लाख की खेती | हमारे देश में दो तरह के लाख पाए जाते हैं कुसुमी लाख और रंगीन लाख। कुसुम के पेड़ पर पाए जाने वाले लाख को कुसुमी लाख और बेर या पलाश के पेड़ पर पैदा होने वाले लाख को रंगीन लाख कहा जाता है। कुसुम के पेड़ से पैदा होने वाले लाख अच्छी क्वालिटी के होते हैं और बाज़ार में इनकी अच्छी कीमत मिलती है। इसलिए विशेषज्ञ किसानों को कुसुम के पेड़ पर ही लाख की खेती की सलाह देते हैं। हमारे देश में लाख का उत्पादन मुख्य रूप से झारखण्ड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में किया जाता है। झारखंड में लाख का सबसे ज़्यादा उत्पादन होता है।
लाख क्या है?
लाख केरिना लाका नामक कीट से उत्पन्न होने वाली कुदरती राल है। लाख के कीट पलास, कुसुम और बेर के पेड़ों पर पाले जाते हैं। ये कीट पेड़ की कोमल शाखाओं का रस चूसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। कीट अपनी हिफाज़त के लिए राल का स्राव कर कवच बना लेते हैं। इससे ही लाख होता है। ये पेड़ की टहनियो पर चिपक जाता है और टहनी काटने के बाद खुरचकर निकाला जाता है। साल में दो बार लाख प्राप्त की जाती है। कुसुम के पेड़ में जुलाई के पहले हफ़्ते में कुसमी लाख के कीट चढ़ाए जाते हैं और दिसंबर में उत्पादन लिया जाता है। लाख का उत्पादन अगहन के महीने में लिया जाता है इसलिए इसे अगहनी लाख भी कहा जाता है। जनवरी के महीने में भी कुसुम पेड़ में लाख के कीट चढ़ाए जाते हैं और इससे जून में उत्पादन प्राप्त होता है।
लाख का इस्तेमाल
लाख बहुउपयोगी है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से श्रृंगार के सामान, सील, चपड़ा, विद्युत कुचालक, वार्निश, फलों व दवा पर कोटिंग, पॉलिश और सजावटी चीज़े बनाने में किया जाता है। यानी इसे बहुत चीज़ों में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे किसानों को इसकी अच्छी कीमत मिल सकती है।
कुसुम के पेड़ पर कितना उत्पादन
कुसुम के पेड़ से करीब 50 से 100 किलो तक लाख प्राप्त किया जा सकता है। अच्छे उत्पादन के लिए पेड़ की कटाई-छंटाई ज़रूरी है, क्योंकि लाख के लिए कोमल और स्वस्थ टहनियां होनी ज़रूरी है। दरअसल, कोमल टहनियों पर ही लाख का अच्छा विकास होता है, क्योंकि वो इसे ही चूसकर विकसित होते हैं। कुसुम के पेड़ से उत्पादित लाख बाज़ार में 250 275 प्रति किलो बिकती है। इस तरह अगर मान लें कि प्रति पेड़ 70 से 80 किलो लाख का उत्पादन होता है तो एक पेड़ से ही किसान 20,000 रुपये की कमाई कर सकता है। अगर 10 पेड़ों पर लाख का उत्पादन किया जाए, तो सिर्फ 6 महीने के अंतराल में 2 से 2.5 लाख रुपये की कमाई आसानी से हो सकती है। यानी ये किसानों के लिए मुनाफ़े का सौदा है।
लाख का उत्पादन बेर और पलाश के पेड़ पर किया जा सकता है, लेकिन इसमें कुसुम की तुलना में उत्पादन कम होता है और कीमत भी कुसुमी लाख से कम मिलती है। लाख की खेती किसानों के लिए फ़ायदेमंद है, खासतौर पर आदिवासी किसानों के लिए और ऐसे किसान जिनके पास खेती योग्य ज़्यादा ज़मीन नहीं है।
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