंग तकनीक अपनाना अहम है। फलों के विकास के समय पौधों में नमी बनाए रखें, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि फूल बनते समय बागों में सिंचाई रोक दें। पौधों की जड़ों के पास नमी बनाए रखने के लिए आप पॉलीथीन की मल्चिंग कर सकते हैं। ये न कर पाएं तो पुआल या फिर घासफूस का भी सहारा ले सकते हैं।
इसके अलावा, पोषक तत्वों की ज़रूरत को पूरा करने के लिए फलों की प्रजाति के अनुसार संतुलित उर्वरक ज़रूर दें। पौधों में खाद और उर्वरक को सही समय और सही मात्रा में दें। जूलाई-अगस्त में 50 किलों गोबर की खाद प्रति पौधा डालें। इससे फल नही फटेंगे और बेहतर उत्पादन होगा। इस तरह फलों के बाग में प्रबंधन करके आने वाली दिक्कत से बचा जा सकता है।
दवाओं का करें प्रयोग
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. शाही बताते हैं कि फलों के फटने और गिरने की समस्या से बचने के लिए कुछ रसायनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जब आम, अनार, बेल, नीबू के पौधों पर एक या दो फल फटने लगे तो 6 ग्राम बोरेक्स दवा एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
बेल के फल फटने व गिरने से बचाने के लिए जुलाई-सितंबर महीने में बोरेक्स का छिड़काव करना चाहिए। नींबू में फल गिरने से बचाव के लिए 6 ग्राम 2,4डी, तीन किलो जिंक सल्फेट, 12 ग्राम ओरियोफंजिन और डेढ़ किलो चूने को 550 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ पहला छिड़काव जून-जुलाई और दूसरा सितंबर महीने में करें। आम के फल जब मटर के दाने के बराबर हो तभी दो प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव अप्रैल-मई महीने में करना चाहिए।
फलों को फटने से बचाने के लिए फलों को कवर करना भी उपाय है। इससे फलों को फटने से रोका जा सकता है। अनार जैसे फलों को कवर कर आप कीट के आक्रमण से भी उन्हें बचा सकते हैं। इस तरह आप कई तरह के उपायों से फलों के फटने और गिरने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। जब ये समस्या नहीं होगी, तो आपके फल स्वस्थ होंगे और उत्पादन बंपर होगा, जिससे आपकी आमदनी में इज़ाफ़ा होगा।
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