Nutritional Balance In Livestock Feed: पशुओं के लिए संतुलित आहार कैसा हो?

पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन (Nutritional Balance In Livestock Feed) उनकी सेहत, उत्पादकता, रोग प्रतिरोधकता और पशुपालकों के आर्थिक विकास के लिए ज़रूरी है।

पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन

पशुपालन व्यवसाय में सफलता के लिए सबसे ज़रूरी है मवेशियों की सही देखभाल और दुधारू पशुओं का ज़्यादा और अच्छी क्वालिटी में दूध देना। ये दोनों बातें तभी सही होती हैं जब पशुपालक अपने मवेशियों को सही और संतुलित आहार देते हैं। इसके साथ ही उनकी साफ़-सफ़ाई, उनके स्वास्थ्य का अच्छे और बेहतर तरीके से ख़्याल रखते हैं। पशुओं का आहार (Cattle Feed) पौष्टिक होना चाहिए। इसके लिए उनको ना सिर्फ हरा चारा देना चाहिए बल्कि अलग-अलग तरह के पौष्टिक आहार भी देने चाहिए। पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

पशुपालक जिस भी मवेशी का पालन करते हैं, उनको इस बात की जानकारी ज़रूर होनी चाहिए कि वो मवेशियों के शरीर भार के आधार पर ही उसे संतुलित भोजन दें। मवेशियों का भोजन उसकी उत्पादकता, उसके काम करने की ताकत और प्रजनन की अवस्था के अनुसार देना चाहिए। कई तरह के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन वगैरह को एक सही अनुपात में देना चाहिए। पशुपालकों को अपनी आसानी के लिए मवेशियों के आहार (Cattle Feed) को तीन भाग में डिवाइड करना चाहिए। पहला मवेशियों को स्वस्थ रखने के लिए आहार। दूसरा उनकी उत्पादकता को बढ़ाने वाला और तीसरा गर्भावस्था के लिए आहार। पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन का ध्यान रखने से उनकी सेहत और उत्पादकता में सुधार होता है।

पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन कैसा हो? (Nutritional Balance In Cattle Feed?)

  • मवेशियों को कुल आहार (Cattle Feed) का 2/3 भाग मोटे चारे और एक तिहाई हिस्सा दाने के साथ मिलाकर खिलाएं। मोटे चारे में दलहनी और गैर दलहनी दोनों ही तरह के चारे को तैयार करके देना चाहिए। 
  • भारत में पशुपालक अपने मवेशियों के लिए चारे के तौर पर सबसे ज़्यादा भूसे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इनमें पौष्टिक तत्वों की कमी होती है। मवेशियों के सही पोषण के लिए ज़रूरी है कि उनको राइस ब्रैन, चोकर और चना दिया जाए।
  • हरा चारा भी उनके आहार (Cattle Feed) में शामिल करना चाहिए जो भूसे से बहुत ज़्यादा पौष्टिक होता है।
  • दूधारू मवेशियों के लिए अच्छी सेहत और अच्छी मात्रा में दूध उत्पादन के लिए हर 100 किलो भार पर 2.5 किलोग्राम सूखा चारा देने की ज़रूरत होती है। इसमें सूखे और हरे चारे का अनुपात 50-50 फ़ीसदी होना चाहिए। 
  • जब पशु दूध देने के लिए तैयार हो रहा हो तो उसके संतुलित आहार में सूखा चारा, हरा चारा और दाना मिलाकर देना ज़रूरी है। इसमें सूखा चारा 6.5 किग्रा, हरा चारा करीब 30 किलोग्राम और दाना एक किलोग्राम हर रोज़ देना चाहिए।
  • जब पशु दूध देने लायक हो जाए तो सूखा चारा और हरा चारा उतना ही रखें, पर दाने को बढ़ा कर चार किलो और गर्भावस्था में दाना घटा कर दो किलो कर दें।

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संतुलित आहार न देने से नुकसान (Harmful Effects Of Not Providing A Balanced Diet)

अगर पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन न दिया जाए तो उनमें कुपोषण की समस्या हो सकती है, जिससे कई तरह की समस्याए पैदा होने लगती हैं। जैसे- 

  • मवेशियों में व्यस्क होने की क्षमता धीमी हो जाएगी।
  • पशु कमज़ोर और बीमार होने लगेंगे।
  • प्रजनन क्षमता कम हो जाएगी।
  • दूध उत्पादन में कमी होने लगेगी।
  • मवेशियों  के गर्भपात की समस्या पैदा होने लगेगी।
  • खेतों में काम करने वाले मवेशियों की शारीरिक क्षमता कम होने लगेगी।
  • साढ़ों में उत्तेजना में कमी हो जाएगी।

व्यस्क पशु को रोज़ कितना आहार खिलाएं? (Adult Dairy Cattle Nutrition)

एक व्यस्क पशु को प्रतिदिन 6 किलो सूखा चारा और 15-20 किलो तक हरा चारा खिलाना चाहिए। हरे चारे के लिए जब आधी फसल में फूल आ जाए तब उसे खिलाना सही होता है। इसके साथ ही हरे चारे का ‘सायलेज’ बनाकर रख लेना चाहिए। जिसका इस्तेमाल आप गर्मियों में उनके हरे चारे की कमी को पूरा करने के लिए कर सकें।  

मादा मवेशियों के लिए संतुलित आहार (Nutrition For Heifer Cattle)

बच्चे पैदा करने वाले पशु जैसे गाय, भैंस व बकरी दूसरे मवेशियों के मुकाबले बहुत ही संवेदनशील होती हैं। क्योंकि मादा मवेशियों के शरीर में गर्भावस्था के दौरान कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस बीच उनके पालन पोषण पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत होती है। जब मादा पशु 4 से 5 महीने के गर्भ से होती है, तब उसके गर्भपात होने का डर रहता है। इसकी सबसे बड़ी वजह गर्भावस्था से पहले और बाद में उनको संतुलित आहार नहीं मिलना है। सामान्य दिनों की तुलना में उनके गाभिन होने पर ख़ास इंतेज़ाम करना चाहिए, विशेषकर पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन का ध्यान रखना चाहिए। गाय गाभिन होने के 9 माह 9 दिन के आसपास और वहीं भैंस 10 माह 10 दिन में बच्चे को जन्म देती है।

गर्भावस्था के दौरान मादा मवेशियों का आहार (Diet Of Heifer Cattle During Pregnancy) 

गर्भावस्था के दौरान मादा मवेशियों के आहार में दाने की मात्रा को डेढ़ से दो किलो तक बढ़ा देना चाहिए। इसके साथ ही 5 से 6 किलो सूखा चारा देना चाहिए, जिसमें पुआल, कुट्टी, गेहूं का भूसा शामिल है। वहीं गाभिन पशु को हरा चारा 20 से 25 किलो तक देना चाहिए। गर्मी के मौसम में बाजरा, मक्का सहित मौसमी चारा भी ज़रूर देना चाहिए। पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन को ध्यान में रखकर आहार में ज़रूरी बदलाव करना उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए लाभदायक होता है।

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दुधारू पशुओं के लिए संतुलित आहार (Balanced Diet For Dairy Cattle)

दुधारू पशुओं को आहार मौसम के अनुसार और उनकी क्षमता के आधार पर देना चाहिए। दुधारू जानवरों को संतुलित पोषक तत्वों की काफ़ी ज़रूरत होती है। अगर उनको संतुलित भोजन ना मिले तो पशुपालकों को दूध भी नहीं मिल पाता और अगर मिलता है तो वो भी पूरा नहीं उतरता है। दुधारू पशुओं के आहार में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, मिनरल्स और विटामिन की भरपूर मात्रा होनी चाहिए।

पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, गायों और भैसों के संतुलित आहार में 25-10 किलो मूंगफली, सरसों या सोयाबीन की खली, गेहूं, मक्का या जौ, 10 से 25 किलो चोकर या दलिया, 1 किलोग्राम खनिज लवण के साथ 20-30 ग्राम विटामिन-A और D-3, 5-20 किलो दालों की छिलके, 1 से 4 किलोग्राम सोयाबीन या उसका छिलका शामिल करना चाहिए। दुधारू पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन को ध्यान में रखकर उनका आहार विशेषज्ञों द्वारा तय किया जाना चाहिए।

  • दुधारू पशुओं के चारे में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, मिनरल्स और विटामिन होना चाहिए। 
  • दुधारू पशुओं ग्रोवेल एग्रोवेट का टॉनिक और दवा नियमित रूप से देना चाहिए। इससे मवेशियों  में रोग प्रतिरोधी क्षमता तो बढ़ती ही साथ ही चारे पर होने वाला  खर्च भी कम होता है। 
  • दुधारू भैंस को सूखा चारा, प्रोटीन और पाचक तत्व देने चाहिए। 400 किलोग्राम वजन की भैंस को रोज़ाना 10 से 12 किलो सूखे चारे की ज़रूरत होती है।  
  • मवेशियों को हरा चारा देना चाहिए क्योंकि इसमें विटामिन्स की मात्रा काफी होती है। हरे चारे में पानी की मात्रा भरपूर होती है। दलहनी, गैर दलहनी, घास, पेड़ के पत्ते इसमें शामिल हैं। इसमें थोड़ा सूखा चारा मिलाकर मवेशियोंको खिलाना चाहिए नहीं तो उनको गैस की समस्या हो सकती है। 
  • हरे चारे के अलावा, हरी घास, नैपियर घास, जई, मक्का, ज्वार, बाजरा में भी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो मवेशियों में कई तरह के पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं। 

दुधारू पशुओं को आहार में कितना दाना खिलाएं? (Ideal Grain Feeding Amount For Dairy Cattle)

  • गाय के लिए 1.5 किलो रोज़ाना और भैंस के लिए 2 किलो।  
  • गाय को प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना वहीं भैंस के लिए हर 2 लीटर दूध के पीछे 1 किलो दाना खिलाना चाहिए।
  • 6 महीने से ऊपर की गाभिन गाय या भैंस को एक किलो से डेढ़ किलो दाना अलग से खिलाना चाहिए। 
  • बछड़े या बछड़ियों को 1 किलो से 2.5 किलो तक दाना रोज़ देना चाहिए। ये उनकी उम्र या वजन के आधार पर दें। 
  • बैलों के लिए 2 से 2.5 किलो प्रतिदिन और बिना काम करने वाले बैलों के लिए 1 किलो प्रतिदिन।

ISI आधारित पशु आहार के मानक (ISI based Cattle Feed Standards)

  •  20-21 फीसदी प्रोटीन 
  • 2.5 से 3 फीसदी वसा
  • 1 प्रतिशत कैल्शियम
  • 0.5 फीसदी फास्फोरस
  • 4 प्रतिशत सेड सिलिका
  • 12 फीसदी फ़ाइबर
  • 3 फीसदी खनिज लवण

अंत में हम ये कह सकते हैं कि पशुपालन में संतुलित आहार सबसे अहम अंग है। असंतुलित आहार से मवेशियों की शारीरिक अवस्था से लेकर गर्भावस्था, उनकी उत्पादकता पर काफी असर पड़ता है। मवेशियों के स्वास्थ्य और उनकी उत्पादकता को बनाएं रखने के लिए संतुलित आहार देना बहुत ही ज़रूरी है।

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पशुओं की खुराक में पोषण संतुलन पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1: पशुओं की खुराक में संतुलित पोषण क्यों महत्वपूर्ण है?

जवाब: संतुलित पोषण पशुओं के स्वास्थ्य, विकास, उत्पादकता, और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है। ये सुनिश्चित करता है कि उन्हें सभी आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में मिल रहे हैं, जिससे वे स्वस्थ और उत्पादक बने रहते हैं।

सवाल 2: संतुलित खुराक में कौन-कौन से पोषक तत्व शामिल होते हैं?

जवाब: संतुलित खुराक में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज, और पानी शामिल होते हैं। प्रत्येक पोषक तत्व का खास महत्व होता है, जैसे कि प्रोटीन मांसपेशियों के विकास के लिए, कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा के लिए, और विटामिन और खनिज समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

सवाल 3: पशुओं की पोषण संबंधी जरूरतें कैसे तय की जाती हैं?

जवाब: पशुओं की पोषण संबंधी जरूरतें उनकी आयु, वजन, प्रजनन स्थिति, और उत्पादकता (जैसे कि दूध उत्पादन, मांस उत्पादन) के आधार पर तय की जाती हैं। विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए पोषण तालिकाओं का उपयोग करके ये सुनिश्चित किया जाता है कि पशुओं को आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में मिलें।

सवाल 4: संतुलित खुराक के अभाव में पशुओं को क्या समस्याएंहो सकती हैं?

जवाब: संतुलित खुराक के अभाव में पशुओं को कुपोषण, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, धीमी वृद्धि दर, प्रजनन समस्याएं, और कम उत्पादन जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसके अलावा, उन्हें बीमारी होने की भी आशंका रहती है।

सवाल 5: पशुओं की खुराक में किस प्रकार का आहार शामिल किया जाना चाहिए?

जवाब: पशुओं की खुराक में हरे चारे, सूखे चारे, अनाज, खली, खनिज मिश्रण, और विटामिन सप्लीमेंट्स शामिल होने चाहिए। हरे चारे से विटामिन और मिनरल मिलते हैं, जबकि अनाज और खली से ऊर्जा और प्रोटीन प्राप्त होता है।

सवाल 6: क्या घर पर पशुओं के लिए संतुलित खुराक तैयार की जा सकती है?

जवाब: हाँ, घर पर भी पशुओं के लिए संतुलित खुराक तैयार की जा सकती है। इसके लिए पशुपालक को विशेषज्ञों से परामर्श लेना चाहिए और पशुओं की ज़रूरतों के अनुसार खुराक की योजना बनानी चाहिए। कई बार बाज़ार में उपलब्ध खुराक मिश्रण भी मददगार होते हैं।

सवाल 7: पशुओं की पोषण ज़रूरतों को कैसे मॉनिटर किया जा सकता है?

जवाब: पशुओं की पोषण जरूरतों को मॉनिटर करने के लिए उनकी वृद्धि, स्वास्थ्य स्थिति, उत्पादन स्तर, और व्यवहार पर नजर रखी जाती है। नियमित रूप से वजन लेना, रक्त परीक्षण कराना, और उत्पादन के आंकड़ों की निगरानी करना भी उपयोगी हो सकता है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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