Dairy Farming: जानिए क्या है एकीकृत डेयरी फ़ार्मिंग मॉडल, झारखंड की इस महिला ने अपने गाँव की आमदनी को किया दोगुना

झारखंड के बांका ज़िले की रहने वाली सविता देवी ने 2007 में, एक गाय से डेयरी व्यवसाय में कदम रखा था। आज वो अपने गाँव की एक सफल उद्यमी हैं और साथी किसानों को ट्रेनिंग देती हैं।

डेयरी व्यवसाय dairy farming

पशुपालन में महिलाओं का योगदान महज़ मदद के तौर पर देखा जाता रहा है, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। गाँवों में ज़्यादातर महिलाएं ही चारा-पानी से लेकर दूध निकालने का काम करती हैं। अब कई महिलायएं डेयरी फ़ार्मिंग (Dairy Farming) को बतौर व्यवसाय अपना रही हैं। ऐसी ही एक महिला हैं,  झारखंड के बांका ज़िले की रहने वाली सविता देवी।

एक गाय से की डेयरी व्यवसाय की शुरुआत

बांका के सिझुआ गाँव की सविता के पास एक हेक्टेयर ज़मीन है।उन्होंने 2007 में एक होल्स्टीन फ्राइज़ियन गाय (Holstein Friesian Cow) से अपने डेयरी व्यवसाय की शुरुआत की। शुरू में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गाय को सालाना गर्भधारण करने में दिक्कत होती थी। इसके लिए उन्होंने बांका स्थित कृषि विज्ञान केंद्र और ATMA() कार्यालय से संपर्क किया। वैज्ञानिकों की सलाह पर सविता देवी ने बेहतर आय के लिए वैज्ञानिक तरीके से डेयरी फार्मिंग शुरू की।

आहार पर देती हैं ख़ास ध्यान

उन्होंने यूरिया से भूसे का उपचार शुरू किया। इस तरह से चारे की पौष्टिकता में बढ़ोतरी हुई। यूरिया से उपचारित भूसे में प्रोटीन की मात्रा लगभग 9 फ़ीसदी तक हो जाती है। इसके अलावा, कई मिनरल्स युक्त आहार देने शुरू किए। अच्छे दुग्ध उत्पादन के लिए दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक दाने और चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत ज़रुरी है। हरा चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है।

डेयरी व्यवसाय dairy farming
तस्वीर साभार: agricoop

Dairy Farming: जानिए क्या है एकीकृत डेयरी फ़ार्मिंग मॉडल, झारखंड की इस महिला ने अपने गाँव की आमदनी को किया दोगुनाहरे चारे के उत्पादन के लिए अपनाई हाइड्रोपोनिक्स तकनीक (Hydroponics Technique)

सविता देवी पशुओं के हरे चारे के लिए हाइब्रिड नेपियर, बरसीम, क्लस्टर बिन और लोबिया जैसी फसलों की खेती भी करती हैं। सविता देवी को पता है कि हरा चारा साल भर उपलब्ध नहीं होता, इसलिए वो  हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से हरे चारे का उत्पादन भी करती हैं।

ये भी पढ़ें- मिट्टी रहित खेती (Hydroponic Farming): आज की स्थिति में हाइड्रोपोनिक खेती स्वास्थ्य और धन के लिए एक बेहतर विकल्प है

साइलेज से बढ़ा दूध का उत्पादन

सविता देवी साइलेज विधि से चारा सरंक्षित करती हैं। दुधारू पशुओं को भूसे की जगह अगर साइलेज खिलाया जाए तो उनके दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है। बरसात के मौसम में  हरा चारा आवश्यकता से अधिक उपलब्ध होता है। अगर इस चारे को साइलेज बनाकर संरक्षित कर लिया जाय तो  शुष्क मौसम तथा चारे की कमी और अभाव के दिनों में पशुओं को साइलेज के रूप में पौष्टिक चारा उपलब्ध कराया जाता है।

गाँव के लोगों ने किया डेयरी व्यवसाय का रूख

आज की तारीख में उनके पास 15 गायें हैं। रोज़ाना  उनका 150 लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसे वो सुधा डेयरी को बेचती हैं। वो दूध की बिक्री के साथ-साथ कंपोस्ट यूनिट से भी अच्छी आमदनी अर्जित कर रही हैं। सविता देवी के प्रयासों की  बदौलत और उनसे प्रेरित होकर उनके गाँव के हर परिवार के पास आज दो गायें हैं। वो भी दूध सुधा डेयरी को ही बेचते हैं।

डेयरी व्यवसाय dairy farming
तस्वीर साभार: agricoop

दोगुना हुआ मुनाफ़ा

सविता देवी को डेयरी फ़ार्मिंग के संचालन में प्रति वर्ष करीबन 83 हज़ार रुपये की लागत आती है। इससे उनकी कुल कमाई लगभग एक लाख 24 हज़ार रुपये  के आसपास होती है। इस तरह से उन्हें तकरीबन 41 हज़ार रुपये  का मुनाफ़ा होता है।

सविता देवी अपने क्षेत्र के किसानों को साइलेज विधि और हाइड्रोपोनिक्स तकनीक को लेकर ट्रेनिंग भी देती हैं। डेयरी फ़ार्मिंग के ज़रिए सिझुआ गाँव के लोगों की आमदनी में दोगुना इज़ाफ़ा देखा गया है। गाँव के 50 परिवारों में से लगभग 43 परिवारों के पास क्रॉस ब्रीड नस्ल की गायें हैं। आज की तारीख में गाँव की डेयरी फ़ार्मिंग से सालाना 17 लाख रुपये और खेती से 23 लाख रुपये की कमाई होती है। केवीके बांका (KVK Banka) ने अपने ट्रेनिंग कार्यक्रमों में सविता देवी की उपलब्धियों को सराहा है। आज वो अपने साथी किसानों,  ख़ासतौर पर महिला किसानों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं।

ये भी पढ़ें: अपनी डेयरी खोलने के लिए बैंक से कैसे लें आसानी से लोन? अपने इलाके में दुग्ध क्रांति लाने वाले भूपेंद्र पाटीदार ने बताए टिप्स

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

मंडी भाव की जानकारी

ये भी पढ़ें:

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top