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Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: अपने देश में खाना पकाने का तेल रसोई का सबसे अहम हिस्सा है, इसके बिना तो खाने का स्वाद ही नहीं आता। चाहे वो नॉर्थ इंडिया हो या फिर साउथ इंडिया हर घर में कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। आज के वक्त में मार्केट में कई तरह के तेल मौजूद हैं, जिससे ये समझ में नहीं आता है कि कौन सा कुकिंग ऑयल बेहतर है। सभी तेलों की अपनी-अपनी ख़ासियतें होती हैं और मौसम विशेष के हिसाब से उनका उत्पादन भी किया जाता है।
Rice Bran Oil vs Sunflower Oil: क्या है ख़ासियत?
भारत में सरसों के तेल के साथ सूरजमुखी (Sunflower) का तेल भी खाना पकाने में इस्तेमाल होता है, लेकिन पिछले कुछ वक्त से कई बड़ी कंपनियां ‘धान की भूसी का तेल’ यानि ‘राइस ब्रॉन ऑयल’ (Rice Bran Oil) का ऑप्शन लेकर आ रही हैं, जो सेहत के लिए भी फ़ायदेमंद होता है। इसके लाभ को देखते हुए ये ऑयल हेल्थ एक्सपर्ट की पसंद बन चुका है।
दूसरी ओर सूरजमुखी की खेती दुनियाभर में होती है क्योंकि सूरजमुखी हर तरह की मिट्टी और जलवायु में फसल देता है। सिंचाई की भी कम ज़रूरत होती है, साथ ही सूरजमुखी की खेती कम लागत में आसानी से की जा सकती है। बाज़ार में भी इसके अच्छे दाम मिलते हैं। आइये जानते हैं कि राइस ब्रान ऑयल और सनफ्लावर ऑयल के बारे में, इसके मार्केट और फ़ायदों के में विस्तार से जानते हैं।
भारत में खाद्य तेलों की खपत और निर्यात (Consumption And Export of Edible Oils In India)
देश में लगभग 250 लाख टन खाद्य तेलों की खपत होती है, जिसमें घरेलू उत्पादन 80 लाख टन का है, वहीं बाकी दो-तिहाई खपत को पूरा करने के लिए भारत सरकार इंपोर्ट करती है। इसमें राइस ब्रान ऑयल की हिस्सेदारी क़रीब 14 फ़ीसदी ही है। वहीं सूरजमुखी का तेल कर्नाटक राज्य में 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 3.04 लाख टन उत्पादन किया जाता है, जो देश का सबसे बड़ा सूरजमुखी उत्पादन करने वाला राज्य है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा और तमिलनाडु हैं।
बता दें कि भारत हर साल 25 लाख टन सूरजमुखी तेल का आयात करता है। इसमें से 70 फ़ीसदी यूक्रेन से 20 फ़ीसदी रूस से और बाकी 10 फ़ीसदी अर्जेंटीना से आयात किया जाता है। भारत जितने भी तेलों का आयात करता है, उनमें पॉम ऑयल या पॉमोलीन सबसे ज़्यादा करीब 80 फ़ीसदी है। अगर बात करें भारत में गैर-परम्परागत खाद्य तेलों की तो राइस ब्रान ऑयल का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है। राइस ब्रान ऑयल धान से निकाला जाता है, जिसे किसान मंडियों में बेचते हैं या राइस मिलों में बेचते हैं। धान की भूसी से तेल का उत्पादन होता है, लेकिन इसके दाम से किसानों को सीधे लाभ नहीं मिल पाता है।
राइस ब्रान ऑयल के फ़ायदे (Benefits Of Rice Bran Oil)
राइस ब्रान ऑयल सोने जैसा चमकता है। इस तेल में चावल की हल्की खुशबू होती है, लेकिन ये स्वादहीन होता है। इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद माना जाता है। WHO के अनुसार, चावल की भूसी का तेल कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखता है। राइस ब्रान ऑयल में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। साथ ही एंटीऑक्सिडेंट गुण भी पाये जाते हैं। पॉली-अनसेचुरेटेड फैट और मोनो-अनसैचुरेटेड फैट भी बराबर मात्रा में होता है।
बता दें कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), इंडियन काउन्सिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ न्यूट्रिशन (NIN) की ओर से भी कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए इस तेल के इस्तेमाल की सिफ़ारिश की गई है, क्योंकि इस तेल को खाने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मज़बूत होती है, असमय बूढ़ा होने से बचने के लिए, न्यूरो-डिजेनेरेटिव के लक्षण को स्लों करने में लाभकारी माना जाता है।
सूरजमुखी तेल के फ़ायदे (Benefits Of Sunflower Oil)
सनफ्लावर ऑयल सूरजमुखी के बीजों को दबाकर निकाला जाता है। ये तेल हल्के सुनहरे रंग का होता है। इसमें कम सैचुरेट फैट और उच्च मात्रा में PUFA होता है। इसके अलावा, इसके तेल का इस्तेमाल दवाओं में भी किया जाता है। सूरजमुखी के तेल में करीब 64 फ़ीसदी लिनोलिक अम्ल होता है, जो हार्ट के कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। सूरजमुखी की खली में 40 से 44 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है। इसका इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने में भी होता है।
सूरजमुखी की खेती (Farming Of Sunflower)
खेती की उन्नत तकनीकों को किसान अपनाकर सूरजमुखी की खेती में अच्छी पैदावार कर सकते हैं। असिंचित इलाकों में सूरजमुखी की पैदावार 12-15 क्विंटल और सिंचित इलाकों में 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की शानदार उपज मिलती है। इसीलिए सूरजमुखी की खेती को ज़्यादा से ज़्यादा अपनाना किसानों के लिए बढ़िया मुनाफ़े का सौदा साबित होता है।
राइस ब्रान ऑयल की प्रोसेसिंग (Rice Bran Oil Processing)
धान की भूसी से तेल निकालने के लिए केमिकल सोलवेंट प्रोसेस या सीधे धान के भूसे की पेराई के तरीके को अपनाया जाता है। भूसे की सीधे पेराई से कम ‘राइस ब्रान ऑयल’ मिलता है, इस पेराई की प्रक्रिया को ‘मेकैनिकल मेथड’ कहते हैं। बड़े पैमाने पर ‘राइस ब्रान ऑयल’ के प्रोडक्शन के लिए Chemical Solvent तरीका अपनाया जाता है। इससे किसानों को इनडायरेक्ट फ़ायदा मिलता है, क्योंकि धान की भूसी को किसान चावल मिलों को बेच देते हैं। जिसके बाद इसकी प्रोसेसिंग होती है। बता दें कि चावल की भूसी का तेल चावल की पहली परत से निकाला जाता है, जिसे भूसी कहते हैं। ये 232 डिग्री सेल्सियस पर आकर तेल के रूप में प्राप्त होता है।
राइस ब्रान ऑयल का बाज़ार विश्लेषण (Market Analysis Of Rice Bran Oil)
राइस ब्रान ऑयल के मार्केट की बात करें तो साल 2024 में 532.67 मिलियन लीटर होने का अनुमान है। साल 2029 तक 714.18 मिलियन लीटर तक पहुंचने की उम्मीद है। ये वैश्विक बाज़ार के आंकड़े हैं। एशिया-प्रशांत व्यंजनों में खाना पकाने में राइस ब्रान ऑयल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
भारत सरकार के ‘अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय’ का अनुमान है कि भारत में चावल की पैदावार लगभग 2.6 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर लगभग 2.7 हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो जाएगी, जिससे ‘चावल की भूसी के तेल’ (Rice Bran Oil) के बाज़ार का और विस्तार होगा। नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (NAFED) ने राइस ब्रान ऑयल की एक चेन शुरू करने की घोषणा की है, जो ऑर्गेनिक इंग्रेडिएंट्स का सप्लिमेंट है।
राइस ब्रान ऑयल के लिए भारत सरकार की नीति (Government of India’s Policy For Rice Bran Oil)
राइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के खाद्य और आपूर्ति विभाग के नेफेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation Limited) ने फोर्टिफाइड ब्रैन राइस ऑयल भी लॉन्च किया हुआ है। राइस ब्रैन ऑयल की मार्केटिंग सभी नेफेड स्टोर्स और कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर की जा रही है। वहीं सरकार ने FCI (भारतीय खाद्य निगम) के क्षेत्रीय कार्यालयों को दिये निर्देश के तहत राइस मिल मालिकों के साथ कार्यशालाएंआयोजित की जा रही हैं। इसके अंतर्गत राइस ब्रान ऑयल से होने वाले मुनाफ़े और उत्पादन के बारें में बताया जा रहा है। साथ ही राइस मिल में इस संबंध में तकनीकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रणनीति भी बनाकर दी जा रही है।
FCI का राइस ब्रान ऑयल के प्रोडक्शन का आकलन (FCI’s Assessment Of Rice Bran Oil Production)
हाल ही में भारतीय खाद्य निगम से केंद्र सरकार ने राइस मिलों की संख्या, उनकी मिलिंग क्षमता, धान के भूसी की मात्रा और तेल के लिए भूसी की मात्रा का ब्यौरा देने को कहा है, जिससे राइस ब्रान ऑयल के प्रोडक्शन के लिए कितनी क्षमता बढ़ाने की ज़रूरत है, इसका आकलन किया जाएगा।
राइस ब्रान ऑयल को बढ़ावा (Promotion Of Rice Bran Oil)
भारत इस कोशिश में लगातार लगा हुआ है कि देश तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सके। घरेलू मांग की पूर्ति के लिए सालाना 65 से 70 हज़ार करोड़ रुपये का खाद्य तेल इंपोर्ट करना पड़ता है। अब सरकार की कोशिश है कि पॉम ऑयल की जगह राइस ब्रान ऑयल के इस्तेमाल को बढ़ावा मिले, ताकि पॉम ऑयल पर निर्भरता कम हो।
राइस ब्रान ऑयल का देश में उत्पादन (Production Of Rice Bran Oil)
देश में ‘राइस ब्रान ऑयल’ का प्रोडक्शन सरकारी आंकड़ों के आधार पर 18 लाख टन है। इसे और बढ़ाने का लक्ष्य है। इसके अंतर्गत सभी मुख्य धान की खेती वाले राज्यों को मौजूद राइस मिलों की क्षमता बढ़ाने के लिए कहा गया है। तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों ने अतिरिक्त ‘राइस ब्रान ऑयल सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन प्लांट’ लगाने पर सहमति जताई है।
राइस ब्रान ऑयल को बेचने वाली भारतीय कंपनियां (Indian Companies Selling Rice Bran Oil)
- कारगिल इनकॉर्पोरेटेड
- अडानी विल्मर लिमिटेड
- रिसेला ग्रुप ऑफ कंपनीज
- इमामी एग्रोटेक लिमिटेड
- किंग राइस ऑयल ग्रुप
सनफ्लॉवर ऑयल का बाज़ार विश्लेषण (Sunflower Oil Market Analysis)
साल 2024-2032 के दौरान भारतीय सूरजमुखी तेल बाज़ार 7 फ़ीसदी की सीएजीआर (CAGR) प्रदर्शित करेगा। भारतीय घरों में सनफ्लॉवर ऑयल के इस्तेमाल की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसके बाज़ार को क्षेत्रीय स्तर पर उत्तर भारत, पश्चिम और मध्य भारत, पूर्वी भारत और दक्षिण भारत में वर्गीकृत किया गया है, जहां पश्चिम और मध्य भारत में आज के वक्त में सूरजमुखी तेल बाज़ार पर हावी है।
लीडिंग मार्केट रिसर्च कंपनी, IMARC ग्रुप (The International Market Analysis Research and Consulting Group) ने भारत सूरजमुखी तेल बाज़ार और पूर्वानुमान को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सूरजमुखी तेल बाज़ार में 2023-2028 के दौरान 7.3 फीसदी दर (CAGR) होने की उम्मीद है। बताते चलें कि मध्य-ओलिक तेल और उच्च-ओलिक तेल श्रेणी सूरजमुखी तेल बाजार में इस क्षेत्र का नेतृत्व करती है।
सनफ्लॉवर ऑयल को बेचने वाली भारतीय कंपनियां (Indian Companies Selling Sunflower Oil)
- अदाणी मिल्मर लिमिटेड
- रूचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड
- एग्रो टेक फूड लिमिटेड
- जेमिनि इडबल व फैट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- मदरडेरी फूड्स और वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड
सनफ्लॉवर ऑयल और राइस ब्रान ऑयल के बीच मुख्य अंतर (Sunflower Oil Vs Rice Bran Oil)
- सनफ्लॉवर के बीज को सूरजमुखी तेल निकालने के लिए संसाधित किया जाता है। दूसरी तरफ चावल के दाने को ढकने वाली बाहरी परत को राइस ब्रान ऑयल निकालने के लिए संसाधित किया जाता है।
- भारत, चीन, वियतनाम, जापान और थाईलैंड सूरजमुखी तेल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं, जबकि रूस और यूक्रेन राइस ब्रान ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक देश हैं।
- सूरजमुखी तेल की एक खुराक से 124 कैलोरी मिलती है, जबकि राइस ब्रान ऑयल की एक डाइट से 120 कैलोरी मिलती है।
- एक चम्मच सनफ्लॉवर ऑयल में 6 ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड वसा होता है, जबकि राइस ब्रान तेल में पांच ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है।
- इन दोनों तेल में विटामिन ई पाया जाता है। सूरजमुखी तेल में प्रति सेवन 37 फीसदी विटामिन ई और चावल की भूसी के तेल में एक चम्मच में 29 प्रतिशत विटामिन-ई पाया जाता है।