खेती के साथ ही पशुपालन ग्रामीण इलाकों में आजीविका का मुख्य साधन है। दूध उत्पादन (Dairy Farming) के मामले में भारत पूरे विश्व में सबसे आगे है, हालांकि प्रति पशु यदि दूध उत्पादन की बाद की जाए तो वो कम है। इसकी वजह है पोषण की कमी, पशुओं को होने वाली बीमारी और मौसम। सर्दी के मौसम में अगर दुधारू पशुओं का ठीक से ध्यान न रखा जाए तो इसका सीधा असर उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर पड़ता है। साथ ही वो कई गंभीर बीमारियों का भी शिकार हो सकते हैं। इसलिए पशुपालको को सर्दी के मौसम में अपने पशुओं का खास ध्यान रखने की ज़रूरत होती है। सर्दियों में इन बातों का रखें ध्यान:
- पशुओं को सर्द हवाओं से बचाने के लिए बाड़े को टाट या बोरे से चारों तरफ़ से ढक दीजिए।
- ठंड के मौसम में जैसे आपको धूप की ज़रूरत होती है, वैसे ही पशुओं को भी होती है। इससे उन्हें पोषण मिलता है। इसलिए सर्दियों के समय उन्हें कुछ देर के लिए धूप में बांधें।
- उनके गोबर व मूत्र निकासी का उचित प्रबंध करें, ताकि उनके रहने की जगह सूखी और साफ़-सुथरी रहे।
- पशुओं को बैठने की जगह पर पुआल या कोई अन्य नर्म चीज़ बिछा सकते हैं।
- इस मौसम में उन्हें हमेशा ताज़ा पानी ही दें। ध्यान रहे पानी बहुत ठंडा या गर्म न हो, गुनगुना पानी दे सकते हैं।
- ज़्यादा ठंड होने पर पशुओं को हरा चारा देने से पहले सूखा चारा खिलाएं या दोनों मिलाकर उन्हें दें।
- पशुओं को जूट के बोरे पहनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि वो खिसके नहीं।
- पशुओं को गर्मी देने के लिए उनसे सुरक्षित दूरी पर अलाव जलाकर रखें।
- जन्म के बाद नवजात पशु को खीस ज़रूर पिलाएं। इससे उनकी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
सर्दियों में आहार पर दें विशेष ध्यान
जो पशु गर्भावस्था में हैं, उन्हें अतिरिक्त चारा देना चाहिए। ऐसा गर्भावस्था के दो माह पूर्व से करना शुरू कर देना चाहिए और प्रसव के बाद भी उन्हें सही मात्रा में पौष्टिक चारा दें। इससे वो लंबे समय तक दूध देती रहेंगी।
पशुओं को दलहनी हरा चारा जैसे हरी बरसीम, लर्सुन, लोबिया आदि खिलाना चाहिए क्योंकि इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है, जिससे पशु की दूध उत्पादन क्षमता बढ़ती है।
उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है। ऐसे में इन क्षेत्रों के किसानों को अपने पशुओं का अतिरिक्त ध्यान रखने की ज़रूरत है ताकि उनकी आमदनी पर असर न हो।
स्टोरी साभार: ICAR
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