हाल ही में गुजरात के नवसारी ज़िले के सुल्तानपुर गांव में एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन (Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System) प्रणाली स्थापित की गई है। जो तटीय आदिवासी समुदायों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। ये ख़ास प्रणाली संसाधनों का कुशल इस्तेमाल करते हुए उनके उत्पादन को बढ़ाने और आर्थिक स्थिरता प्रदान करने में बेहद मददगार साबित हो रही है। इसके ज़रीये से न सिर्फ तटीय समुदायों को रोज़गार और आजीविका के नए अवसर मिल रहे हैं, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार हो रहा है। आइए विस्तार से जानते है इस अनोखी पहल के बारे में।
गुजरात के सुल्तानपुर गांव में किसानों के लिए नई सुविधा की शुरुआत (New facility started for farmers in a village of Gujarat)
ये नया और दिलचस्प प्रोजेक्ट किसानों के लिए शुरू किया गया है। इस प्रोजेक्ट में मछली पालन, खेती करना, मुर्गी पालन और बकरी पालन – सब कुछ काम एक साथ किया जाएगा। जिसे एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन कहा जा रहा है। ये प्रोजेक्ट ICAR-CIBA संस्था की ओर से शुरू किया गया है। इस संस्था का काम है ऐसे नए-नए तरीके खोजना जिससे किसान ज़्यादा कमाई कर सकें।
इस नई सुविधा का उद्घाटन नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के बड़े अधिकारी डॉ. जेडपी पटेल ने किया। इस कार्यक्रम में आसपास के चार गांवों के 150 आदिवासी किसान भी शामिल हुए थे। ये प्रोजेक्ट किसानों को सिखाएगा कि कैसे एक ही जगह पर कई तरह की खेती व काम करके अच्छी आमदनी कमाई की जा सकती है।
एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली क्या है? (What is Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System?)
ये एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें किसान एक ही जगह पर कई तरह की खेती व दूसरे काम भी कर सकते हैं। इसमें मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और सब्जी उगाना शामिल होता है। इस तरीके से किसान अपनी ज़मीन और पानी का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं। ये ख़ास तौर पर समुद्र के पास रहने वाले आदिवासी किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। इससे उन्हें ज़्यादा कमाई करने में मदद मिलेगी और साल भर काम भी मिलता रहता है। इस तरह की खेती से किसान अपने परिवार के लिए अच्छा खाना और बाज़ार में बेचकर पैसे भी कमा सकते हैं।
एकीकृत प्रणाली की कार्य पद्धति (Functioning of the integrated system)
इस एकीकृत प्रणाली में चार प्रमुख घटक होते हैं, जो एक साथ मिलकर तटीय क्षेत्रों में एक स्थायी और लाभकारी कृषि मॉडल बनाते हैं:
- जलकृषि (Aquaculture): जलकृषि में खारे पानी के तालाब में मछली और केकड़े पाले जाते हैं। इसमें ऐसी मछलियां चुनी जाती हैं जो बाज़ार में महंगी बिकती हैं, जैसे एशियाई सीबास, सजावटी मछली, कैटफ़िश मछली, झींगा मछली, सिल्वर कार्प मछली वगैरह। इसके साथ ही, मड क्रैब नाम के केकड़े भी पाले जाते हैं। छोटी मछलियों को बड़ा करके बेचा जाता है, जिससे किसानों को अच्छी कमाई होती है।
- पोल्ट्री पालन (Poultry Farming): पोल्ट्री पालन में कॉब ब्रायलर, लेयर वगैरह मुर्गियां पाली जाती हैं। इन मुर्गियों से अंडे और मांस दोनों मिलते हैं। मुर्गियों की अच्छी देखभाल के लिए ख़ास शेड बनाए जाते हैं। इससे किसानों को रोज़गार भी मिलता है। मुर्गियों की बीट को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, जो दूसरी फ़सलों के लिए बहुत फ़ायदेमंद होती है।
- बकरी पालन (Goat Farming): बकरी पालन में अलग-अलग नस्ल की बकरियां पाली जाती हैं। इन बकरियों से दूध और मांस दोनों मिलते हैं। बकरियों के लिए साफ-सुथरा शेड बनाया जाता है। बकरियों के दूध से दही और पनीर भी बनाया जा सकता है, जिसे घर में इस्तेमाल किया जा सकता है या बाज़ार में बेचा जा सकता है। बकरों के मीट को भी बाज़ार में अच्छे दामों पर बेचा जाता है। बकरों की बीट का इस्तेमाल खेती में खाद के रूप में किया जाता है, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद करती है।
- बागवानी (Horticulture) : बागवानी में तालाब के किनारे सब्जियां उगाई जाती हैं। इसमें टमाटर, बैंगन, मिर्च जैसी सब्जियां बोई जाती हैं। सब्जियों को उगाने के लिए ख़ास क्यारियां बनाई जाती हैं। इन सब्जियों को घर में खाया जा सकता है या बाज़ार में सीधा बेचा जा सकता है। सब्जियों के बचे हुए हिस्से को मुर्गियों और बकरियों को खिलाया जाता है, जिससे कुछ भी बर्बाद नहीं होता।
इस तरह से, एक ही जगह पर कई काम होते हैं और सारी चीज़ों का अच्छा इस्तेमाल होता है। इससे किसानों को ज़्यादा फ़ायदा होता है, उन्हें साल भर काम मिलता रहता है, और वे अपने परिवार के लिए अच्छा खाना भी पैदा कर लेते हैं।
एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली के फ़ायदे (Advantages of Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System)
एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली के फ़ायदे इस प्रकार है :
- इस तरीके में कोई चीज़ बेकार नहीं जाती। जो बचा रह जाता है, उसका भी इस्तेमाल हो जाता है। इससे किसान ज़्यादा पैदावार कर पाता है।
- किसान को बाहर से कम चीज़ें खरीदनी पड़ती हैं। जैसे, जानवरों के खाने और खेत में डालने वाली खाद पर कम पैसे ख़र्च होते हैं।
- इससे किसान को ज़्यादा फ़सल मिलती है और ज़्यादा कमाई होती है।
- समुद्र के पास रहने वाले लोगों को साल भर काम मिलता रहता है।
- किसान इस काम में माहिर हो जाते हैं और बहुत कुछ नया सीखते हैं।
- हर महीने किसान को कुछ न कुछ बेचने को मिलता है, इसलिए हर महीने पैसे आते रहते हैं।
- इससे समुद्र के पास रहने वाले किसानों की जिंदगी बेहतर होती है। उनकी कमाई दोगुनी तक हो सकती है।
- ये तरीक़ा लंबे वक्त तक चल सकता है और इससे लगातार भोजन पैदा होता रहता है।
एकीकृत कृषि में मछली पालन का महत्व (Importance of fish farming in integrated farming)
एकीकृत कृषि एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें किसान एक ही जगह पर कई तरह की खेती करता है। खेती के साथ कुछ किसान मछली पालन भी करते है, जिसे एकीकृत मछली पालन (Integrated fish farming) भी कहते हैं। इस तरीके से एकीकृत कृषि करने के कई फ़ायदे हैं जैसे :
- किसान अपनी ज़मीन और पानी का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर पाता है।
- कई तरह की फ़सलें उगाने से नुकसान का डर कम हो जाता है।
- एक काम से निकला कचरा दूसरे काम में काम आ जाता है।
- छोटी सी जगह में ज़्यादा से ज़्यादा काम हो पाता है।
- किसान को खाने की चीज़ें भी मिलती हैं और पैसे भी कमाने को मिलते हैं।
आर्थिक दृष्टिकोण (Economic Outlook):
इस तरह की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। एक बड़े तालाब से, जो क़रीब एक एकड़ ज़मीन के बराबर हो, किसान साल भर में लगभग 46 लाख रुपये कमा सकता है। इस काम पर ख़र्च क़रीब 34 लाख रुपये होता है। इसका मतलब है कि किसान को साल भर में क़रीब 12 लाख रुपये का फ़ायदा हो सकता है। लेकिन ये कमाई इस बात पर भी निर्भर करती है कि किसान कौन सी मछली पाल रहा है और वो अपना काम कितनी अच्छी तरह से कर रहा है।
तो, ये कहना बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा कि एकीकृत कृषि और एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन (Integrated Aquaculture Poultry Goat Farming System) दोनों से ही किसानों को फ़ायदा होता है। इससे उनकी कमाई बढ़ती है और उन्हें साल भर काम भी मिलता रहता है।
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एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल: एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली का मतलब क्या है?
जवाब: ये एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें किसान एक ही जगह पर कई काम कर सकते हैं। इसमें शामिल हैं:
- मछली पालन
- मुर्गी पालन
- बकरी पालन
- सब्जियां उगाना
इस तरीके से किसान अपनी ज़मीन और पानी का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ख़ास तौर पर समुद्र के पास रहने वाले आदिवासी किसानों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है। इससे उन्हें ज़्यादा कमाई करने में मदद मिलती है।
सवाल: एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली में मछलियों का चुनाव कैसे करें?
जवाब: मछली पालक को ऐसी मछलियों का पालन करना चाहिए जिसका विकास तेज़ी से हो, और मछली ऐसी होनी चाहिए कि जो भी दाना/खाना दिया जाए वो खा ले। उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होनी चाहिए। इन बातों का ध्यान रखकर ही मछली के बीज का चुनाव करें।
सवाल: मछलियों का आहार कैसे तैयार करें?
जवाब: मछलियों के लिए आहार में सरसों की खली, चावल की पॉलीश, मछली का चूज़ा और मोटा अनाज मिला सकते हैं। आहार की मात्रा मछली के वजन के अनुसार 1.5 फीसदी से 3 फीसदी तक होनी चाहिए।
सवाल: बकरी पालन के लिए कौनसी नस्लें सबसे अच्छी हैं?
जवाब: भारत में बकरी पालन के लिए कुछ लोकप्रिय नस्लें हैं। जिनमें सिरोही दूध और मांस के लिए उत्तम है। बीटल दूध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। जमुनापारी दूध और मांस दोनों के लिए उपयुक्त है। बरबरी मांस उत्पादन के लिए अच्छी है। तोतापुरी अच्छी मांस नस्ल के लिए अच्छी मानी जाती है।
सवाल: मुर्गियों का रोगों से बचाव कैसे करें?
जवाब: मुर्गियों को रोगों से बचाव के लिए उनका टीकाकारण कराना सबसे ज़रूरी होता है। किसानों को अधिक तापमान से मुर्गियों को बचाने की भी ज़रूरत होती है, नहीं तो मुर्गियों में उच्च मृत्यु दर के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
सवाल: एकीकृत कृषि और एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन में क्या अंतर है?
जवाब: एकीकृत कृषि एक ऐसा तरीक़ा है जिसमें किसान एक ही जगह पर कई तरह की खेती करता है। जबकि एकीकृत जल कृषि पोल्ट्री बकरी पालन प्रणाली में मछली पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन और खेती करना सब कुछ एक साथ करना शामिल होता है।
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