बकरी के साथ ही भेड़ पालन (Sheep Farming) भी छोटे या भूमिहीन किसानों की आमदनी का अच्छा ज़रिया ब न सकता है। बशर्ते वो अच्छी नस्ल की भेड़ों का चुनाव करें और उनका ठीक तरह से रखरखाव करें। भेड़ों को आमतौर पर ऊन, मांस और कृषि खाद के लिए पाला जाता है।
भेड़ों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उनके खान-पान का विशेष ध्यान रखना ज़रूरी है। साथ ही भेड़ों को उनकी उम्र और वज़न के हिसाब से उचित आहार दिया जाना चाहिए ताकि उनका वज़न जल्दी बढ़े और अच्छी गुणवत्ता का ऊन प्राप्त हो।
कैसे करें भेड़ों का आहार प्रबंधन
दूध पीने वाले मेमने
जन्म के बाद मेमने को खीस पिलानी चाहिए। ये बहुत फ़ायदेमंद होती है। जन्म के 3-5 दिनों तक मेमनों को मां के पास ही रखना चाहिए ताकि वो ज़रूरत के अनुसार दूध पी सकें। उसके बाद 300 से 400 ग्राम दूध दो बार पिलाना चाहिए। फिर खुद से आहार बनाकर दें। आहार बनाने के लिए 40 भाग मक्का, 30 भाग मूंगफली की खली, 10 भाग गेहूं का चोकर, 13 भाग राइस ब्रान, 5 भाग छोआ, 2 भाग मिनरल मिक्सर और 1 हिस्सा नमक मिलाएं।
इस भोजन में प्रति क्विंटल की दर से 20 ग्राम विटामिन ए, बी और डी मिलाएं। इसे जन्म के 3 हफ़्ते बाद 15-200 ग्राम प्रतिदिन के हिसाब से चारे के साथ देना चाहिए।
दूध छोड़ चुके मेमने
दूध छोड़ चुके मेमने का भोजन उसकी उम्र और वज़न पर निर्भर करता है। अच्छी गुणवत्ता वाले मेमने का आहार प्रबंधन अगर सही तरीके से किया जाए तो उनका वज़न 200-250 ग्राम प्रतिदिन की दर से बढ़ता है। अगर मेमने अच्छे चारागाह में दिनभर चरते हैं तो शाम के समय उन्हें 300 ग्राम दाना मिश्रण रोज़ाना देना प्रयाप्त है। 6 महीने में उनका वज़न 30-33 किलो हो जाएगा।
मादा मेमना
अगर मादा मेमने किसी अच्छे चारागाह में दिन भर घास खाती हैं और शाम को उन्हें 300 ग्राम दाना मिश्रण रोज़ाना दिया जाए तो उनका विकास अच्छी तरह होगा। उनके प्रजनन के लिए विकास भी उचित होगा। मादा और नर मेमने को अलग-अलग रखना चाहिए।
प्रजनन योग्य मादा
प्रजनन काल से पहले और बाद में भेड़ों को संतुलित आहार देना बहुत ज़रूरी है। उन्हें दिए गए संतुलित आहार, मिनरल मिश्रण, दाना आदि पर ही उनकी उत्पादन क्षमता निर्भर करती है। जिन मादा भे़ड़ों का शरीर फैट फ्री होता है वो ज़्यादा मेमनों को जन्म देती हैं। भेड़ों में ज़्यादा अंडे बने इसके लिए उन्हें प्रोटीनयुक्त दाना मिश्रण और शिम्ब वाले पेड़ के पत्ते खिलाने चाहिए।
गर्भवती मादा
गर्भावस्था के अंतिम डेढ़ महीने में भेड़ों को उनके शरीर के पोषण के साथ ही शिशुओं के विकास के लिए 300 ग्राम प्रोटीन युक्त दाना मिश्रण रोज़ाना दिया जान चाहिए। इसके साथ ही 8-10 घंटे किसी अच्छे चारागाह में चरने के लिए छोड़ देना चाहिए। इस दौरान भोजन में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसका असर मेमने के स्वास्थ्य पर होता है।
दूध पिलाने वाली मादा
देसी नस्ल वाली मादा भेड़ों की दूध उत्पादन क्षमता बहुत कम है। ये प्रतिदिन 500-800 ग्राम ही है। ऐसे में उन्हें सिर्फ़ चराई के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि पूरक आहार की ज़रूरत पड़ती है। इसके लिए पे़ड़ के पत्तों के साथ 300 ग्राम दाना मिश्रण देना चाहिए।
प्रजनन योग्य नर भेड़
इन्हें भी 300 ग्राम दाना मिश्रण रोज़ाना दिया जाना चाहिए। साथ ही 8-10 घंटे अच्छे चारागाह में चराई के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर चारागाह में अच्छी घास न हो तो उन्हें हरे चारे के रूप में बरसीम, लूसर्न, जई, मक्का आदि दिया जा सकता है।
अगर आप भी भेड़ पालन के बारे में सोच रहे हैं, तो इसे अपनी सुविधानुसार और उपलब्ध सुविधाओं के आधार पर छोटे या बड़े स्तर पर शुरू कर सकते हैं। व्यावसायिक भेड़ पालन से अच्छा मुनाफ़ा कमाया जा सकता है। इसमें निवेश की गई रकम जल्द ही वापस मिल जाती है। इसमें लागत भी कम आती है, इसलिए छोट और सीमांत किसान इसे आसानी से कर सकते हैं।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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