आलू की खेती (Farming of Potato): आलू एक ऐसी फसल है जो प्रति इकाई क्षेत्रफल में दूसरे फसलों के मुकाबले ज्यादा उत्पादन देती है। इस फसल से प्रति हेक्टर आय भी ज्यादा मिलती है। आलू में 80-82 प्रतिशत पानी, 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत चीनी, 2 प्रतिशत प्रोटीन और 1 प्रतिशत खनिज लवण होते हैं। आलू में वसा 0.1 प्रतिशत और थोड़ी मात्रा में विटामिन्स भी होते हैं।
सामान्य रूप से अच्छी खेती के लिए फसल अवधि के दौरान दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 4 से 15 डिग्री सैल्सियस होना चाहिए। फसल में कन्द बनते समय लगभग 18-20 डिग्री सेल्सियस तापकम सबसे सही होता है। कन्द बनने के पहले थोड़ा ज्यादा तापक्रम रहने से फसल की वृद्धि अच्छी होती है, लेकिन कन्द बनने के समय 30 डिग्री सैल्सियस से ज्यादा तापमान होने पर कन्द बनना रूक जाता है।
भूमि एवं भूमि प्रबन्ध
आलू की खेती अलग-अलग तरह की जमीन, जिसका पी.एच. 6 से 8 के बीच हो, ऐसे जमीनों में उगाई जा सकती है। इसके साथ बलुई दोमट और दोमट उचित जल निकास की जमीन उपयुक्त होती है। बुआई से पहले खेत की 3-4 जुताई डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करना चहिए। अगेती फसल की बुआई बीच सितम्बर से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक, मुख्य फसल की बुआई बीच अक्टूबर के बाद हो करनी चाहिए।
आलू की नवीनतम और उन्नत किस्में
- कुफरी चन्द्र मुखी – ये 80-90 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज देती है
- कुफरी अलंकार – ये 70 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज देती है।
- कुफरी बहार 3792 E – ये फसल 90-110 दिन में तैयार हो जाती है।
- कुफरी नवताल G 2524 – ये फसल 75-85 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज देती है।
- कुफरी ज्योति – ये 80 -120 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 150-250 क्विंटल उपज देती है।
- कुफरी सिंदूरी – ये 120 से 140 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 300-400 क्विंटल उपज देती है।
- कुफरी देवा – ये किस्म 120-125 दिन में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 300-400 क्विंटल उपज देती है।
- कुफरी लालिमा – ये किस्म 90-100 दिन में तैयार हो जाती है।
बीज की बुआई
जमीन में पर्याप्त नमी नहीं होने पर पलेवा करना जरूरी होता है। बीज आकार के आलू कन्दों को कूंडों में बोया जाता है और मिट्टी से ढककर हल्की मेढ़ें बना दी जाती है। खरपतवार को खत्म करने के लिए निराई-गुड़ाई जरूरी है।
सिंचाई प्रबन्ध
पौधों के उचित विकास और अच्छी उपज के लिए 7-10 में सिंचाई की जरूरत होती है। अगर आलू की बुआई से पहले पलेवा नहीं किया गया है तो बुआई के 2-3 दिन के अन्दर हल्की सिंचाई करना जरूरी है। जमीन में नमी 15-30 प्रतिशत तक कम हो जाने पर सिंचाई करनी चाहिए।