Poultry Health Management: पोल्ट्री की देखभाल और प्रबंधन कैसे करें? जानिए कुछ प्रभावी टिप्स

पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management) रोगों से बचाव, उत्पादकता बढ़ाने, गुणवत्ता सुधारने और आर्थिक नुकसान कम करने के लिए ज़रूरी है।

Poultry Health Management पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन

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भारत में चिकन खाने वालों में इज़ाफा हुआ है, इससे खपत भी बढ़ती जा रही है। इसके कारण किसानों को लिए पोल्ट्री फ़ार्मिंग (Poultry Farming) मुनाफ़े का सौदा बन गया है। इस बिज़नेस में फ़ायदा लेने के लिए सबसे अहम है कि पोल्ट्री फ़ार्म में बीमारियों का प्रबंधन (Diseases Management) और पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन (Poultry Health Management)। जहां मुर्गियां रहती हैं वहां की साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखना, मुर्गियों के लिए पानी और दाने का सही इंतेज़ाम करना, उनका टीकाकरण (Vaccination) बहुत ज़रूरी है। रिसर्च से पता चलता है कि स्वस्थ पोल्ट्री में अंडों का प्रोडक्शन ज़्यादा होता है, डेवलपमेंट तेज़ होता है इसके साथ ही बीमारियों के लिए इम्यूनिटी भी अच्छी होती है।

पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन क्या है? (What Is Poultry Health Management?)

पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन का मतलब है मुर्गियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना, जिससे वे स्वस्थ रहें, जल्दी बीमार न पड़ें, और उनकी उत्पादकता बढ़े। इसमें कई उपाय शामिल होते हैं जैसे स्वच्छता, आहार प्रबंधन, पानी की व्यवस्था, बीमारियों की निगरानी और टीकाकरण।

पोल्ट्री फ़ार्म के लिए बायोसिक्योरिटी (Biosecurity For Poultry Farms)

पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) में कई बार साफ-सफाई ना होने की वजह से मुर्गियों की सेहत पर असर पड़ता है। जिससे उनमें बर्ड फ्लू, गम्बोरो जैसी जानलेवा बीमारियां हो जाती हैं। इसकी वजह से आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ता है। पोल्ट्री फार्म मालिकों को इसके लिए बायोसिक्योरिटी अपनाकर मुर्गियों की सेहत का ख़्याल रखना चाहिए। 

पोल्ट्री के लिए गुणवत्तापूर्ण फ़ीड (Quality feed In Poultry Farming)

इस बात पर ध्यान रखें कि मुर्गी पालन में मुर्गियों को संतुलित आहार मिले, जो मुर्गियों की सभी तरह की ज़रूरतों को पूरा करता हो। इसमें आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले अनाज, प्रोटीन, विटामिन और मिनिरल्स शामिल होते हैं। साथ ही पोल्ट्री फ़ीड बनाने के लिए पोल्ट्री हेल्थ एक्सपर्ट या पशु चिकित्सक (Veterinary Doctor) से परामर्श करें।

पोल्ट्री की देखभाल और मैनेजमेंट (Poultry Care And Management)

मुर्गे-मुर्गियों को बीमारी और कीटों से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) को  कीटाणुमुक्त रखें। उनके मल को रोज़ाना साफ करें साथ ही बैक्टीरिया मुक्त रखने के लिए फ्लोर क्लिनर से सफाई करें। पर्याप्त वेंटिलेशन ज़रूरी है। 

पोल्ट्री में साफ और ताज़े पानी की उपलब्धता (Clean And Fresh Water In Poultry)

अपने पोल्ट्री (Poultry Farm) के लिए साफ और ताजे पानी की निरंतर आपूर्ति पर ध्यान दें।  गंदा पानी ना आने दें, जिसे मुर्गियां पीकर बीमार पड़े। पानी के कंटेनरों की जांच करें और उन्हें साफ करें। उनके स्वास्थ्य, पाचन और अंडे के उत्पादन के लिए हाइड्रेशन अहम है। 

पोल्ट्री में रोग नियंत्रण और रोकथाम (Poultry Disease Control And Prevention)

बीमारी के किसी भी लक्षण के लिए नियमित रूप से अपने पोल्ट्री (Poultry Farm) का निरीक्षण करें। व्यवहार, भूख में कमी या फिर शारीरिक बनावट में बदलाव पर नज़र बनाकर रखें। पशु चिकित्सक से नियमित रूप से जांच करवाते रहें। इससे उनके मृत्यु दर के जोखिम को कम किया जा सकता है।

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ऑर्गेनिक तरीकों से पोल्ट्री फ़ार्म की निगरानी (Monitoring Of Poultry Farm Using Organic Methods)

  • पोल्ट्री फ़ार्म (Poultry Farm) में काम करने वाले अगर कही बाहर से घूमकर आ रहे हैं तो सीधा  पोल्ट्री फार्म में न जायें। वहां से जानें और निकलने से पहले अपने हाथ पैरों को अच्छे से साफ करें। 
  • अगर कोई मुर्गी मर गई है तो उसको मिट्टी में दबा दें, जिससे वो डीकंपोज (Decompose) हो जाए। इससे इंफेक्शन फैलने का खतरा नहीं रहता।  
  •  पोल्ट्री फार्म (Poultry Farm) ऐसी जगह लगायें, जहां पर बिजली और पानी की अच्छी सुविधा हो। 

 बारिश के मौसम में पोल्ट्री हेल्थ मैनेजमेंट (Poultry Health Management In Rainy Season)

  • बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। इस मौसम में  मुर्गियों को बीमारियां ज्यादा घेर लेती है। जिसकी वजह से मुर्गियों की मौतें होने लगती हैं। सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (CARI), बरेली के वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश के मौसम में मुर्गियों की फीडिंग पर खास ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।  
  • बारिश के मौसम में शेड मैनेजमेंट पर फोकस रखें। अगर आप ब्रॉयलर (चिकन) और लेयर (अंडे) के केज में हवा का बेहतर इंतजाम रखते हैं तो आधे से ज्यादा बीमारियां यूं ही खत्म हो जाती हैं। ये ज़रूरी है कि जब शेड बनवाएं तो इस बात पर ध्यान दें कि शेड की दिशा उत्तर और दक्षि‍ण की ओर हो। 
  • मानसून सीज़न के दौरान मुर्गियों का वैक्सीनेशन बहुत ज़रूरी है। मुर्गियों की क्षमता बढ़ाने के लिए इम्युनिटी बूस्टर टीके भी लगवाना चाहिए। जिससे मुर्गियों की इम्युनिटी और अच्छी  हो।  

पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन क्यों ज़रूरी है? (Importance Of Poultry Health Management)

  • उत्पादकता बढ़ाना: स्वस्थ मुर्गियां अधिक अंडे देती हैं और उनका मांस भी गुणवत्ता में अच्छा होता है।
  • बीमारियों की रोकथाम: सही प्रबंधन से बीमारियों का फैलाव कम होता है, जिससे पूरा पोल्ट्री फ़ार्म सुरक्षित रहता है।
  • खर्चों में कमी: बीमारियों का इलाज महंगा हो सकता है, इसलिए पहले से रोकथाम करना फ़ायदेमंद होता है।
  • उपभोक्ता सुरक्षा: स्वस्थ पोल्ट्री उत्पाद उपभोक्ताओं के सही स्वास्थ्य को भी सुनिश्चित करता है।

पोल्ट्री व्यवसाय में उन्नत नस्ल की भूमिका (Improved Breeds In Poultry Farming Business)

पोल्ट्री स्वास्थ्य प्रबंधन में सही नस्ल का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये उत्पादन क्षमता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और आर्थिक लाभ को सीधे प्रभावित करता है। सही नस्लें अधिक अंडे और मांस उत्पादन करती हैं, जिससे लाभ बढ़ता है। मुर्गियों की उन्नत नस्लें बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक होती हैं, जिससे चिकित्सा का खर्च कम होता है। स्थानीय जलवायु के अनुकूल नस्लें बेहतर प्रदर्शन करती हैं, जिससे जीवित रहने की दर बढ़ती है। सही नस्ल का चयन आहार का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करता है और उत्पादन लागत कम करता है।

भारत में चिकन खाने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी (Poultry Meat Consumption In India)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की रिपोर्ट के अनुसार, चिकन खाने वाले लोगों की संख्या में 5.45 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (OECD) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात सालों के दौरान भारतियों को मुर्गे (पोल्ट्री) का मांस सबसे ज्यादा पसंद आया। साल 2021 में भारतीयों ने 3372 मीट्रिक टन चिकन की खपत की। 

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मुर्गी पालन पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल: बारिश के मौसम में पोल्ट्री हेल्थ मैनेजमेंट कैसे करें ?

जवाब: बारिश के मौसम में संक्रमण का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। इस मौसम में मुर्गियों को बीमारियां ज्यादा घेर लेती है। जिसकी वजह से मुर्गियों की मौत होने लगती हैं। सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (CARI), बरेली के वैज्ञानिकों के अनुसार, बारिश के मौसम में मुर्गियों की फीडिंग पर खास ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।

सवाल: पोल्ट्री फ़ीड में क्या क्या मिलाया जाता है?

जवाब: पोल्ट्री फ़ीड को ज़्यादा एनर्जी से भरपूर बनाने के लिए उसमें तेल मिलाया जाता है। तेल में विटामिन ए, डी, ई और के अच्छी मात्रा में होते हैं। इसके साथ ही पोल्ट्री फ़ीड बनाने में चावल, सोयाबीन, ताड़, सूरजमुखी और दूसरे अन्य तेलों का भी इस्तेमाल होता है। बता दें कि पोल्ट्री फ़ीड में सिर्फ 4 फीसदी ही तेल मिलाना सही होता है।

सवाल: पोल्ट्री में संक्रमण रोकथाम के लिए क्या करें?

जवाब: पोल्ट्री फार्म में बीमारी की रोकथाम के लिए उन पक्षियों या मुर्गियों से अलग रखें जो संक्रमित हो। ये पोल्ट्री स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। संतुलित आहार और तनाव को कम करने के लिए ताज़ा साफ पानी प्रदान करें।

सवाल: पोल्ट्री की देखभाल और मैनेजमेंट कैसे करें ?

जवाब: मुर्गे-मुर्गियों को बीमारी और कीटों से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म को कीटाणुमुक्त रखें। उनके मल को रोज़ाना साफ करें साथ ही बैक्टीरिया मुक्त रखने के लिए फ्लोर क्लीनर से सफाई करें। पर्याप्त वेंटिलेशन ज़रूरी है।

सवाल: पोल्ट्री में एंटीबायोटिक और बूस्टर शॉट्स क्या है?

जवाब: बीमार मुर्गियां न तो खाती हैं, न बढ़ती हैं और न ही फायदा देती हैं, इससे आर्थिक नुकसान काफी होता है। इसलिए उन्हें स्वस्थ और खाने योग्य बनाए रखने के लिए उनको बीमारियों से बचाने के लिए कम स्तर के एंटीबायोटिक्स दिए जाने चाहिए इसके साथ ही मुर्गियों की क्षमता बढ़ाने के लिए इम्युनिटी बूस्टर टीके भी लगवाना चाहिए

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल। 

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