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अभी खरीफ़ सीज़न (Kharif crop) चल रहा है, इसको ख़्याल में रख कर हम आपको बताएंगे की कृषि में फ़सल चक्र को समझते हुए कैसे अपनी खेती में सुधार कर सकते हैं और पैदावार को बढ़ा सकते हैं। पहले के ज़माने में, जब खेतों में ज़्यादा केमिकल नहीं डाले जाते थे, किसान फ़सल चक्र (Crop rotation) का इस्तेमाल करते थे। ये तरीका ख़ासकर बरसात के मौसम में बोई जाने वाली फ़सलों के लिए बहुत काम आता था।
खरीफ़ की फ़सलों में चावल, मक्का और बाजरा शामिल है जो बरसात शुरू होते ही बोई जाती हैं और सर्दी आने से पहले काट ली जाती हैं। इस दौरान फ़सल चक्र (Crop rotation) अपनाकर किसान अपने खेत को कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं। जैसे कि मिट्टी का बहना, घास-फू़स का ज़्यादा उगना और कीड़े-मकोड़ों का हमला। आजकल भले ही ये तरीका कम इस्तेमाल होता है, लेकिन खरीफ़ की फ़सलों के लिए इसके कई फ़ायदे हैं। ये तकनीक खेत और पर्यावरण दोनों के लिए अच्छी है।
अच्छी बात ये है कि आजकल वैज्ञानिक और किसान मिलकर इस तरीके को और बेहतर बनाने की कोशिश में लगे हैं। नई-नई डिवाइस की हेल्प से अब ये पता लगाना आसान हो गया है कि बरसात के मौसम में कौन सी फ़सल कब और कैसे बोनी चाहिए। इससे दुनियाभर के किसानों को कृषि में फ़सल चक्र (Crop Rotation In Agriculture) अपनाने में मदद मिल रही है। तो चलिए, इस कारगर तरीके के बारे में और जानते हैं, जो आज भी सभी फ़सलों के लिए बहुत ज़रूरी है।
कृषि में फ़सल चक्र क्या होता है? (What Is Crop Rotation In Agriculture?)
फ़सल चक्र (Crop rotation) का मतलब है कि एक खेत में कई फ़सलों को एक व्यवस्थित तरीके से लगाया जाता है। इस प्रोसेस का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति (Soil Fertility) को बनाए रखना है। हर एरिया की मिट्टी, जलवायु और वातावरणीय परिस्थितियां (Climate and environmental conditions) अलग होती हैं। इसलिए फ़सल चक्र (Crop rotation) भी क्षेत्र के अनुसार बदलता रहता है। कहीं गेहूं के बाद आलू उगाना फ़ायदेमंद हो सकता है, तो कहीं दलहन फ़सलें लगानी बेहतर होगी।
एक समझदार और अनुभवी किसान अपने खेत के लिए सही फ़सल चक्र (Crop rotation) को चुनकर अच्छी पैदावार और फायदा उठा सकता है। मिट्टी की उर्वरक शक्ति बनाए रखने के साथ-साथ फसलों की भी बेहतर देखभाल की जा सकती है। इसलिए फ़सल चक्र (Crop rotation) किसानों के लिए एक अहम है। इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि प्रकृति का भी संरक्षण होगा।
फ़सल चक्र क्यों ज़रूरी है? (Why Is Crop Rotation Important?)
- फ़सल चक्र (Crop rotation) मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने में मदद करता है। अलग-अलग फसलें विभिन्न पोषक तत्वों को सोखती हैं। जब हम बारी-बारी से फसलें उगाते हैं तो मिट्टी में पोषक तत्व संतुलित रूप से मौजूद रहते हैं।
- फ़सल चक्र (Crop rotation) अपनाकर कीट और बीमारियों पर कंट्रोल किया जा सकता है। कई कीट और बीमारियां किसी ख़ास फ़सल से जुड़ी होती हैं। अगर हम लगातार उसी फ़सल को उगाएंगे तो वे बहुत तेजी से फैल जाएंगी। फ़सल बदलते रहने से उनका असर कम होता है।
- फ़सल चक्र (Crop rotation) मिट्टी की सेहत को भी बेहतर बनाता है। इससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है, जैविक तत्व बढ़ते हैं और मृदा क्षरण कम होता है। अंत में, इन सभी कारणों से फसल की पैदावार भी बढ़ती है।
- फ़सल चक्र की वजह से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है, कीट और बीमारियों पर कंट्रोल रहता है और पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मौजूद होते हैं। इसलिए फसलों का उत्पादन भी बढ़ता है।
तो, ये फ़सल चक्र (Crop rotation) न केवल किसानों के लिए लाभकारी है बल्कि पर्यावरण के लिए भी फ़ायदेमंद है।
खरीफ़ मौसम में फ़सल चक्र की अहमियत (Importance Of Crop Rotation In Kharif Season)
खरीफ के मौसम में फसल चक्र की अहम भूमिका है। जैसे –
पोषक तत्वों का प्रबंधन करना : अलग-अलग फ़सलों की पोषक तत्व की जरूरतें अलग-अलग होती हैं। फ़सलों को बारी-बारी से लगाना ज़मीन में मौजूद पोषक तत्वों को संतुलित रखने में मदद करता है और बहुत ज़्यादा खाद डालने की जरूरत भी नहीं पड़ती।
कीट और बीमारियों पर कंट्रोल : खरीफ फ़सल में एक ही चीज़ की फ़सल को बार-बार एक ही जगह उगाने से उस फ़सल में कीट और बीमारियां बढ़ सकती हैं। अलग-अलग फ़सलें उगाने से इन कीट और बीमारियों का चक्र टूटता है और कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत कम होती है।
मिट्टी की बनावट में सुधार: फसलों की जड़ें अलग-अलग गहराई तक फैलती हैं। अलग-अलग खरीफ की फसलें लगाने से मिट्टी की संरचना में सुधार होगा क्योंकि ज़मीन के नीचे की सख़्त परत टूटेगी और मिट्टी में हवा और पानी की आवा-जाही बेहतर होगी।
विविधता और जोखिम कम होना: फसल चक्र अपनाने से किसान अलग-अलग खरीफ की फसलें उगा सकते हैं और एक ही फसल पर निर्भर नहीं रहेंगे। इससे मौसम, बाज़ार या दूसरे कारणों से फसल खराब होने के जोखिम से भी बच सकते हैं।
खरपतवारों पर कंट्रोल: कुछ फ़सलें कुछ खास खरपतवारों को नियंत्रित करने में अच्छी होती हैं। खरीफ की फ़सलों को समय के अनुसार बदलते रहने से खरपतवारों का जीवन चक्र बाधित होता है और वे बढ़ नहीं पाते हैं इस तरह फ़सल चक्र (Crop rotation) अपनाने से किसान मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रख सकते हैं, रासायनिक खादों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम कर सकते हैं, और खरीफ फ़सलों की पैदावार व्यवस्था तो और बेहतर बना सकते हैं।
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खरीफ़ फ़सलों के नाम और बुवाई का समय (Names Of Kharif Crops and Sowing Time)
धान, मक्का, बाजरा जैसी खरीफ की फ़सलें गर्मियों के बाद बरसात के मौसम में जून-जुलाई महीने में बोई जाती हैं। इनकी कटाई अक्टूबर के आसपास होती है। इस समय मिट्टी में नमी और पोषक तत्व होते हैं जो इन फसलों के विकास के लिए ज़रूरी होते हैं। लेकिन अगर हम हर साल एक ही तरह की फसल उगाते रहेंगे तो मिट्टी के कुछ पोषक तत्व कम हो जाएंगे और कुछ बढ़ जाएंगे।
इससे मिट्टी का संतुलन बिगड़ जाएगा। इसलिए खरीफ फसलों के लिए एक अच्छा फसल चक्र बनाना बहुत ज़रूरी है। इससे न सिर्फ़ फसल अच्छी होगी बल्कि लंबे समय तक खेती करना भी संभव रहेगा।
फ़सल चक्र व खरीफ़ की फ़सल पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल : फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
जबाव : फ़सल चक्र एक बेहतरीन तरीका है जिससे किसान मिट्टी की उर्वरता को बनाए रख सकते हैं और कई समस्याओं से बच सकते हैं। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है, मिट्टी क्षरण कम होता है और मिट्टी की सेहत भी अच्छी रहती है। साथ ही, फ़सल चक्र से कीट और बीमारियों से भी बचा जा सकता है।
सवाल : फ़सल चक्रण (Crop Rotation) का सिद्धांत क्या है?
जबाव : फ़सल चक्रण का मतलब है कि एक ही खेत में आप लगातार अलग-अलग फसलें उगाते रहें। इससे खेत की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलती है। जैसे कि मिट्टी की बनावट और पोषक तत्वों को बनाए रखना। साथ ही, इससे कीटों और बीमारियों का प्रकोप भी कम हो जाता है।
सवाल : फ़सल चक्र (Crop Rotation) अपनाने के फ़ायदे क्या-क्या हैं?
जबाव : फसल चक्र अपनाने से कई फ़ायदे होते हैं जैसे:
1) फ़सल की पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
2) बीमारियों और कीटों से फ़सलों की रक्षा होती है।
3) मिट्टी की बनावट में सुधार आता है।
4) किसानों को पूरे साल आमदनी मिलती रहती है।
सवाल : रबी और खरीफ़ की फ़सलें कौन-कौन सी हैं?
जबाव : रबी की प्रमुख फसलें हैं – गेहूं, जौ, आलू, चना, मसूर, अलसी, मटर और सरसों आदि।
खरीफ़ की मुख्य फसलें हैं – धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उड़द, तुअर, कुलथी, जूट, सन और कपास वगैरह।
सवाल : खरीफ़ की फ़सल का समय कब होता है?
जबाव : खरीफ़ की फ़सलों जैसे धान, मक्का, बाजरा वगैरह को गर्मियों के बाद जून-जुलाई के मानसून के महीनों में बोया जाता है। इनकी कटाई अक्टूबर के आसपास शुरू होती होती है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।