आप तो जानते ही है कि बर्ड फ्लू कितनी तेजी से कई राज्यों में फैल चुका है। बर्ड फ्लू की वजह से राज्य में चिकन और अंडो पर बैन भी लगा दिया गया। चिकन और अंडों के बैन आने बाद मछली और मटन की डिमांड काफी तेजी से बढ़ गईं। अब सवाल यह है कि क्या मछली और मटन खाने में सेफ हैं या नहीं।
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बता दें 241 फिश फार्म पर की गई एक इंवेस्टिगेटिव स्टडी में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। जी हां, तकरीबन 10 राज्यों के 241 मछली फार्मों पर की गई इस स्टडी में पता चला है कि इन फार्मों में सीसा और कैडमियम अत्यधिक मात्रा में हैं जो स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा मानकों का गंभीर उल्लंघन करती है।
तमिलनाडु के कई शहरों में मछली फार्म में पानी की गुणवत्ता का सबसे खराब स्तर पाया गया, जबकि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के साथ-साथ पुडुचेरी के फार्म में उच्च स्तर का सीसा मिला है, जो इंसान के लिए काफी जानलेवा सबित हो सकता है। तमिलनाडु, बिहार और ओडिशा के मछली फार्म पर्यावरण के लिए सबसे अधिक नुकसान दायक पाए गए हैं।
अपने तो सुना ही होगा कि अधिकांश लोग कहते हैं कि मछली स्वस्थ के लिए काफी अच्छी होती है। दिन के खाने में मछली का सेवन जरूर करें। क्योंकि मछली में प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। डॉक्टर हमेशा ही प्रेग्नेंट महिलाओं को खाने में मछली शामिल करने की सलाह देते हैं।
एक्वाकल्चर सर्वे के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत फार्म बीमारी के प्रकोप को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इससे केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि मछलियों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा होता है।