मौजूदा दौर में प्रगतिशील किसानों का देसी गायों की डेयरी के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है, क्योंकि देसी नस्लों की गायें पालने में लागत में ख़ासी कमाई होती है। भौगोलिक विविधताओं की वजह से भारत में देसी गायों की कम से कम 26 उम्दा नस्लों को उन्नत माना जाता है। फिर अलग-अलग नस्लों की खूबियों के आधार पर देसी गायों की दुनिया को भी तीन वर्गों में बांटा गया है। इसीलिए अगर गौ-पालक अपनी ज़रूरतों के मुताबिक, देसी गायों की उपयुक्त नस्ल का चुनाव करें तो उन्हें बेहतर आमदनी मिल सकती है।
दुधारू देसी नस्ल की गाय
इस नस्ल की देसी गायें अधिक दूध देने वाली होती हैं। गिर, लाल सिन्धी, साहीवाल और देओनी नस्लों को दुधारू वर्ग में अग्रणी माना गया है।
ड्राफ्ट वर्ग की नस्लों वाली गाय
दुधारू के मुकाबले ड्राफ्ट वर्ग की नस्लों वाली देसी गायें दूध तो कम देती हैं, लेकिन इसके बैल ज़्यादा बलिष्ठ होते हैं। इनकी वजन ढोने क्षमता ज़ोरदार होती है। नागोरी, मालवी, केलरीगढ़, अमृतमहल, खिलारी, सिरी वगैरह ऐसी देसी नस्लें हैं जिन्हें ड्रॉफ्ट वर्ग में रखा गया है।
दोहरे उद्देश्य वाली गाय
ये देसी गायों की ऐसी नस्लें हैं जो दूध उत्पादन और भार-वहन क्षमता दोनों में उम्दा होती हैं। इसीलिए इन्हें दोहरे उद्देश्य वाली नस्लें कहा गया। इस वर्ग में हरियाणा, ओंगोल, थारपारकर, कंकरेज वगैरह नस्लों का प्रमुख स्थान है।
देसी गौवंश को प्रोत्साहन
देसी नस्ल के गौवंश को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों की ओर से सब्सिडी देने की योजनाएं हैं। इनका लाभ उठाने के लिए पशुपालक किसानों को अपने नज़दीकी पशुपालन विभाग से सम्पर्क करना चाहिए। गौ-पालन के लिए बैंकों से आसान शर्तों और रियायती ब्याज़ दरों पर कर्ज़ भी मिलता है। इसका लाभ लेने के इच्छुक लोगों को अपने नज़दीकी बैंक से सम्पर्क करना चाहिए।
खेती और पशुपालन आज भी गांव में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय है। पशुपालन का व्यवसाय तो अब गांव के दायरे से निकलकर शहरों तक भी पहुंच गया है। इस बिज़नेस पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो इसमें अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा हो सकता है।
देसी गाय की 10 उन्नत नस्लें
अगर आप भी पशुपालन से जुड़े हैं, तो आपको गायों की कुछ उन्नत नस्लों की जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि ये अधिक दुधारू होती हैं। कौन-सी हैं गाय की 10 उन्नत नस्लें और आप उनकी पहचान कैसे कर सकते हैं, जानिए यहां।
गिर नस्ल की गाय
यह गाय सबसे अधिक दूध देती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गिर नस्ल की देसी गाय एक दिन में 50 से 80 लीटर तक दूध दे सकती है। यह गाय मुख्य रूप से काठियावाड़ (गुजरात) के गिर जंगल में रहती है, इसलिए इसका नाम गिर पड़ा।
कैसे पहचानें?
शरीर गठीला और ललाट उभरा हुआ होता है। कान लंबे व मुड़े हुए होते हैं। सींग टेढ़े होते हैं, जिस पर लाल या कत्थई धब्बे होते हैं।
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साहीवाल नस्ल की गाय
यह गाय की बेहतरीन प्रजाति है जो मूल रूप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होती है। इस प्रजाति की गाय आमतौर पर एक साल में 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है। एक बार बच्चे को जन्म देने के बाद यह लगभग 10 महीने तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
यह गाय गहरे लाल, सफेद, भूरे या काले रंग की भी होती है। यह लंबी और मांसल होती है। इनका माथा चौड़ा और शरीर भारी – भरकम होता है। सींग छोटी व मोटी होती है और पूंछ बड़े काले-झब्बे वाली होती है।
राठी नस्ल की गाय
इस प्रजाति की गाय मूल रूप से राजस्थान में होती है और यह बहुत दुधारू होती है। राजस्थान के गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर इलाकों में आमतौर पर राठी नस्ल की गाय पाई जाती है। यह रोज़ाना करीब 6 से 8 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय की त्वचा आकर्षक होती है। चेहरा थोड़ा चौड़ा होता है। यह गाय मध्यम आकार की होती है, रंग सफेद होता है जिस पर भूरे या काले धब्बे होते हैं। इनकी सींग मध्यम आकार की, अंदर की तरफ मुड़ी हुई होती है और पूंछ बहुत लंबी होती है।
लाल सिंधी नस्ल की गाय
गाय की यह प्रजाति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु में पाई जाती है। पहले यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मिलती थी, जिसके कारण इसका नाम लाल सिंधी पड़ा। हालांकि इनकी संख्या काफी कम हो गई है। जहां तक दूध का सवाल है तो यह गाय भी पूरे साल में करीब 2000 से 3000 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इनका सिर सामान्य आकार का और ललाट चौड़ा होता है, जिसपर छोटे-छोटे बाल होते हैं। सींग घुमावदार होते हैं और इनकी गर्दन लंबी व मोटी होती है।
हरियाणवी नस्ल की गाय
मूल रूप से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पाई जाने वाली इस प्रजाति की गायें सफेद रंग की होती हैं और दूध भी अच्छा देती हैं। एक ब्यांत (lactation) में लगभग 2200-2600 लीटर दूध देती हैं ।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय के मुंह, सींग व कान छोटे होते हैं। माथा चिपटा व गर्दन लंबी और सुंदर होती है। इनकी आंखें बड़ी-बड़ी और सींग घुमावदार होते हैं।
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कांकरेज नस्ल की गाय
यह गाय की बेहतरीन प्रजातियों में से एक है जो मूल रूप से गुजरात और राजस्थान में पाई जाती है। राजस्थान में भी यह मुख्य रूप से बाड़मेर, सिरोही तथा जालौर जिलों में पाई जाती है। यह गाय एक दिन में 5 से 10 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का मुंह छोटा और आंखें बड़ी व चमकदार होती हैं। इनके कान लंबे व लटके हुए होते हैं। सींग मोटे, लंबे और भीतर की ओर मुड़े हुए होते हैं। गर्दन पतली व लंबी होती है।
कृष्णा वैली नस्ल की गाय
यह मूल रूप से कर्नाटक की कृष्णा वैली में पाई जाती है इसलिए इसका नाम कृष्णा वैली पड़ा। इस नस्ल की गाय बहुत शक्तिशाली होती है और दूध भी अच्छा देती है। एक ब्यांत में यह करीब 900 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का शरीर लंबा होती है। सींग और पैर छोटे व मोटे होते हैं। इनकी छाती चौड़ी होती है और गर्दन छोटी व मज़बूत होती है।
नागोरी नस्ल की गाय
यह नस्ल मुख्य रूप से राजस्थान के नागौर ज़िले की है। इसके अलावा जोधपुर व बीकानेर में भी यह पाई जाती है। दूध के मामले में यह नस्ल बहुत अच्छी मानी जाती है, क्योंकि एक ब्यांत में यह करीब 600-954 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय हल्के लाल, सफेद व जामुनी रंग की होती है। इनकी त्वचा ढीली होती है, माथा उभरा हुआ, कान व मुंह लंबे होते हैं। सींग बहुत बड़े नहीं होते। यह मध्यम आकार की होती है और इनकी आंखें छोटी होती हैं ।
थारपरकर नस्ल की गाय
मूल रूप से गाय की यह नस्ल पाकिस्तान में पाई जाती है। इसके अलावा राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमर, जोधपुर और कच्छ के कुछ इलाकों में भी यह गाय पाई जाती है। राजस्थान के कुछ इलाकों में इसे ‘मालाणी नस्ल’ भी कहा जाता है। अधिक दूध देनी वाली नस्ल में यह भी शामिल है। यह गाय प्रति ब्यांत करीबन 1400 लीटर तक दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस नस्ल की गाय का शरीर मध्यम आकार का होता है और यह हल्के सफेद रंग की होती है। इनका शरीर गठीला और मज़बूत होता है। चेहरा लंबा, सिर चौड़ा व उभरा हुआ होता है। इनके सींग ज़्यादा लंबे नहीं होते, लेकिन नुकीले होते हैं।
नीमाड़ी नस्ल की गाय
मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में पाई जाने वाली गाय की यह नस्ल बहुत फुर्तीली होती है। लाल रंग और सफेद धब्बों वाली यह गाय दूध भी अच्छा देती है। एक ब्यांत में करीब 800 लीटर दूध देती है।
कैसे पहचानें?
इस प्रजाति की गाय का शरीर और सिर लंबा होता है। कान चौड़े और सीधे होते हैं. सींग ऊपर की ओर जाकर थोड़ा मुड़ा हुआ होता है।
इन देसी नस्ल की गायों को पालकर आप भी अपने पशुपालन व्यवसाय या डेयरी उद्योग को बढ़ावा दे सकते हैं।
देसी नस्ल की गायें कम निवेश में कमाई का बढ़िया ज़रिया
कुल मिलाकर, डेयरी सेक्टर में दिलचस्पी रखने वाले गौपालकों के लिए देसी नस्ल की गायें कम निवेश में बढ़िया कमाई का ज़रिया हैं, बशर्ते पशुपालक किसान गायों के चारे-पानी, देखरेख-उपचार का उचित ख़्याल रखें। सदियों से पशुपालन का मूल मंत्र रहा है कि पशुओं को औलाद की तरह पालना चाहिए तभी वो कमाऊ पूत साबित होते हैं। इसीलिए गौपालन को आमदनी का सुरक्षित ज़रिया बनाने के लिए गौवंश का बीमा करवाना और इसे नियमित रूप से नवीकृत कराते रहना भी बेहद ज़रूरी है।
गौपालन से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल 1: गाय की देसी नस्ल कौन कौन सी होती है?
जवाब- गाय की देसी नस्लों में साहीवाल गाय, गिर गाय, थारपारकर गाय और लाल सिंधी गाय, नीमाड़ी गाय, नागोरी गाय, राठी गाय वगैरह शामिल है।
सवाल 2: भारत में सबसे अच्छी देसी गाय कौन सी है?
जवाब- भारत में देसी गायों में साहीवाल को सबसे अच्छा माना जाता है। साहीवाल गाय हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है।
सवाल 3: सबसे गाढ़ा दूध कौन सी गाय का होता है?
जवाब- देसी गाय में ज्यादा फैट पाया जाता है। ये ज्यादा गाढ़ा होता है। फैट परसेंट यानि की जो गाय जितना ज़्यादा दूध देगी उसका दूध उतना ही पतला होगा। देसी गाय में भी जो ज्यादा दूध देने वाली गाय हैं उनका दूध कम दूध देने वाली गाय से पतला होगा। देसी गाय जब 8 लीटर दूध दे रही है तब उसका दूध पतला आएगा।
सवाल 4: सबसे अच्छी कौन सी गाय होती है?
जवाब- भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली गिर नस्ल की गाय है। दूसरे नंबर पर लाल सिंधी गाय है। जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है ये लाल सिंधी गाय सिंध के इलाके में पाई जाती है।
सवाल5 : कौन सी गाय पालनी चाहिए?
जवाब: मोटे मुनाफे के लिए गाय की 3 नस्लें पाली जा सकती हैं
- गिर गाय
- लाल सिंधी गाय
- साहिवाल गाय
सवाल6 : सबसे ज्यादा फैट वाली गाय कौन सी है?
जवाब: मालवी नस्ल की गाय के दूध में सबसे ज़्यादा फैट पाया जाता है। इस गाय के दूध में 4.5 फ़ीसदी से ज़्यादा फैट होता है।