Carp Fish: पूरक आहार से बढ़ेगा कार्प मछलियों का उत्पादन, जानिए इसे खिलाने का सही तरीका

कार्प मछलियां दूसरी मछलियों की तुलना में तेज़ी से बढ़ती हैं। ऐसे में अगर उन्हें पूरक आहार यानी सप्लीमेंट्री फ़ूड दिया जाए तो और तेज़ी से वृद्धि कर सकती हैं और जिससे किसानों की लागत कम और मुनाफ़ा अधिक होगा।

पूरक आहार कार्प मछली

मछली पालन किसानों की आमदनी का एक मुख्य ज़रिया है, क्योंकि इसकी मांग हमेशा ही बनी रहती है। कुछ मछलियां समुद्र में तो कुछ मीठे पानी यानी नदी, झील आदि में रहती हैं। कार्प मछली मीठे पानी वाली मछली है, जो दूसरी मछलियों की तुलना में जल्दी बढ़ती है और अगर उनका पालन सही तरीके से किया जाए, इन्हें पूरक आहार सही समय, तरीके और मात्रा में दिया जाए, तो इससे किसानों का मुनाफ़ा और अधिक बढ़ सकता है।

आइए, जानते हैं कि कार्प मछलियों को कितना पूरक आहार और किस तरह से दिया जाना चाहिए।

कार्प मछली क्या होती है?

ये मीठे पानी में रहने वाली मछली की एक प्रजाति है, जो सर्वाहारी है। ये बदलते मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लेती है। इन मछलियों के शरीर की औसतन लंबाई 12-24 इंच होती है, हालांकि ये और भी ज़्यादा बड़ी हो सकती हैं। ये मछली पानी की निचली सतह से भोजन लेती है। ये फरवरी से अप्रैल और अक्टूबर से नवंबर के दौरान अंडे देती है। व्यावसायिक तौर पर इसको पालना आसान है। इसे किसान चाहें तो छोटे टैंक, तालाब या घर की छत पर भी पाल सकते हैं। इन मछलियों का वज़न तेज़ी से बढ़ता है, इसलिए ये फ़ायदेमंद होती है।किसानों को मछलियों के आहार का ख़ास ध्यान रखने की ज़रूरत होती है।

पूरक आहार कार्प मछली 2

 

क्यों कार्प मछली के लिए ज़रूरी है पूरक आहार?

मछलियों के अच्छे विकास के लिए उन्हें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर, विटामिन, खनिज मिश्रण जैसे पोषक तत्वों की ज़रूरत होती है और पूरक आहार (सप्लीमेंट्री फूड) संतुलित मात्रा में होता है। आमतौर पर कार्प मछलियां प्लवक वनस्पति और जीवों को खाती हैं, मगर ये पर्याप्त नहीं है। उन्हें चावल की भूसी, सरसों, मूंगफली, सोयाबीन आदि की खली पूरक आहार के रूप में दी जाती है, जिससे उन्हें पूर्ण पोषण मिलता है और उनका वज़न तेज़ी से बढ़ता है। मछली के चूर्ण के साथ पूरक आहार का मिश्रण करके मछलियों को उनके आकार के हिसाब से दिया जाता है। पूरक आहार की ख़ासियत ये है कि ये आसानी से मिल जाता है और मछलियां इसे आसानी से पचा लेती हैं। इससे प्रदूषण भी कम होता है और ये जल को स्थिरता देता है।

पूरक आहार कार्प मछली 3

आकार के हिसाब से आहार की मात्रा

स्पॉन से पोना साइज़ तक की मछलियों के बीज को उनके पहले हफ़्ते में शरीर के वज़न का 4 गुना और दूसरे हफ्ते में वज़न का 8 गुणा आहार दें। पोना से लेकर अंगुलिका तक पहले महीने में शरीर के वज़न का 6-8 प्रतिशत, दूसरे महीने में शरीर के वज़न का 5-6 प्रतिशत और तीसरे महीने में शरीर के वज़न का 3-4 प्रतिशत आहार दिया जाना चाहिए। अंगुलिका और व्यस्क मछलियों को पहले महीने में शरीर के वज़न का 3-5 प्रतिशत और दूसरे महीने में शरीर के वज़न का 1-3 प्रतिशत आहार देना चाहिए।

मछलियों का आहार तैयार करने की विधि

चूरा आहार (मैश)- इस तरीके में मछलियों की आहार सामग्री को पीसकर मिलाया जाता है। जीरा (स्पॉन) मछली और पोना को खिलाने के लिए बारीक पीसे पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है।जबकि अंगुलिकाएं और प्रजनक (ब्रूडर्स) को आहार का गोला बनाकर खिलाया जाता है।
गुलिका (पेलेट आहार)- हाथ और मोटर से चलने वाले पेलेटाइज़र की मदद से आहार तैयार किया जाता है। यह एक तरह का सूखा आहार होता है जिसमें नमी की मात्रा 7-13 प्रतिशत होती है। इसलिए लंबे समय तक खराब नहीं होता है। यह अंगुलिका और व्यस्क मछलियों को दिया जाता है। गुलिकाएं दो तरह की होती हैं एक पानी में डूबने वाली और दूसरी पानी में तैरने वाली।

पूरक आहार कार्प मछली 4

आहार देने का तरीका

फेंकना, फैलाना और हाथ से खिलाना- जहां पानी बहुत गहरा नहीं होता वहां मछलियों को आहार फेंककर, फैलाकर या हाथ से खिलाया जाता है। ये बहुत आसान तरीका है, मगर इससे आहार की बर्बादी होती है।
बैग फीडिंग- इस विधि में छेद वाली बोरियों में मछलियों का भोजन डालकर तालाब में अलग-अलग जगहों पर रखा जाता है। फीड बैग को हर दूसरे दिन सुखाया जाता है, ताकि बैक्टीरिया, कवक आदि का संक्रमण न हो। इस विधि में आहार और पोषक तत्वों की हानि होती है।
फीडिंग फ्रेम- ग्रास कॉर्प को तैरते फीडिंग फ्रेम का इस्तेमाल किया जाता है। इस फ्रेम का इस्तेमाल ग्रास कॉर्प को हरी घास बरसीम, अजोला, डकवीड्स आदि का उपयोग किया जाता है।

इन तरीकों से मछली के आहार का नुकासन होता है और प्रदूषण भी अधिक होता है, इसलिए नीचे दी गई तो विधियों का इस्तेमाल करना चाहिए।
स्पॉन और पोना- इन्हें चूरा आहार हाथ से फैलाकर देना चाहिए।
अंगुलिका और व्यस्क- इन्हें आहार का गोला (फीड बॉल्स)/गुलिका आहार (डूबने/तैरने) देना चाहिए।

ये भी पढ़ें: बायोफ्लॉक तकनीक (Biofloc Fish Farming) से कम जगह में बंपर मछली उत्पादन, मत्स्य विशेषज्ञ मुकेश कुमार सांरग ने दी पूरी जानकारी

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 
 
मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top