Goat Farming in Bihar: बिहार में बकरी पालन बन रहा पशुपालकों का मुख्य व्यवसाय

बिहार में बकरी पालन किसानों के लिए एक लाभदायक कारोबार बन गया है। ये न केवल उनकी आय बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक स्थिरता भी दे रहा है।

बिहार में बकरी पालन Goat farming in Bihar

बिहार में बकरी पालन : बिहार के गांवों में बकरी पालन सिर्फ़ एक कारोबार नहीं, बल्कि गरीबी से लड़ने और आत्मनिर्भर बनने का एक मज़बूत ज़रिया भी बन गया है। छोटे किसानों से लेकर बेरोज़गार युवाओं तक, बकरी पालन सभी के लिए उम्मीद की नई किरण बनकर उभरा है। इस कारोबार ने बिहार के कई परिवारों की क़िस्मत बदल दी है। आधुनिक तकनीकों और सरकारी सहायता की बदौलत, बकरी पालन अब महज़ गुज़र-बसर का साधन नहीं, बल्कि समृद्धि का रास्ता बन गया है।

 बिहार के किसान अब बकरी पालन में वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं और क़ामयाबी हासिल कर रहे हैं। इससे उनके परिवारों को अच्छी आय और बेहतर जीवन-स्तर मिल रहा है। राज्य सरकार भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी दे रही है, जिससे किसानों को काफ़ी मदद मिल रही है।

आइए, हम बिहार में बकरी पालन (Goat farming in Bihar) के बारे में और जानते हैं – यह लोगों के जीवन को कैसे बदल रहा है और सरकार की इस दिशा में क्या पहल कर रही है। 

बिहार के किसानों के लिए बकरी पालन के लाभ (Benefits of Goat Farming for Bihar’s Farmers)

बिहार के किसानों के लिए बकरी पालन एक सुनहरा अवसर बनकर उभरा है। बकरी को अक्सर ‘गरीबों की गाय’ कहा जाता है, और इसके पीछे कई ठोस कारण हैं। 

  • सबसे पहले, बकरी गाय की तुलना में काफ़ी सस्ती होती है। इसलिए, वे किसान जो महंगी गाय नहीं ख़रीद सकते, वे आसानी से बकरी पाल सकते हैं। बकरी पालने का ख़र्च भी गाय-भैंस की तुलना में बहुत कम होता है, जो बिहार के छोटे और सीमांत किसानों के लिए बड़ा फ़ायदा है।
  • बकरियों का आकार छोटा होने के कारण, कम जगह में ज़्यादा बकरियां रखी जा सकती हैं। ये बिहार जैसे घनी आबादी वाले राज्य के लिए बहुत उपयोगी है, जहां जमीन की कमी एक बड़ी समस्या है।
  • बकरियों की ख़ास बात ये है कि वे कई तरह के कांटेदार पौधे, खरपतवार, और फ़सल के बचे हुए हिस्से भी खा लेती हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो आमतौर पर बेकार जाती हैं। इससे बिहार के किसानों को चारे की चिंता कम करनी पड़ती है, जो एक बड़ी राहत है।
  • बिहार के कई इलाकों में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है। ऐसे में बकरियां एक अच्छा ऑप्शन हैं क्योंकि उन्हें कम पानी की जरूरत होती है। इससे सूखे इलाकों में भी बकरी पालन संभव हो जाता है।
  • बकरी का दूध स्वास्थ्य के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। ये आसानी से पच जाता है और इसमें एंटी-एलर्जी, एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। ये बिहार के लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक वरदान है।
  • बड़े पैमाने पर बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए एक और फ़ायदा है। बाज़ार में नर और मादा बकरियों की कीमत लगभग समान होती है। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है।

इन सभी कारणों से, बिहार में बकरी पालन (Goat farming in Bihar) किसानों के लिए एक लाभदायक कारोबार बन गया है। ये न केवल उनकी आय बढ़ा रहा है, बल्कि उन्हें आर्थिक स्थिरता भी दे रहा है।

बकरी पालन के लिए सरकारी योजनाएं और सब्सिडी (Government Schemes and Subsidies for Goat Farming) 

बिहार में बकरी पालन (Goat farming in Bihar) एक अच्छा काम बन गया है। इससे कई लोगों की ज़िंदगी बदल रही है। वे पैसे कमा रहे हैं और समाज में उनकी इज़्ज़त भी बढ़ रही है। बिहार के जो लोग बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए सरकार एक नई योजना ला रही है। इस योजना में सरकार बकरी फ़ार्म खोलने के लिए आधा ख़र्चा देगी। यानी, अगर आप 100 रुपये ख़र्च करेंगे, तो सरकार 50 रुपये देगी।सरकार की योजना है कि पूरे बिहार में करीब 453 नए बकरी फ़ार्म खुलें। इस योजना को जल्द ही पूरा किया जाएगा।

पशुपालन मंत्री मोहम्मद आफाक आलम कहते हैं कि बकरी पालन और मुर्गी पालन से गांव के लोगों की आमदनी बढ़ेगी। सरकार पहले से ही अंडा उत्पादन के लिए मदद दे रही है। अब बकरी पालन के लिए भी मदद देने की तैयारी है। सरकार ने साल 2023-24 के लिए बकरी पालन और उसकी ट्रेनिंग के लिए करीब 13 करोड़ रुपये रखे हैं। ये योजना उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होगी जो बकरी पालन शुरू करना चाहते हैं। इससे नए रोज़गार भी बनेंगे। तो, अगर आप बिहार में हैं और बकरी पालन में दिलचस्पी रखते हैं, तो ये आपके लिए एक अच्छा मौक़ा हो सकता है।

सब्सिडी 

सरकार ने बकरी पालन शुरू करने वालों के लिए अच्छी योजना बनाई है। इसमें अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह की मदद मिलेगी। आइए समझें:

  1. छोटा फ़ार्म: 20 बकरी और 1 बकरा

   बड़ा फ़ार्म: 40 बकरी और 2 बकरा

  1. सरकारी मदद (सब्सिडी):

   – सामान्य वर्ग के लोग: आधा ख़र्चा (50%) सरकार देगी। 

   – अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग: 60% ख़र्चा सरकार देगी। 

  1. पैसे का इंतज़ाम:

   – अगर आप बैंक से कर्ज़ लेते हैं, तब भी सरकार मदद देगी। 

   – अगर आप अपना पैसा लगाते हैं, तब भी सरकार मदद देगी। 

यानी, चाहे आप किसी भी तरह से पैसे का इंतज़ाम करें, सरकार आपको मदद देगी। ये योजना बिहार के लोगों को बकरी पालन शुरू करने में बहुत मददगार साबित होगी।

बिहार में बकरी पालन: आवेदन कैसे करें?

अगर आप बिहार में बकरी फ़ार्म शुरू करना चाहते हैं, तो सरकार की इस योजना में आवेदन करना आसान है। आइए जानें कैसे:

  1. आवेदन कहां करें?

   – पशुपालन विभाग की वेबसाइट पर जाएं। 

   – वहां ‘समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना’ के लिए आवेदन करें। 

  1. आवेदन की जांच कौन करेगा?

   – जिले के पशुपालन अधिकारी की अगुवाई में तीन लोगों की एक टीम आपके आवेदन की जांच करेगी। 

  1. कौन आवेदन कर सकता है?

   – सिर्फ़ वे किसान जो कृषि विभाग के एमआईएस पोर्टल पर पहले से रजिस्टर हैं। 

  1. इस योजना का मक़सद क्या है?

   – स्थानीय बकरियों की जगह ज़्यादा दूध या मांस देने वाली अच्छी नस्ल की बकरियां लाना।

   – पुराने तरीके से बकरी पालने वाले किसानों की ज़िंदगी बेहतर बनाना। 

याद रखें, अगर आप पहले से कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्टर नहीं हैं, तो पहले वहां रजिस्टर करें। फिर इस योजना के लिए आवेदन करें। ये योजना आपको बेहतर तरीके से बकरी पालन करने में मदद करेगी और आपकी आमदनी बढ़ाने में सहायक होगी।

केस स्टडी: बिहार के सफल बकरी पालन की कहानियां (Case Studies: Successful Goat Farming Stories from Bihar) 

बिहार के दरभंगा ज़िले में एक अनोखी कहानी उभर कर सामने आई है। यहां की महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से एक नया इतिहास रच दिया है। कमला फ़ार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी नाम की एक संस्था ने बकरी पालन के जरिए गांव की तस्वीर ही बदल दी है। इस कंपनी की ख़ास बात ये है कि इसे सिर्फ़ महिलाएं ही चलाती हैं। उन्होंने ठान लिया था कि वे पिछड़े समाज, ख़ासकर दलित महिलाओं को आगे बढ़ाएंगी। शुरुआत में कई मुश्किलें आईं। लोगों को समझाना पड़ा कि बकरी पालन से कैसे फ़ायदा होगा। धीरे-धीरे महिलाओं ने छोटे-छोटे समूह बनाए और काम शुरू किया।

नए विचारों को अपनाने में वक़्त लगा। कंपनी का हिस्सा बनना, पैसे लगाना, बकरियों को बेचना – ये सब नई बातें थीं। कुछ लोगों ने अफवाहें भी फैलाईं पर महिलाओं ने हार नहीं मानी। उन्होंने किसानों का भरोसा जीता और काम आगे बढ़ाया। धीरे-धीरे चीजें बदलीं। कंपनी ने कसाइयों से मिलकर बकरियों की बिक्री के लिए रास्ता निकाला। बकरियों की देखभाल के लिए कुछ महिलाओं को ख़ास ट्रेनिंग दी गई। त्योहारों और शादियों के मौसम में बकरी बाज़ार लगाए जाने लगे।

आज इस कंपनी में हजारों महिलाएं जुड़ी हैं। कंपनी का कारोबार बढ़कर करोड़ों में पहुंच गया है। बकरियों की मौत की दर कम हो गई है। कई महिलाओं ने घर में ही बकरी पालना शुरू कर दिया है। इस तरह, दरभंगा की महिलाओं ने दिखा दिया कि अगर ठान लें तो कुछ भी मुमकिन है। उन्होंने न सिर्फ़ अपना जीवन बदला, बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर ही बदल दी। 

ये भी पढ़ें:  बकरी पालन से जुड़ी क्या हैं उन्नत तकनीकें और मार्केटिंग का तरीका

बिहार में बकरी पालन (Goat farming in bihar) पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1: बिहार में बकरियों के लिए कैसा घर होना चाहिए?

जवाब: बकरियों का घर ऐसा होना चाहिए:

– साफ़-सुथरा और सूखा

– कीड़े-मकोड़ों से मुक्त

– अच्छी रोशनी वाला

– तेज धूप, बारिश, ठंड और तूफान से बचाव करने वाला। 

सवाल 2: बिहार में बकरी पालन शुरू करने से पहले क्या ध्यान रखना चाहिए?

जवाब: – बकरी की नस्ल और उससे मिलने वाले फ़ायदों के बारे में जानकारी इकट्ठा करें। 

– बकरियों को अच्छा और संतुलित खाना दें, इससे वे मोटी होंगी और ज़्यादा दूध देंगी। 

– बकरियों को साफ़ पानी पिलाएं ताकि वे बीमार न हों। 

– अच्छी नस्ल के बकरे से ही बकरियों को गर्भवती करवाएं। 

सवाल 3: क्या बिहार में बकरी पालन से पैसा कमाया जा सकता है?

जवाब: हां, बिहार में बकरी पालन से अच्छी कमाई हो सकती है। बिहार और आस-पास के राज्यों में बकरी के मांस की मांग बढ़ रही है।

सवाल 4: बिहार में कौन सी नस्ल की बकरियां पालना अच्छा है?

जवाब: – बिहार में आमतौर पर हर परिवार 1-3 बकरियां पालता है। 

– ज़्यादातर काली बंगाल नस्ल की बकरियां पाली जाती हैं। 

– जमुनापारी, बारबरी, सिरोही और जखराना जैसी नस्लों की मिली-जुली बकरियां भी मिलती हैं। 

सवाल 5: बिहार में कितनी बकरियां हैं?

जवाब: – बिहार में लगभग 95 लाख बकरियां हैं। 

– यह भारत की कुल बकरियों का लगभग 7.63% है। 

– बिहार में बकरियों की संख्या के हिसाब से पाँचवें नंबर पर है। 

सवाल 6: बकरियां कितने साल तक जीती हैं?

जवाब: बकरियां आमतौर पर 15 से 18 साल तक जीती हैं। कभी-कभी बकरियां 24 साल तक भी जी सकती हैं। 

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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