देश का एक बड़ा वर्ग पशुपालन और डेयरी व्यवसाय (Dairy Farming) से जुड़ा हुआ है। आज के समय में डेयरी एक ऐसा सेक्टर है जो 8 करोड़ से ज़्यादा किसानों को रोज़गार प्रदान करता है। सरकार भी डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग (Dept. of Animal Husbandry & Dairying) ने स्टार्टअप इंडिया (Startup India) के साथ मिलकर ‘पशुपालन स्टार्टअप ग्रैंड चैलेंज’ (Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0) का दूसरा संस्करण लॉन्च किया है।
अक्सर पशुपालन और डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनकी लागत को कम कैसे किया जाए और उनके लिए डेयरी व्यवसाय को कैसे सुगम बनाया जाए, इसको लेकर विभाग ने इनोवेटिव आइडियाज़ के लिए आवेदन मांगे हैं। इस अभियान का उद्देश्य आधुनिक तकनीकों पर काम कर रहे युवाओं को पशुपालन क्षेत्र में आने के लिये प्रोत्साहित करना है। मंत्रालय ने इस प्रतियोगिता में कुल 6 चैलेंज रखे हैं।
पशुपालन और डेयरी उद्योग ने मांगा है इन 6 मुख्य चुनौतियों का हल:
1. वीर्य उत्पादन केंद्रों (Semen Production Centres) से किसानों के घरों तक गाय और भैंसों का सरंक्षित सीमन पहुंचाना एक बड़ी चुनौती रहता है। अगर आपके पास सीमन के ट्रांसपोर्टेशन और भंडारण की व्यवस्था का कोई इनोवेटिव समाधान है तो आप इस स्टार्टअप चैलेंज में अपने जवाब भेज सकते हैं।
🐂 @Dept_of_AHD is looking for viable preservation & transport solutions for semen doses.
🏆 If you have one, participate in the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0
🗓 Application ends: January 15, 2022
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2. मवेशियों की पहचान के लिए उन पर एक टैग लगाया जाता है। पशुपालन और डेयरी विभाग के एक अनुमान के मुताबिक, इनमें से 5 से 10 फ़ीसदी टैग खो जाते हैं। उनपर लिखी पहचान संख्या पढ़ना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए मवेशियों की पहचान के लिए कोई स्थाई विकल्प होना बहुत ज़रूरी है। अभी पशुओं की पहचान के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली तकनीक रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) बहुत महंगी पड़ती है। अगर आपके पास कोई लागत प्रभावी तकनीक या आइडिया है, जो पशुओं की पहचान कर सकता है, तो आप इस चैलेंज में भाग ले सकते हैं।
Share your innovative solutions with @Dept_of_AHD augmenting animal traceability through the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0.
🗓 Application ends: January 15, 2022
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3. दुग्ध पशुओं में कौन सा समय गर्भ धारण के लिए सही है, इसके लिए पशुपालक को मद चक्र (Fertility Period) की सही जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। पशुओं में Fertility Period का पता बाहर से कुछ विशेष लक्षणों को देख कर लगा सकते हैं। हालांकि, ये तरीका बड़ा कठिन और श्रम लागत बढ़ाने वाला होता है। भैंसों में तो मद चक्र के लक्षण की पहचान कर पाना और मुश्किल होता है। इस वजह से भैंसों के ब्याने की अवधि में काफ़ी अंतराल देखा जाता है। ऐसे में मंत्रालय ने सुझाव देते हुए बताया कि पश्चिमी देशों की डेयरियों में हीट माउंट डिटेक्टर (HMD) का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है। मवेशियों के गले में सेंसर युक्त पट्टे बांधे जाते हैं। इनकी मदद से मवेशियों की शारीरिक गतिविधियों का पता चलता है। समस्या यही है कि ये तकनीक भी महंगी पड़ती है। इसके लिए विभाग ने देश के किसानों के बजट में आने वाली हीट डिटेक्शन किट (Heat Detection Kits) की तकनीक के विकास को लेकर आइडियाज़ मांगे हैं।
🐄🏆 @Dept_of_AHD is looking for viable solutions that aid timely detection of estrus in cows. If you have one, apply for the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0 NOW!
🗓 Application ends: January 15, 2021
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4. किसानों के लिए प्रारंभिक अवस्था में मवेशियों के गर्भावस्था का पता लगाना संभव नहीं होता। पशुपालकों को मवेशी गर्भावस्था में है या नहीं, इसके लिए पशु चिकित्सालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। इसमें पैसे खर्च होते हैं। पशुपालकों की इसी समस्या के निदान के लिए विभाग ने गर्भावस्था निदान किट (Pregnancy Diagnosis Kits for Dairy Animals) विकसित करने को लेकर भी आवेदन मांगे हैं। विभाग को उम्मीद है कि इस तरह की किट की मदद से पशुओं के प्रबंधन की लागत में काफ़ी कमी आएगी।
🐂🏆 If you have developed a pregnancy detection kit for farm animals, participate in the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0.
🗓Apply by: January 15, 2022
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5. दूध संग्रह केंद्रों में जिन-जिन गांवों से दूध आता है, उन गांवों का पता लगाने के लिए कोई ट्रेसिंग की सुविधा नहीं है। विभाग ने ज़ोर दिया है कि ऐसे में देश के सभी गांवों को एक-एक कोड दिया जाना ज़रूरी है। इसके अलावा, टैंकर या ट्रक के ज़रिए जो दूध संग्रह केंद्रों से थोक में दूध कूलिंग केंद्रों तक पहुंचाया जा रहा है उसके रूट की भी कोई जानकारी नहीं रहती है। इसके लिए दूध टैंकरों/दूध परिवहन वाहनों को कोडेड और जीपीएस टेक्नॉलजी से लैस करना ज़रूरी है। साथ ही सभी डेयरी प्लांट्स को भी कोडेड किया जाना, आज के समय की मांग है। मौजूदा समय में दूध की आपूर्ति सुनिश्चित करने (Improvement of existing milk supply-chain) और गुणवत्ता सुधारने को लेकर अगर आपके पास आइडियाज़ हैं, तो आप इस चैलेंज का हिस्सा बन सकते हैं।
Have an innovative and viable solution for this challenge?👇🏻
Share it with @Dept_of_AHD via the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0 to win cash prizes & mentorship support. 🏆🐂
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6. पहाड़ी क्षेत्रों में किसान दूर-दराज इलाकों से दूध संग्रह केंद्रों पर पहुंचते हैं। दूध संग्रह केंद्र तक पहुंचने में ही कई घंटों का समय लग जाता है। उधर मैदानी इलाकों में भी किसानों को सप्लाई के लिए कोल्ड चेन की दिक्कत से दो-चार होना पड़ता है। इन अड़चनों से दूध की गुणवत्ता में गिरावट आती है और किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। मंत्रालय ने जानकारी दी कि FSSAI के नियमों के अनुसार, जानवरों के थन से दूध निकालने के बाद, दूध को एक बार ज़रूर स्वच्छ करना चाहिए। इसके लिए कम लागत वाली दूध संरक्षण प्रणाली (Milk Preservation System) की ज़रूरत है। अगर आपके पास इससे जुड़ा कोई आइडिया है तो आप शेयर कर सकते हैं।
🐄🏆 If you have worked on an innovative project providing a commercially viable solution to this challenge, enter the Animal Husbandry Startup Grand Challenge 2.0, NOW!
🗓Apply by January 15, 2022
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विजेताओं को मिलेगी इतनी इनामी राशि
प्रत्येक चैलेंज के विजेता को 10 लाख रुपये और उपविजेता को 7 लाख रुपये की इनामी राशि दी जाएगी। इसके साथ विजेताओं को ट्रेनिंग भी मुहैया कराई जाएगी। आपके आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए मंत्रालय विशेषज्ञ भी नियुक्त करेगी। इसके अलावा, मंत्रालय इनोवेटर्स के आइडियाज़ को बाज़ार में उतारने को लेकर भी काम करेगा।
कहां और कब तक कर सकते हैं आवेदन?
सरकार ने इस चैलेंज के पहले संस्करण को सितंबर 2019 में लॉन्च किया था। अगर आप भी डेयरी उद्योग से जुड़े हैं और किसी आइडिये पर काम कर रहे हैं तो आप www.startupindia.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आपको पहले खुद को रजिस्टर कराना होगा। रजिस्ट्रेशन के वक़्त आपसे आपका नाम, फोन नंबर, मेल आईडी मांगी जाएगी। ये सब भरने के बाद अपना एक पासवर्ड बना लें और फिर रजिस्टर पर क्लिक कर दें। लॉग इन के लिए पासवर्ड को याद रखें। रजिस्टर पर क्लिक करते ही आपकी मेल आईडी पर एक ओटीपी (OTP Password) आएगा उसको भर लें। इस तरह से आप रजिस्टर हो जाएंगे। फिर मेल आईडी और पासवर्ड डालकर प्लेटफॉर्म पर लॉगइन कर लें। डैशबोर्ड में मांगी गई सभी जानकारियां अच्छे से भर दें। आवेदन करने की अंतिम तिथि 15 जनवरी 2022 तक बढ़ा दी गई है।
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