Crops To Grow In Mixed Farming: जानिए मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं

जानते हैं कि मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं (Crops To Grow In Mixed Farming) जो आपकी खेती में सबसे कारगर साबित हो सकती हैं।

मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं mixed farming crops

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही खेत में दो अलग-अलग फ़सलें उगाई जा सकती हैं? जी हां, एक खेत में किसान दो फ़सलों को एक साथ उगा सकते हैं। यही है मिश्रित फ़सल की खेती का कमाल! इसे अंग्रेजी में Mixed-Farming कहते हैं। इस तकनीक में एक फ़सल के साथ-साथ दूसरी फ़सल भी बोई जाती है। कमाल की बात है कि ये फ़सलें एक-दूसरे की मददगार भी होती है। मिश्रित खेती शुरू करने से पहले किसानों को कुछ ज़रूरी बातों को जान लेना अहम है। जैसे- कौन-कौन सी फ़सलें आपस में मेल खाती हैं? कौन सी फ़सलों को एक साथ उगाने से बेहतर नतीजे मिल सकते हैं। मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं, इसे लेकर हम इस लेख में जानेंगे।

तो चलिए, जानते हैं कि मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं (Crops To Grow In Mixed Farming) जो आपकी खेती में सबसे कारगर साबित होंगी।

मिश्रित खेती में कौन-कौनसी फ़सलें उगाएं? (Crops To Grow In Mixed Farming)

मिश्रित खेती में एक साथ उगाई जा सकने वाली कुछ फ़सलों के जोड़े इस प्रकार हैं-

अनाज और फलियां: मक्का, ज्वार या बाजरा जैसी फ़सलें बीन्स, मटर या मूंगफली जैसी फलियों के साथ उगाई जा सकती हैं। फलियां मिट्टी में नाइट्रोजन को स्थिर करने में मदद करती हैं, जिससे अनाज की फ़सलों को फ़ायदा होता है।

सब्जियां और कवर फ़सलें: टमाटर, मिर्च या पत्तेदार साग जैसी सब्ज़ियों की फ़सलें. क्लोवर (Clover), बकव्हीट (Buckwheat) जैसी तेज़ी से बढ़ने वाली कवर फ़सलों के साथ उगाई जा सकती हैं। कवर फ़सलें खरपतवारों को दबाने और मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

जड़ वाली फ़सलें और पत्तेदार सब्जियां: गाजर, मूली या चुकंदर जैसी ज़मीन के अंदर उगने वाली सब्जियों के साथ पालक, सलाद जैसी पत्तेदार सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इन फ़सलों की अलग-अलग जड़ें ज़मीन का बेहतर उपयोग करती हैं।

बारहमासी और सालाना फ़सलें: फलदार पेड़ या अखरोट के पेड़ जैसी लंबी अवधि की फ़सलों के साथ अनाज या सब्जियां जैसी सालाना फ़सलें उगाई जा सकती हैं। इस तरह एक ही ज़मीन से कई तरह की उपज ली जा सकती हैं।

इस बात का ध्यान रहे कि मिश्रित खेती के लिए फ़सलों का चुनाव कई बातों पर निर्भर करता है। जैसे, मौसम, मिट्टी की हालत, उगाने का वक़्त और किसान के लक्ष्य। ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि चुनी गई फ़सलें एक-दूसरे के अनुकूल हों और संसाधनों के लिए ज़्यादा प्रतिस्पर्धा (Competition) न करें। इसके लिए सोच-समझकर योजना बनानी होगी और सावधानी से प्रबंधन (Management) करना होगा।

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गेहूं के साथ संतरे की मिश्रित खेती करके बढ़ाएं आमदनी (Mixed Farming  Of Oranges With Wheat)

गेहूं के साथ संतरे की खेती करके आपकी आमदनी बढ़ सकती है। सबसे पहले गेहूं की खेती के साथ संतरे का बगीचा लगाने के लिए आपको ज़मीन में अच्छी तरह से गड्ढे खोदने होंगे। इन गड्ढों में जैविक खाद या गोबर की खाद का इस्तेमाल करना होगा। फिर उसके साथ संतरे के पेड़ लगाएं। 1 एकड़ में 80-100 पेड़ आसानी से लग सकते हैं। 12×12 इन पेड़ों के बीच की सही दूरी होती है। अगर इसमें दूसरी खेती करना हो तो दूरी बढ़ाकर 12×15 या 12×18 भी कर सकते हैं।

इसके बाद 3 साल तक ड्रिप द्वारा या खुले पानी द्वारा इसकी सिंचाई की जाती है। वैसे ड्रिप से ज़्यादा आसानी होती है। गेहूँ में एक एकड़ में 20 क्विंटल की पैदावार हो जाती है, साथ ही संतरों के पेड़ों से भी डबल फसल मिल जाती है। साल में इस पर 2 बार फूल आते हैं। जून वाले संतरे के फूल ज़्यादा ठीक रहते हैं और ये गर्मी में फसल दे देते हैं। जून वाले में ज्यादा फ़ायदा भी होता है। गेहूं के साथ आलू, प्याज, लहसुन, मसूर आदि की खेती भी आप कर सकते हैं। 3 एकड़ में संतरे की खेती से 3-4 लाख तक का मुनाफ़ा कमाया जा सकता है।

रामजी शर्मा ने बनाया मिश्रित खेती का बेहतरीन मॉडल (Mixed Farming Model)

एक ही फसल लगाने पर कई बार किसानों को नुकसान भी हो सकता है, लेकिन जब वे कई तरह की फसलें लगाते हैं यानी मिश्रित खेती करते हैं तो नुकसान की आशंका न के बराबर रहती है। रामजी शर्मा ने जिस तरह से अपनी खेती में मिश्रित खेती अपनाई है, वह कई किसानों के लिए मिसाल है।

रामजी आलू, पत्तागोभी, प्याज, मूली, मक्का, गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं। वे साल में तीन फसलें लेते हैं। रामजी किसानों को मिश्रित खेती करने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि एक ही फसल की खेती करने पर नुकसान की आशंका ज़्यादा रहती है। इसलिए फसल चक्र और कई फसलों की खेती करना हर तरह से फ़ायदेमंद है। मिश्रित खेती करने पर अगर एक फसल से आमदनी नहीं भी हुई तो अन्य फसलों से लाभ कमाने की संभावना रहती है। अच्छे बीज, समय पर बुवाई और सही योजना की बदौलत रामजी को सालाना 20-30 लाख रुपये का मुनाफ़ा हो जाता है। 

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मिश्रित खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

सवाल 1: मिश्रित खेती और मिश्रित फ़सल में क्या फ़र्क़ है?

जवाब: मिश्रित खेती:

– एक ही खेत में कई तरह की फ़सलें उगाना।

– इससे मिट्टी अच्छी रहती है और ज़्यादा पैदावार होती है।

– अगर एक फ़सल खराब हो जाए तो दूसरी फ़सल से नुकसान कम हो जाता है।

मिश्रित फ़सल:

– एक ही जगह पर एक साथ दो या ज़्यादा फ़सलें उगाना।

सवाल 2: मिश्रित खेती में कौन सी फ़सलें उगाई जाती हैं?

जवाब: मिश्रित खेती आम तौर पर छोटे आकार के खेतों में की जाती है। इसमें गेहूं, जौ, जई, राई जैसी फ़सलें उगाई जाती हैं। कुछ लोग बारी-बारी से अलग-अलग फ़सलें उगाते हैं, जैसे: शलजम या आलू, मटर, सेम या तिपतिया घास। इससे मिट्टी लंबे समय तक अच्छी रहती है।

सवाल 3: मिश्रित फ़सल के लिए फ़सलों को कैसे चुना जाता है?

जवाब: मिश्रित फ़सल के लिए फ़सलों का चयन दोनों फ़सलों की पूरक आवश्यकताओं पर आधारित होता है। इसका मतलब है कि दोनों फ़सलों के लिए पोषक तत्व और खनिज की आवश्यकताएं अलग-अलग हैं।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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