इक्वाइन सीमेन लैब पुणे (Equine Semen Laboratory): अन्य पशुपालकों की तरह ही घोड़ा पालन करने वाले भी चाहते हैं कि उनकी घोड़ियां अच्छी नस्ल के बच्चों को जन्म दें, मगर ज़रूरी नहीं कि जिस घोड़े का इस्तेमाल प्रजनन के लिए हो रहा है, वो अच्छी नस्ल का ही हो। ऐसे में स्टैलियन (नर घोड़ा जिसका इस्तेमाल प्रजनन के लिए किया जाता है) के स्पर्म से घोड़ियों को गर्भाधान कराके अच्छी नस्ल के घोड़े के बच्चे प्राप्त किए जा सकते हैं।
मगर समस्या ये है कि स्टैलियन स्पर्म (stallion sperm) आसानी से मिलते नहीं है। इस समस्या को दूर करने के लिए पुणे के Equine Breeder (घोड़ा प्रजनक) ने भारत के पहले इक्वाइन सीमेन लैब (Equine Semen Laboratory) यानी घोड़े के वीर्य प्रयोगशाला की स्थापना की।
पूरे भारत में सप्लाई करते हैं घोड़े के वीर्य
पोलो जैसे खेल में मज़बूत और फुर्तिले घोड़ों का इस्तेमाल होता है, ये अच्छी नस्ल के होते हैं। सभी घोड़ा पालक चाहते हैं कि उनके घोड़े और जो बच्चे पैदा हों वो मज़बूत और आकर्षक हो। इसलिए आजकल वो कृत्रिम गर्भाधान तकनीक (Artificial insemination technique) का इस्तेमाल कर रहे हैं और इस काम के लिए स्टैलियन स्पर्म का खूब इस्तेमाल हो रहा है।
ये घोड़ा अच्छी नस्ल का माना जाता है और प्रजनन के लिए सबसे बेहतर होता है। मगर सभी घोड़ा पालन करने वालों को स्टैलियन स्पर्म आसानी से मिल नहीं पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए पुणे के रंजीत खेर ने देश की पहली Equine Semen Laboratory यानी घोड़े के वीर्य प्रयोगशाला की स्थापना की, जो पूरे देश में स्टैलियन फ्रोज़न सीमेन की सप्लाई करता है। उन्होंने ये लैब ICAR-NRCE के सहयोग से स्थापित की।
ICAR से खरीदी तकनीक
रंजीत खेर और उनकी टीम ने घोड़े के वीर्य (Horse semen) प्रयोगशाल की शुरुआत करने से पहले इससे जुड़ी तकनीकी ट्रेनिंग ली। उन्होंने स्टैलियन वीर्य संग्रह (stallion semen collection) के साथ-साथ क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक की भी ट्रेनिंग हासिल की। इसके बाद उन्होंने ICAR-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्विन्स, बीकानेर से “स्वदेशी घोड़ों में वीर्य संग्रह और क्रायोप्रिजर्वेशन” और “स्टैलियन से वीर्य संग्रह के लिए अनुकूलित एवी” नाम की दो तकनीक खरीदी। ये तकनीक डॉ. टीआर तल्लूरी, डॉ. यश पाल और डॉ. आरए लेघा ने विकसित की थी।
हाईटेक लैब
रंजीत खेर ने ICAR–NRCE से मिले साइंटिफिक और टेक्निकल इनपुट की मदद से महाराष्ट्र के पुणे शहर में स्टैलियन के लिए वीर्य संग्रह और क्रायोप्रिजर्वेशन के लिए एक हाइटैक लैब बनाया। उन्होंने और उनकी टीम ने देश भर के अलग-अलग घोड़ा प्रजनकों से स्टालियन के वीर्य को इकट्ठा किया। फ्रोज़न स्पर्म (जमे हुए वीर्य) से घोड़ियों को गर्भाधान कराने के साथ ही स्टैलियन स्पर्म के 1000 से अधिक स्ट्रॉ को सफलतापूर्वक संरक्षित भी किया।
फ्रोज़न स्पर्म तकनीक की मदद से घोड़े के बच्चे का सफल जन्म हुआ, जिससे साबित होता है कि ये तकनीक बहुत कारगर है।
बहुत कम समय में ही रंजीत खेर ने खुद को फ्रोज़न सीमेन डोज़ बेचने वाले उद्यमी के रूप में स्थापित कर लिया है। आज की तारीख में वो दूसरे युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गये हैं। देशभर में घोड़ों की संख्या में जिस तेज़ी से कमी आ रही है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि घोड़ियों का कृत्रिम गर्भाधान कराके ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करना समय की ज़रूरत है और इस काम में इक्वाइन सीमेन लैब पुणे बहुत मददगार साबित होगा।