मांगुर मछली (Magur Fish) का वैज्ञानिक नाम क्लैरियस बैट्रैचस (Clarias Batrachus) है। बाज़ार में इसकी मांग होने के बावजूद देसी मांगुर का उत्पादन बहुत कम हो रहा है। इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए मांगुर मछली का प्रजनन, बीज उत्पादन, लार्वा पालन और ग्रो आउट सिस्टम जैसी तकनीक को मान्यता दी गई है। सरकार ने भी मांगुर मछली पालन को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में पहचानकर इसकी अलग-अलग किस्मों के उत्पादन पर ज़ोर दिया है। छत्तीसगढ़ की जलवायु और भौगोलिक स्थिति मांगुर मछली के उत्पादन के लिए उपयुक्त है, इसलिए यहां मांगुर हैचरी यानी बीज उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलने के साथ ही युवाओं को रोज़गार के नए अवसर मिल रहे हैं।
मांगुर मछली की विशेषताएं
देसी मांगुर मछली प्रतिकूल परिस्थितयों में भी आसानी से विकसित होती है। ये कम पानी में भी ज़िंदा रह सकती है। ये कम घुलित ऑक्सीजन वाले पानी में भी पाली जा सकती है। इसकी बाज़ार में मांग दूसरी मछलियों से ज़्यादा है और कार्प मछलियों की तुलना में बाज़ार में इनकी कीमत भी अधिक मिलती है। मांगुर मछली का प्रबंधन और इसे पालने की लागत दूसरी मछलियों से कम है। मांगुर मछली पौष्टिक भी होती है क्योंकि इसमें प्रोटीन और आयरन की मात्रा अधिक होती है, जबकि फैट कम होता है।
मांगुर हैचरी
मांगुर मछली पालन व बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के तहत 7 मांगुर हैचरी शुरू की गई। ये हैचरी कबीरधाम, कोडागांव, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा, कोरिया में शुरू की गई। इसका मकसद किसानों को मांगुर के गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना है। साथ ही किसानों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना है।
मांगुर का प्रजनन
मांगुर मछली के उत्पादन के लिए आमतौर पर बीज बिहार, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से मंगवाए जाते हैं। जब ये बीज 8-10 दिन के हो जाए और इनका वज़न 3 से 5 ग्राम तक हो जाए, तो इन्हें तालाब में डाला जाता है। 6-8 महीने में मांगुर मछली का वजन 150 ग्राम हो जाता है। एक साल के बाद इनका वज़न 250 ग्राम तक होता है और ये अंडे देने के लिए परिपक्व हो जाती हैं।
प्रजनन तकनी
अधिक मात्रा में मछलियों के बीज उत्पादन के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें मादा मछलियों को एक ख़ास तरह का इंजेक्शन दिया जाता है ताकि पेट कोमल हो जाए और अंडे आसानी से निकाले जा सके। जबकि नर मछली को कोई इंजेक्शन नहीं दिया जाता, बल्कि उनके वृषम को काटकर बाहर निकाला जाता है और इसके छोटे-छोटे टुकड़े करके इसे मोर्टर या मूसल की मदद से नमक के घोल में डालकर कुचला जाता है।
मादा मछली 10-15 घंटे के बाद स्पॉनिंग के लिए तैयार हो जाती है, फिर मादा मछली के ब्राउन रंगीन अंडे स्ट्रिपिंग के ज़रिए एकत्र किए जाते हैं और इसे नर मछली के तैयार वृषण सस्पेंशन में मिलाया जाता है। लार्वा 4 दिन के अंतर अपने योक को अवशोषित कर लेता है। 12वें दिन तक इसे गोलाकार सीमेंट टैंक में पाला जाता है। इसके बाद जब इनका आकार 4-5 मि.मी. हो जाता है तो इन्हें हैचिंग टब में डाला जाता है।
चूंकि देसी मांगुर की बाज़ार में अच्छी मांग है और इनकी आपूर्ति कम है, इसलिए मांगुर मछली पालन और बीज उत्पादन दोनों ही किसानों के लिए फ़ायदेमंद है।
ये भी पढ़ें: बायोफ्लॉक मछली पालन तकनीक से Fish Farming करना हुआ आसान, कम पानी कम जगह में बढ़िया उत्पादन
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।
- जानिए कैसे इंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि तकनीकों से खेती को नई दिशा दीइंद्रसेन सिंह ने आधुनिक कृषि में सुपर सीडर, ड्रोन सीडर और रोटावेटर का उपयोग करके मक्का, गन्ना, और धान की फसलें उगाई हैं।
- Food Processing से वंदना ने बनाया सफल बिज़नेस: दिल्ली की प्रेरणादायक कहानीदिल्ली की वंदना जी ने खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing) से पारंपरिक भारतीय स्वादों को नया रूप दिया और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएं।
- देवाराम के पास 525+ बकरियां, बकरी पालन में आधुनिक तकनीक अपनाईदेवाराम ने डेयरी फार्मिंग की शुरुआत एक छोटे स्तर से की थी, लेकिन वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों को अपनाने के बाद उनकी डेयरी यूनिट का विस्तार हुआ।