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नवजात बछड़े को खीस पिलाना कितना ज़रूरी है, इसके क्या फ़ायदे हैं और कैसे और कब इसका सेवन नवजात बछड़ों को करवाना चाहिए, इसके बारे में पशुपालकों को पता होना ज़रूरी है। पशुपालन से अधिक मुनाफ़ा कमाने के लिए पशुपालकों को गाय-भैंस की सही देखभाल के साथ ही, नवजात बछड़े की भी सही देखभाल करना ज़रूरी है, वरना उनकी मृत्यु से पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इंसानी शिशु की तरह ही नवजात बछड़े-बछियों की रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है। ऐसे में उन्हें उचित देखभाल की ज़रूरत होती है, साथ ही उन्हें मां का पहला दूध जिसे कोलोस्ट्रम (खीस) कहा जाता है, इसे दिया जाना भी बहुत ज़रूरी है। नवजात बछड़े को खीस पिलाने का क्या महत्व है, जानिए इस लिख में।
अगर उन्हें खीस न पिलाई जाए तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमत का विकास नहीं होगा, जिससे उनके लगातार बीमार पड़ने की आशंका रहती है। इसके साथ ही पशु के थन में दूध जमा होने से उन्हें थनैला रोग भी हो सकता है। इसलिए नवजात को खीस ज़रूर पिलाएं।
क्या होती है खीस?
- बच्चे को जन्म देने के बाद गाय-भैंस करीब एक हफ़्ते तक सामान्य से गाढ़ा दूध देती है। ये हल्के पीले रंग का होता है। इसे ही खीस या चीका कहा जाता है।
- अंग्रेज़ी में इसे कोलोस्ट्रम कहते हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद गाय-भैंस की स्तन ग्रंथि से स्रावित होने वाला ये पहला द्रव्य पदार्थ होता है जो पौष्टिकता से भरपूर होता है।
- इसमें सामान्य दूध की तुलना में 4-5 गुना ज़्यादा प्रोटीन और 7-8 गुना ज़्यादा विटामिन-ए पाया जाता है।
- खीस में खनिज तत्व-कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटेशियम तथा जिंक भी पर्याप्त मात्रा में होता है।
- जन्म के तुरंत बाद इसे बछड़े-बछियों को पिलाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और वो स्वस्थ रहते हैं।
- खीस बछड़े को दिया जाने वाला पहला और सबसे ज़रूरी अनमोल आहार है, जो उनके लिए बेहद पौष्टिक होता है।
- इसमें बहुत अधिक एंटीबॉडीज़ होते हैं, जो बछड़ों में होने वाली कई तरह की बीमारियों को रोकने के लिए ज़रूरी है। नवजात बछड़े को खीस देना उनकी सेहत के लिए अहम माना जाता है।
- मगर कई पशुपालकों को लगता है कि ये ज़्यादा गाढ़ा होता है तो बछड़े-बछिया इसे पचा नहीं पाएंगे, इसलिए वो उन्हें खीस नहीं पिलाते हैं, जो विशेषज्ञों के अनुसार सही नहीं है।
नवजात बछड़े को खीस पिलाने के फ़ायदे
-खीस एंटीबॉडी का प्राथमिक स्रोत है और इसमें एंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है।
-खीस पिलाने से नवजात में डायरिया तथा न्यूमोनिया का खतरा कम होता है।
-खीस फैट, प्रोटीन, विटामिन्स और खनिज का मुख्य स्रोत है।
-खीस में कई हार्मोन और विकास कारक होते हैं, जो बछड़े के विकास और सेहत के लिए महत्वपूर्ण हैं।
-विशेषज्ञों के अनुसार, खीस पिलाने से नवजात को थोड़ा दस्त हो सकता है, लेकिन ये अच्छा है। इससे नवजात बछड़े/ बछियों कि आंतों से पाचक अवशेष/गंदा मल (म्यूकोनियम) साफ हो जाता है।
बछड़ों को कब और कितना खीस देना चाहिए?
- नवजात को जन्म के बाद पहले घंटे के अंदर जितना जल्दी हो सके खीस पिला देनी चाहिए। क्योंकि नवजात बछड़े की आंतों में उसके जन्म के 24 घंटों तक प्रोटीन के बड़े अणुओं को अवशोषित करने की क्षमता रहती है।
- जन्म के पहले 6 घंटों में करीब 2.5 से 3 लीटर या बछड़े के वज़न के 10 प्रतिशत के बराबर खीस पिलाना चाहिए।
- मान लीजिए बछड़े का वज़न 25 किलो है तो उसे दिनभर में 2.5 किलो खीस पूरे दिन में दें, मगर एक साथ ज़्यादा न पिलाएं इससे दस्त हो सकता है। इसे आप तीन बार में पिलाएं।
खीस न होने पर क्या करें?
किसी कराणवश जैसे गाय के बीमार होने, मर जाने या थन में चोट लग जाने पर नवजात बछड़े-बछियों को अगर सीधे थनों से खीस पिलाना संभव न हो, तो दूसरी गाय व भैंस की खीस पिलानी चाहिए। खीस को एक चौड़े बर्तन में निकालें और इसमें अपनी उंगलियां भिगोकर बछड़े के मुंह में डालें, फिर वो धीरे-धीरे पीने लगेगा।
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