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सिंचाई की कई आधुनिक पद्धति हैं जिसमें से एक लिफ़्ट-सिंचाई प्रणाली है। ये उन इलाकों के लिए काफ़ी उपयोगी है, जहां पर बारिश नियमित नहीं होती है। साथ ही ज़मीन समतल नहीं है, उबड़-खाबड़ है और जल स्रोत खेत से बहुत नीचे हैं। ऐसे इलाकों में लिफ़्ट सिंचाई तकनीक बारिश पर निर्भरता कम कर देती है और पूरे साल अच्छी खेती की जा सकती है।
यही नहीं उचित सिंचाई से फसलों की पैदावार भी बेहतर होती है जिससे किसानों की आमदनी में इज़ाफा होता है। लिफ़्ट सिंचाई तकनीक की सबसे ख़ास बात ये है कि इसकी मदद से किसान साल में दो या तीन फसलें आसानी से तैयार कर सकते हैं। झारखंड के रांची ज़िले के एक गांव मंगोबध के किसानों की तकदीर भी लिफ़्ट सिंचाई विधि ने बदल दी।
क्या है लिफ़्ट सिंचाई तकनीक?
ये सिंचाई की एक नई तकनीक है, जिसमें गुरुत्वाकर्षण से प्राकृतिक बहाव से पानी को ले जाने की बजाय, एक नदी या नहर के पानी को पंप या दूसरे उपकरणों की मदद से ऊपर पहुंचाया जाता है।
एक से ज़्यादा फसलें लेते हैं
रांची ज़िले के मंगोबंध गांव के करीब 40 फ़ीसदी कृषि योग्य भूमि पर धान की एकल किस्म की ही खेती होती थी। ठंड के मौसम में किसान सिर्फ़ 5 प्रतिशत ज़मीन पर आलू, टमाटर, प्याज, मिर्च वगैरह की खेती करते थे, इसके अलावा कुछ दूसरी फसलें भी बहुत कम मात्रा में उगाई जाती थी। मगर वैज्ञानिकों ने इस इलाके की तस्वीर ही बदल दी।
साल 2011-2013 में ICAR-भारतीय प्राकृतिक रेजिन और गोंद संस्थान, रांची ने लाख उत्पादन के प्रोत्साहन कार्यक्रमों के तहत इस गांव में बेर के पेड़ लगाए। इसके बाद वैज्ञानिकों ने गांव का दौरा भी किया, जिससे उन्हें पता चला कि पानी कमी के कारण किसान कई दूसरी फसलों की खेती नहीं कर पा रहे थे।
लिफ़्ट सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल
इस समस्या के समाधान के लिए लिफ़्ट सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। दरअसल, मृदा संरक्षण निदेशालय, झारखंड की मदद से इलाके में दो कुएं (गहराई 10 फुट और व्यास 8 फुट) और दो पम्प हाउस बनाए गए। करीब 30 हेक्टेयर कमांड क्षेत्र में 110 मिली मीटर व्यास का 5000 फुट पीवीसी पाइप अंडरग्राउंड बिछाया गया। 8 हॉर्स पावर क्षमता के दो पम्प लगाए गए, जिससे ख़ासतौर पर सर्दी के मौसम में बड़े एरिया की सिंचाई आराम से की जा सके।
इससे करीब 35 किसान परिवारों को फ़ायदा हुआ। लिफ़्ट सिंचाई के लिए गांव की जिलीगसेरेंग मौसमी नदी के पानी का इस्तेमाल हुआ। दरअसल, बरसात में ये नदी बहुत चौड़ी हो जाती है और फरवरी-मार्च के बाद इसमें पानी कम होने लगता है। ऐसे में जब पानी ज़्यादा होता है तो उसे एकत्र करके इसका इस्तेमाल कृषि कार्यों में करने की प्लानिंग की गई। लिफ़्ट सिंचाई विधि को अपनाने के बाद यहां के किसान जो पहले सिर्फ़ धान की ही खेती कर पाते थे, अब आलू, टमाटर, प्याज, मिर्च, लहसुन, बैंगन, मटर, गोभी जैसी सब्जियां भी बहुत आसानी से उगाा पा रहे रहे हैं, क्योंकि उन्हें अब पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।
लाख की खेती में मिली मदद
मंगोबंध गांव के एक किसान प्रकाश सांगा ने अपने 1500 वर्ग मीटर के खेत में लाख उत्पादन के लिए सेमियालता के 2000 पौधे लगाए। वहीं पपीता, टमाटर, बैंगन, भिंडी और मिर्च की खेती भी की, जिससे साल 2013 में उन्हें 2639 किलो टमाटर, 670 किलो बैंगन, 90 किलो मिर्च और 60 किलो भिंडी की फसल मिली। लिफ़्ट सिंचाई तकनीक की मदद से सेमियालता और पपीते का अच्छा उत्पादन हुआ। इस सफलता से उत्साहित होकर प्रकाश सांगा ने सेमियालता के 2000 पेड़ों को बढ़ाकर 5,000 कर दिया। यही नहीं इस गांव के 5 किसानों ने 7,000 से ज़्यादा पेड़ों पर लाख की समेकित खेती (Integrated Farming) की शुरूआत की।
देवघर ज़िले के सिकटिया गांव में अक्टूबर 2023 में मेगा लिफ़्ट सिंचाई योजना का शिलान्यास किया गया, जिससे 27 पंचायत के किसानों को सिंचाई के लिए पूरे साल पानी मिल सकेगा, यानी सालभर यहां फसले लहलहाएगीं।
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