Fish Farming Business Plan: मछली पालन व्यवसाय की योजना बना रहे हैं तो डॉ. अनूप सचान से जानिए सबकुछ

मछली पालन व्यवसाय की योजना (Fish Farming Business Plan) बनाकर शुरुआत करने से नुकसान को कम कर फ़ायदे को बढ़ाया जा सकता है। 

Fish Farming Business Plan मछली पालन व्यवसाय की योजना

मछली पालन व्यवसाय किसानों की कमाई का एक बेहतरीन ज़रिया है, मगर इस व्यवसाय से तभी लाभ कमाया जा सकता है, जब मछली पालन तकनीक में आधुनिक तरीके अपनाएं जाए और जल की गुणवत्ता से लेकर मछलियों के आहार जैसी तमाम चीज़ों का ख्याल रखा जाए। जिन किसानों के पास खेती योग्य भूमि नहीं है या जो खेती नहीं करना चाहते हैं, या फिर जिनके पास ज़मीन तो है, मगर वो उपजाऊ नहीं है, तो ऐसे किसानों के लिए मछली पालन एक अच्छा विकल्प है। मछली पालन व्यवसाय की योजना बनाकर शुरुआत करने से नुकसान को कम कर फ़ायदे को बढ़ाया जा सकता है।

इस व्यवसाय को मुनाफ़े का सौदा बनाने के लिए उन्नत प्रबंधन, मछलियों को सही आहार, पानी की गुणवत्ता और रोग नियंत्रण जैसी बातों का किसान किस तरह ध्यान रख सकते हैं, और किस प्रजाति की मछली पालना फ़ायदेमंद होता है, जैसे तमाम ज़रूरी मुद्दों पर मछली पालन तकनीक के संदर्भ में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ़ फिशरिज़ के डॉ. अनूप सचान से बात की किसान ऑफ़ इंडिया के संवाददाता सर्वेश बुन्देली ने।

मछली पालन व्यवसाय की योजना में मिट्टी का सही चयन ज़रूरी (Selection of soil in fish farming business plan)

जैसे खेती के लिए मिट्टी का चुनाव बहुत अहम होता है, वैसे ही तालाब बनाने के लिए भी सही मिट्टी का चुनाव मछली पालन व्यवसाय की योजना के तहत बहुत ज़रूरी है। इस बारे में डॉ. अनूप सचान कहते हैं कि सबसे पहले तो तालाब बनाते वक्त मिट्टी की जांच कर लेनी चाहिए। इसके लिए चिकनी दोमट मिट्टी सही होती है, क्योंकि इसमें पानी का रिसाव कम होता है। पथरीली, बजरीली, रेतीली मिट्टी में पानी का रिसाव ज़्यादा होता है, जिससे पानी की बहुत अधिक ज़रूरत पड़ती है और पानी 3 दिन में सूख जाता है। इससे किसान को नुकसान होता है। मिट्टी का चुनाव करने के बाद मछली पालक को ये ध्यान रखना पड़ता है कि कौन सी प्रजाति की मछली का पालन करना है और कैसे वो अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमा सकते हैं।

मछली पालन व्यवसाय की योजना में कैसा बनाएं तालाब? (How to build a pond in a fish farming business plan?)

डॉ. अनूप सचान मछली पालकों को आयताकार तालाब पूर्व से पश्चिम दिशा में बनाने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि एक एकड़ का तालाब सबसे उत्तम माना जाता है, क्योंकि इतने बड़े तालाब में मछलियां जितना ज़्यादा दौड़गी, उसका स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहेगा, वृद्धि भी अधिक होगी। तालाब की गहराई 2 मीटर यानी 7-8 फीट गहरा होना चाहिए, और 5-6 फीट तक पानी भरा होना चाहिए। तालाब के बांध सीधे नहीं होने चाहिए, थोड़ा ढलान होनी चाहिए ताकि हवा चलने पर वो कटे नहीं। डॉ. सचान मछली पालन व्यवसाय की योजना के तहत बताते हैं कि तालाब बना लेने के बाद उसकी तलहटी की हल्की जुताई कर लेनी चाहिए। जुताई के बाद एक एकड़ के तालाब में 40 क्विंटल गोबर (कच्चा या 4-5 दिन पुराना) और एक क्विंटल बिना बुझा चूना डाल देना चाहिए ताकि हानिकारक गैस खत्म हो जाए। चूना और गोबर डालने के बाद जब एक फीट पानी तालाब में भर दिया जाता है तो कुछ पानी सूख जाता है और बचे हुए पानी में गोबर और चूना को मिक्स कर दें। इसके लिए पटेला या जाल चला दें। फिर इसमें 6 फीट पानी भरें और उसके बाद मछली के स्वस्थ बच्चे तालाब में डालें।

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तालाब में कौनसी और कब मछली डालें? (Which fish should be put in the pond and when?)

डॉ. अनूप सचान का कहना है कि अक्सर किसान तालाब में बहुत छोटे बच्चे डालने की गलती कर देते हैं। ऐसे में थोड़ी भी हानिकारक गैसे निकलने पर छोटे बच्चे जल्दी मर जाते हैं। मछली पालकों को हमेशा इस बाद का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा जब 30 से 40 ग्राम का हो जाए तभी उसे तालाब में डालना चाहिए। इससे उनकी संख्या का भी पता होगा, भोजन कैसे देना है और भोजन की मात्रा का भी पता चलेगा। छोटे बच्चों को एक अलग नर्सरी तालाब बनाकर पालना चाहिए और जब वो 30-40 ग्राम का हो जाएं तभी बड़े तालाब मे डालें, इससे बच्चों की मृत्यु दर कम होगी।

कैसी मछलियों का करें चुनाव? (Selection of fish)

डॉ. अनूप सचान सलाह देते हैं कि मछली पालक को ऐसी मछली का पालन करना चाहिए जिसका विकास तेज़ी से हो, और मछली ऐसी होनी चाहिए कि जो भी दाना/खाना दिया जाए वो खा ले। उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होनी चाहिए। इन बातों का ध्यान रखकर ही मछली के बीज का चुनाव करना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि तालाब में अलग-अलग प्रजाति की मछली डाल रहे हैं तो ये देख लें कि वो प्रतिद्वंदी न हो।

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मछली पालन का वार्षिक कैलेंडर बनाएं (Fish Farming Activities Calender)

डॉ. अनूप सचान कहते हैं कि चूकि मॉनसून में ही मछलियों के बच्चे ज़्यादा मिलते हैं। इसलिए मछली पालकों को एक वार्षिक कैलेंडर बना लेना चाहिए और उसे 4 भाग में बांट लें। मार्च, अप्रैल और मई में तालाब बना लें। जून, जुलाई, अगस्त में बच्चा डालने का उन्हें समय मिल जाता है। फिर सितंबर, अक्टूबर में मछली का प्रबंधन करना, कैसे फीड देना है आदि चीज़ें की जाती हैं। उसके बाद के महीने मछली बेचने के लिए तैयार हो जाती है।

एक तालाब में कितनी प्रजाति की मछलियां डाली जा सकती हैं? (How many species of fish can be put in one pond?)

इस बारे में डॉ. अनूप का कहना है कि पानी की तीन लेयर होती है। एक ऊपरी सतह, मध्य सतह और निचली सतह, तो तीनों सतह में रहने वाली मछलियां तालाब डालनी चाहिए। सिल्वर कार्प और कतला ऊपरी सतह में रहने वाली मछली है, मध्य सतह में रोहू मछली का पालन कर सकते हैं, इसकी बाज़ार में मांग भी अधिक होती है। निचली सतह के लिए कॉमन कार्प और नैन मछली होती है, जो तलहटी की चीज़ों को खाती है। तालाब में कुछ घास भी उगती है जिसे ग्रास कार्प मछली खाती है, तो इस तरह 6 तरह की मछली को एक तालाब में पाल सकते हैं। इसे समन्वित मछली पालन कहते हैं, क्योंकि इसमें पानी का पर्यावरण सही बना रहता है और भोजन का भी सही इस्तेमाल हो जाता है।

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कैसे तैयार करें मछलियों का आहार प्लवक (प्लैंकटन)? (Plankton fish feed)

प्लवक मछलियों का कुदरती भोजन है। इसे गोबर से तैयार किया जाता है। डॉ. अनूप बताते हैं कि इसे बनाने के लिए 4 बाय 2 मीटर के टैंक में एक तिहाई गोबर भर दे। इसमें करीब 25-30 क्विंटल गोबर आता है। इसमें एक क्विंटल सरसों की खली, 20 किलो बेकार गुड़ और 5-6 किलो NPK (खाद) डाल दें और उसमें पूरा पानी भर दें। 8-10 दिन में प्लैंकटन बनने लगता है। अब रोज़ 30-40 बाल्टी ये पानी तालाब में डालते रहें इससे तालाब का पानी गंदा नहीं होगा। और टैंक में भी पानी डालते रहें। इससे दोनों जगह प्लैंकटन बनता रहेगा। या फिर आर चाहें तो हर महीने तालाब में 5-6 क्विंटल गोबर डाल दीजिए इससे भी प्लैंकटन बढ़ता है।

कैसे तैयार करें मछलियों का आहार? (How to prepare fish feed?)

डॉ. अनूप कहते हैं कि अच्छी आमदनी के लिए मछलियों को अच्छा भोजन देना ज़रूरी होती है। मछली पालक घर में भोजन तैयार कर सकते हैं इसके लिए 40 किलो सरसों की खली, 40 किलो चावल की पॉलीश, 10 किलो मछली का चूज़ा और 10 किलो मोटा अनाज मिक्स कर दें। इस मिश्रण पीसकर मछली को खिला सकते हैं। ये भोजन दो बार देना चाहिए। आगे वो बताते हैं कि आमतौर पर मछली के वजन का डेढ़ से 3 प्रतिशत आहार उन्हें देना है। इसलिए मछलियों का वज़न करते रहना चाहिए और जैसे जैसे वज़न बढ़ता है भोजन की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए।

मछली पालन में उत्पादन (Production in fish farming)

डॉ. अनूप कहते हैं कि एक एकड़ के तालाब में 4-5 हजार बच्चे डाल सकते हैं। एक मछली का वज़न करीब 800 ग्राम से 1 किलो तक का होता है। ऐसे में एक तालाब से करीब 4 टन के करीब उत्पादन हो सकता है, अगर प्रबंधन अच्छी तरह से किया जाए तो। इसमें लागत डेढ़ से दो लाख रुपए की आती है बाकी मुनाफा होता है। अच्छी आमदनी के लिए मछलियों को रोग से बचाना भी ज़रूरी है इसके लिए मछली पालकों को खास ध्यान रखने की ज़रूरत है और इस संबंध में जानकारी जुटाना उनके लिए ज़रूरी है।

मछली पालन व्यवसाय की योजना पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

 

सवाल: मछली पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

जवाब: मछली पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले सही मिट्टी का चयन करना, तालाब का निर्माण सही तरीके से करना, और मछलियों की सही प्रजातियों का चयन करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, पानी की गुणवत्ता, मछलियों के आहार, और रोग नियंत्रण पर भी ध्यान देना ज़रूरी है।

सवाल: तालाब के लिए सही मिट्टी का चयन कैसे करें?

जवाब: तालाब के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है क्योंकि इसमें पानी का रिसाव कम होता है। पथरीली, बजरीली, या रेतीली मिट्टी में पानी अधिक रिसता है, जिससे जल की अधिक आवश्यकता होती है और यह तालाब की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।

सवाल: तालाब का निर्माण किस प्रकार करना चाहिए?

जवाब: आयताकार तालाब पूर्व-पश्चिम दिशा में बनाना उत्तम होता है। तालाब की गहराई 2 मीटर (7-8 फीट) होनी चाहिए और उसमें 5-6 फीट तक पानी भरा होना चाहिए। तालाब के किनारे थोड़ी ढलान होनी चाहिए ताकि हवा के प्रभाव से नुकसान न हो।

सवाल: मछली के बच्चों को तालाब में कब डालना चाहिए?

जवाब: मछली के बच्चों को तब डालना चाहिए जब उनका वजन 30-40 ग्राम हो। छोटे बच्चों को एक अलग नर्सरी तालाब में पालना चाहिए और जब वे बड़े हो जाएं, तब उन्हें मुख्य तालाब में डालना चाहिए।

सवाल: मछली पालन के लिए किस प्रजाति की मछली चुननी चाहिए?

जवाब: ऐसी मछलियां चुननी चाहिए जिनकी वृद्धि तेज़ हो और जिनका रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो। मछलियों की प्रजातियां जैसे सिल्वर कार्प, कतला, रोहू, कॉमन कार्प, और नैन मछली एक तालाब में विभिन्न सतहों पर रखने के लिए उपयुक्त हैं।

सवाल: मछलियों का आहार कैसे तैयार करें?

जवाब: मछलियों के लिए आहार में सरसों की खली, चावल की पॉलीश, मछली का चूज़ा और मोटा अनाज मिला सकते हैं। आहार की मात्रा मछली के वजन के अनुसार 1.5% से 3% तक होनी चाहिए।

सवाल: प्लवक (प्लैंकटन) कैसे तैयार करें?

जवाब: प्लवक तैयार करने के लिए गोबर, सरसों की खली, गुड़, और खाद का मिश्रण एक टैंक में डालें। इस मिश्रण को 8-10 दिन तक पानी में छोड़ें। तालाब में नियमित रूप से इसे डालते रहें ताकि प्लवक बढ़ता रहे।

सवाल: एक एकड़ तालाब में कितनी मछलियां डाल सकते हैं?

जवाब: एक एकड़ के तालाब में 4-5 हजार मछली के बच्चे डाल सकते हैं। इस तालाब से अच्छे प्रबंधन के साथ लगभग 4 टन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

सवाल: मछली पालन के लिए वार्षिक कैलेंडर कैसे बनाएं?

जवाब: मछली पालन का वार्षिक कैलेंडर इस प्रकार बनाएं: मार्च से मई में तालाब तैयार करें, जून से अगस्त में मछली के बच्चे डालें, सितंबर से अक्टूबर में प्रबंधन करें, और बाकी महीनों में मछलियाँ बेचने के लिए तैयार हो जाएंगी।

सवाल: मछली पालन में रोग नियंत्रण कैसे करें?

जवाब: मछली पालन में रोग नियंत्रण के लिए उचित आहार, पानी की गुणवत्ता, और नियमित निरीक्षण महत्वपूर्ण हैं। मछली पालक को रोगों की पहचान और उनका इलाज करने की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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