नमस्कार, मैं विनीत चौहान उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सीसाना गांव का रहने वाला हूं। किसान ऑफ़ इंडिया मंच के माध्यम से मैं मेरे किसान साथियों को खेती से जुड़े अपने अनुभव और बागवानी करते हुए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए इसके बारे में बताने जा रहा हूं।
मैंने अपने खेत में मुख्य तौर पर अमरूद के साथ-साथ नींबू की बागवानी की हुई है। मालाबार, नीम और महोगनी के भी पौधे लगाए हुए हैं। हमारे क्षेत्र में ज़्यादातर गन्ना, गेहूं, और धान की खेती होती है। मेरा परिवार भी इन्हीं पारंपरिक फसलों की खेती करता था, लेकिन आज के समय में ये फ़ायदा का सौदा नहीं है, तो फिर मैंने बागवानी करने का फैसला किया।
जब मैं बागवानी में आया था तो मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं थी। ग्रेजुएशन और एमबीए करने के बाद मैंने सोचा क्यों न कुछ नया किया जाए, फिर मैंने अमरूद और नींबू की बागवानी की शुरुआत की।
पूरी तरह से जैविक खेती पर आधारित है बागवानी
मैं ये बागवानी पूरी तरह से जैविक पद्धति के साथ कर रहा हूं। बागवानी फसलों की खेती के लिए मैं किसी तरह का यूरिया और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं करता। कोई जैविक उत्पाद अगर बाज़ार में उपलब्ध है तो ले लेता हूं, वरना ज़्यादातर खेती के लिए ज़रूरी जैविक चीजों जैसे नीम का तेल, कीटनाशक मैं घर पर ही तैयार करता हूं। मैं ‘स्वस्थ भोजन स्वस्थ भारत’ संकल्प के साथ जैविक खेती कर रहा हूं। स्वस्थ भारत तभी हो सकता है जब देशवासियों को अच्छा भोजन मिलेगा। मेरा मकसद लोगों को जैविक खेती से उपजे खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना है।
क्यों जैविक खेती को अपनाना चाहिए
मुख्य तौर पर मैं बागवानी कर रहा हूं। साथ ही खेत के दूसरे हिस्से में मैंने धान लगाया हुआ है। धान की खेती भी मैंने ऑर्गैनिक तरीके से करनी शुरू कर दी है। जहां पहले धान की खेती करते हुए मैं एक से डेढ़ क्विंटल यूरिया डाला था, इस बार मैंने 25 किलो ही यूरिया डाला है, बाकी सारे प्रोडक्ट ऑर्गैनिक ही इस्तेमाल किए हैं। मैं अपने किसान साथियों से यही कहना चाहूंगा कि अगर भारत को स्वस्थ बनाना है तो हमें जैविक खेती को अपनाना होगा। ऐसे ही स्वस्थ और सुंदर भारत की संकल्पना साकार हो सकती है।
समय-समय पर करते रहें बागों की कटिंग
आजकल मैंने अपने बाग की कटिंग की हुई है। बीमार और कमजोर टहनियों और फालतू की बढ़वार को हम काट देते हैं। फिर जो नई फूट होती है उसमें अच्छा फूल और फल आता है। इसलिए हमें बागों की समय-समय पर कटिंग करती रहनी चाहिए। मैंने अमरूद की थाई VNR की किस्म लगाई हुई है। थाई VNR का फल बहुत अच्छा होता है। उसमें बीज कम होता है। स्वाद में भी अच्छा और वजन में 300 से 400 ग्राम से लेकर 700 से 800 ग्राम तक का होता है। अपने बाग में मैंने नींबू भी लगाए हुए हैं। नींबू भी काफ़ी अच्छी बचत देता है। इसके स्वास्थ्य से जुड़े गुणों के कारण बाज़ार में नींबू की माग हमेशा रहती है।
बाज़ार में नहीं जाना चाहिए किसान का पैसा
मैंने अपने बाग में सेब के तीन पौधे भी लगाए हुए हैं, जो दो साल के अंदर ही काफ़ी बड़े हो गए हैं। किसान को कई चीजें बाज़ार से खरीदनी पड़ती है। किसान का पैसा उसके पास ही रहे, बाज़ार में न जाए और बाहर का पैसा उसके पास आए, इसके लिए अगर किसान अलग-अलग तरह की थोड़ी-थोड़ी फसल अपने खेतों में बोए और अपनी ज़रूरतों को अपने खेत से ही पूरा कर सके तो इससे बाज़ार पर किसान की निर्भरता कम होगी। उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। किसानों की खाद्य पदार्थो में बाज़ार पर निर्भरता कम से कम हो। किसान का पैसा किसान के पास ही रहे। उसका ये उद्देश्य होना चाहिए।
आज का युवा बदल सकता है खेती की तस्वीर
शुरुआत में बागवानी से जुड़ी बारीकियों को जानने के लिए मैंने यूट्यूब से, पौध विक्रेताओं से, साथ ही बागवानी विभाग से जानकारी ली। लगभग ढाई साल इस बाग को लगाए हो गए हैं। हमारे देश का जो युवा है उससे मैं यही कहूंगा कि ज़रूरी नहीं कि पढ़ने-लिखने के बाद वो नौकरी के पीछे जाने के लिए मेट्रो शहरों का रूख करें, वो अपने गांव और अपने क्षेत्र में रहकर ही खेती के क्षेत्र में कुछ नया कर सकते हैं। हमारे जो बुज़ुर्ग हैं वो नया करने से कतराते हैं, हम युवा हैं तो हम कुछ नया सोच सकते हैं।
आज कई सारे युवाओं को हम देख सकते हैं कि कैसे नई पद्धति से खेती करके काफ़ी अच्छी कमाई कर रहे हैं। इससे ये होगा कि गांवों में भी खेती के ज़रिए युवा आत्मनिर्भर हो खुद स्वरोजगार के रास्ते पर चल सकेंगे। मैंने जो बागवानी कि है उससे अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिली है। अगर हम कृषि के क्षेत्र में कुछ नया करेंगे तो उससे अन्य लोग भी प्रेरित होंगे।