Table of Contents
मिलेट यानि कि बाजरा लोगों की थाली में वापसी कर रहा है। इसके फ़ायदों के बारें में जानकर लोग इसे अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं। मिलेट कई तरह के होते हैं, इनमें से एक है ब्राउन टॉप मिलेट, जिसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है।
ब्राउन टॉप मिलेट दक्षिण भारत की एक मुख्य फसल है, लेकिन आज के वक्त में अपनी ख़ासियतों और पोषक तत्वों की वजह से पूरे देश में फ़ेमस हो रही है। हिंदी भाषी राज्यों में इसको ‘छोटी कंगनी’, ‘खरपड’ कहते हैं तो तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में पलापुल, कोराले, अंडकोरा जैसे नामों से जाना जाता हैं। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम ब्राचिएरिया रामोसा( Brachiaria ramosa) है।
ब्राउन टॉप मिलेट में पाये जाने वाले पोषक तत्व
ब्राउन टॉप मिलेट गर्म मौसम की फसल है जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें कैल्शियम, फास्फोरस और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सबसे ख़ास बात ये है कि ब्राउन टॉप मिलेट ग्लूटेन फ़्री होता है। ये ऐसे लोगों के लिए बहुत अच्छा ऑप्शन है जो ग्लूटेन से दूर रहना पसंद करते हैं।
प्रधानमंत्री ने मिलेट क्रॉप को दिया है बढ़ावा
बताते चलें कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट क्रॉप वर्ष घोषित किया था, जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मिलेट फसल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाईं। साथ ही देश में मिलेट स्टार्टअप्स (Millet Startups) को भी बढ़ावा दिया। इसकी वजह से किसान ब्राउन टॉप बाजरा को दोबारा से अपने खेतों में उगाने लगे हैं।
ब्राउन टॉप मिलेट फसल की ख़ासियतें
ब्राउन टॉप बाजरा को किसान बहुत कम पानी के साथ और ख़राब मिट्टी में भी उगा सकते हैं। हाई प्रोटीन होने की वजह से ये कई बीमारियों से लड़ने की ताकत रखता है। ब्राउन टॉप मिलेट की खेती गर्म जलवायु वाले स्थानों पर होती है। जिन जगहों पर सूखा हो, वहां ये फसल आसानी से उगाई जा सकती है। इसके साथ ही ब्राउन टॉप मिलेट की खेती छायादार स्थानों पर भी होती है। दक्षिण भारत में इमली के पेड़ की छांव में ये आराम से उगती है। इसे पानी की बहुत ज़्यादा जरूरत नहीं होती। साथ ही ये फसल मिट्टी के कटाव को भी रोकती है।
ब्राउन टॉप मिलेट या मुरात का ऊपरी भाग भूरे रंग का होता है। इसलिए इसे ब्राउन टॉप बाजरा कहा जाता है। इसे मोटे अनाजों में सबसे दुर्लभ अनाज भी माना जाता है। फसल तैयार होने में 60 से 90 दिन का समय लगता है।
जब ब्राउन टॉप मिलेट फसल तैयार हो जाती है तब इसके पौधे की ऊंचाई 10 से 70 सेंटीमीटर तक होती है। वहीं पत्तों की लंबाई 2 से 25 सेंटीमीटर तक और चौड़ाई 4 से 14 मिलीमीटर तक होती है। ब्राउन टॉप मिलेट कर्नाटक के तुमकुर, चित्रदुर्ग और चिक्काबल्लापुरा ज़िले और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले में अच्छे से तैयार होता है। उत्तर भारत में बुंदेलखंड में भी इसकी पैदावार होती है।
ब्राउन टॉप मिलेट फ़ार्मिंग गाइड: फसल की बुवाई और बीज
हरी कंगनी या ब्राउन टॉप बाजरा की फसल अप्रैल के मध्य से अगस्त महीने के बीच तक ज़्यादातार क्षेत्रों में लगाई जा सकती है। अगर कोई किसान इस फसल को अपने खेत में उगाना चाहता है तो एक एकड़ भूमि में 5 किलोग्राम बीज लगता है।
बीजों को प्रसारित विधि के अनुसार 11-12 किलो प्रति एकड़ बोएं, साथ ही बीज क्यारी में आधा इंच की गहराई तक ढकें। बुवाई से पहले बीज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो देना चाहिए। बता दें कि छोटी कंगनी की बुवाई जून-जुलाई में खरीफ़ मौसम में और सितंबर से अक्टूबर में रबी मौसम में करनी चाहिए।
ब्राउन टॉप मिलेट के लिए जलवायु और मिट्टी
ब्राउन टॉप बाजरा को अलग-अलग तरह की मिट्टी और जलवायु में उगाया जाता है। इसे शुष्क मौसम और छायादार स्थानों पर उगाया जा सकता है। इस फसल की ख़ासियत ये है कि ये शुष्क परिस्थितियों में सही से उगता है।
ब्राउनटॉप बाजरा 1 से 3 फीट लंबा और चिकने तनों में रोएंदार गांठें होती हैं। बीज गोल और भूरे रंग के होते हैं जो लगभग 60 दिनों में तैयार हो जाते हैं। ब्राउन टॉप बाजरा के बीजों को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/किग्रा के साथ उपचारित करना चाहिए।
ब्राउन टॉप मिलेट की खेती में सिंचाई
बता दें कि बाजरा मुख्य रूप से खरीफ़ मौसम की फसल होती है जिसे कम सिंचाई की ज़रूरत होती है। वहीं अगर सूखा मौसम ज़्यादा वक्त तक रहता है तो इस ब्राउन टॉप फसल को 1 से 2 सिंचाई देनी चाहिए।
ब्राउन टॉप मिलेट फसल के लिए खरपतवार कंट्रोल
किसी भी अच्छी फसल के लिए उसका खरपतवार मुक्त होना बहुत ज़रूरी होता है। ब्राउन टॉप मिलेट की फसल में निराई दो-बार की जानी चाहिए। पहली निराई गुड़ाई के 15 दिनों के बाद और अंकुर निकलने के 15 से 20 दिन बाद करनी चाहिए।
ब्राउन टॉप मिलेट फसल की कटाई
हरी कंगनी बाजरा में जल्दी पकने की ताकत होती है, इसलिए 75 से 80 दिन में फसल तैयार हो जाती है। बताते चलें कि देश के कई किसान इसे पशुओं के चारे के लिए भी उगाते हैं।
ब्राउन टॉप मिलेट की उपज
ब्राउन टॉप बाजरा या सिग्नलग्रास फसल प्रति एकड़ लगभग 7 से 8 क्विंटल अनाज देती है। वहीं चार ट्रैक्टर लोड अच्छी गुणवत्ता वाले चारे की उपज देती है।
ब्रॉउन टॉप मिलेट खाने के फ़ायदे
ब्रॉउन टॉप मिलेट में कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, प्रोटीन, मैगनिज, कैल्शियम, थयामिन, विटामिन, आयरन, फास्फोरस, फाइबर, रिबोफ्लेविन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। ये पेट, गठिया, ब्लड प्रेशर, थायराइड, आांखों की परेशानी के साथ ही मोटापे की समस्या को भी दूर करता है।
ब्रॉउन टॉप मिलेट अल्सर, पाइल्स, ब्लड से रिलेटेड प्रॉब्लम्स, हड्डियों की होने वाली बीमारी, स्तन, त्वचा के कैंसर, आंत की बीमारी के इलाज के लिए भी फायदेमंद है।
ब्रॉउन टॉप बाजरा में जबरजस्त एंटी कैंसर क्विलिटी मौजूद होती है। एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन B-17 कैंसर से बचाने में हेल्प करता है।
ब्रॉउन टॉप मिलेट में मौजूद फाइबर ग्लूकोज़ को ब्लड में धीरे धीरे रिलीज़ करता है, जिसके कारण शुगर की मात्रा कंट्रोल होती रहती है।
ये भी पढ़ें: Millets Products: मिलेट्स से कई बेकरी उत्पाद किए तैयार, संसद भवन पहुंचा मोटे अनाज से बना केक