किसान खेती-किसानी के साथ-साथ आय के अन्य स्रोतों के लिए पशुपालन में भी सक्रिय हैं। जहां खेतीबाड़ी मौसम पर निर्भर करती हैं, वहीं पशुपालन एक ऐसा माध्यम है जिसके ज़रिए किसान 12 माह आय अर्जित कर सकते हैं। पशुपालन के ज़रिए होने वाली कमाई किसानों को मुनाफ़ा देती है क्योंकि इससे जुड़े उत्पादों की मांग बाज़ार में हमेशा बनी रहती है।
लेकिन कई बार प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, बिजली गिरने, बीमारी, सड़क दुर्घटना या अन्य वजहों से पशुओं की मौत हो जाती है, जिसकी वजह से पशुपालकों को काफ़ी नुकसान होता है। कुछ की आर्थिक स्थिति तो इतनी खराब हो जाती है कि उनके पास अन्य पशु खरीदने के भी पैसे नहीं होते। इसी समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा पशुओं की मौत होने पर किसानों को पशुपालन मुआवज़ा देने का प्रावधान किया गया है।
बिहार सरकार द्वारा ऐसी ही योजना राज्य के पशुपालकों के लिए चलाई जा रही है। बिहार के कई इलाके बाढ़ प्रभावित हैं, जहां तकरीबन हर साल लोगों को मवेशियों के बाढ़ में डूबने और मरने की दुखद स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में पशुपालक किसानों को राहत देने के लिए बिहार पशु एवं मत्स्य पालन विभाग की ओर से ये योजना राज्य में संचालित है।
सहाय अनुदान योजना के तहत पशुओं की मौत पर किसानों को मुआवज़े की राशि प्रदान की जाती है। बिहार के किसानों के लिए यह योजना काफ़ी लाभदायक है क्योंकि यहां हर साल बाढ़ और संक्रामक रोग के कारण पशुओं की मौत के मामले सामने आते हैं।
किस पशु पर कितना मिलेगा मुआवज़ा
बिहार में मुआवज़े की राशि अलग-अलग पशुओं के लिए अलग-अलग तय की गई है। बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अनुसार दुधारू पशु की मौत पर 30 हज़ार की सहायता राशि दी जाती है। यह राशि अधिकतम तीन पशुओं की मौत पर दी जाती है। दुधारू पशुओं की श्रेणी में गाय और भैंस आते है।
वहीं भारवाहक पशुओं की मौत पर 25 हज़ार का पशुपालन मुआवज़ा दिया जाता है, जिसमें ऊंट, घोड़ा और बैल शामिल हैं। इसके अलावा गधा, बछड़ा, खच्चर की मौत होने पर प्रति पशु पशुपालक को 16 हज़ार रुपये का मुआवज़ा मुहैया कराया जाता है। यह राशि अधिकतम छह पशुओं की मौत पर दी जाती है।
मांस उत्पादक पशुओं की मौत होने पर भी मुआवज़ा मिलता है, जिसे दो वर्गों में बांटा गया है। पहला है व्यस्क और दूसरा है अव्यस्क। व्यस्क बकरी, भेड़ और सुअर की मौत होने पर प्रति पशु तीन हज़ार रुपये दिए जाते हैं। जबकि नौ महीने से कम उम्र के अव्यस्क भेड़, बकरी और सुअर की मौत पर एक हज़ार रुपये का मुआवज़ा दिया जाता है। एक परिवार को अधिकतम 30 बड़े पशुओं के लिए मुआवज़ा दिया जाता है।
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इन परिस्थितियों में मिलेगा पशुपालन मुआवज़ा
जब पशु की मौत किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से हो गई हो तब मुआवज़े की राशि प्रदान की जाएगी। किसी जंगली जानवर, कुत्ते के काटने, सांप के काटने या सड़क दुर्घटना में हुई मौत पर भी पशुपलाक मुआवज़े के लिए आवेदन कर सकते हैं। वहीं आकस्मिक मौत पर भी मुआवज़े की राशि प्रदान की जाएगी।
पशुपालन मुआवज़ा पाने के लिए इनसे करें संपर्क
पशुओं की मौत होने पर सहाय अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालक को सबसे पहले पशुपालन विभाग से एक फ़ॉर्म लेना होगा। इसके बाद पशुपालन विभाग से पशु की मौत की पुष्टि की जाएगी। मौत की पुष्टि होने के बाद ही मुआवज़े की राशि आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू होगी। यह प्रक्रिया एक निश्चित समयावधि के अंदर पूरी की जाएगी।
वहीं इससे जुड़ी अन्य जानकारी के लिए पशुपालक से संबंधित पशु चिकित्सालय, जिला पशुपालन कार्यालय या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्था, बिहार, पटना से 0612–2226049 पर संपर्क कर सकते हैं।