Lehsun ki Kheti लहसुन स्वास्थ्यवर्द्धक होने की वजह से इसका खाने में पूरे साल उपयोग होता है। यही वजह है कि लहसुन की खेती हमेशा फायदेमंद मानी जाती है। देश में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लहसुन की खेती की जाती है। इससे 5.76 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता के साथ कुल 16.17 लाख टन लहसुन का उत्पादन होता है। लहसुन की खेती आमतौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में की जाती है। लहसुन की खेती के लिए हमेशा समतल भूमि होनी चाहिए।
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लहसुन की खेती में यह उपकरण मददगार
लहसुन की खेती में कई कृषि यंत्र बेहद मददगार साबित हो सकते हैं। मसलन लहसुन के लिए 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी जुताई की जाती है। इसके बाद कल्टीवेटर को 2-3 बार चलाकर मिट्टी को भुरभुरा किया जाता है। इसके लिए रोटावेटर का उपयोग काफी लाभकारी साबित होता है। यह यंत्र कम समय तथा कम लागत में खेत को लहसुन की बुआई के लिए तैयार कर देता है।
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लहसुन बोने की मशीन रेज्ड बेड मेकर
फसलों की बुवाई रेज्ड बेड तकनीक से करना लोकप्रिय होता जा रहा है। इस तकनीक से ऊंची उठी क्यारियों पर फसल की बुवाई की जाती है। रेज्ड बेड तकनीक द्वारा बोई हुई फसलें कम अथवा बहुत अधिक वर्षा होने पर भी बेहतर उत्पादन देती हैं। खेत को तैयार करने के बाद रेज्ड बेड मेकर उपकरण द्वारा खेतों में क्यारियां बनायी जाती है। रेज्ड बेड मेकर कृषि यंत्र में बेड की चैड़ाई को कम-ज्यादा किया जा सकता है।
लहसुन सीड ड्रिल
आमतौर पर लहसुन की बुआई छोटे रकबे में की जाती है। इसके लिए 10-15 सेमी की दूरी पर कतारों में 3-5 सेमी गहराई में करते हैं। लहसुन सीड ड्रिल की मदद से एक साथ 17 कतारों में बुआई की जा सकती है। बुआई की दर 5-7 क्विंटल/ हैक्टेयर रखी जाती है। इसकी मदद से बुआई के साथ गहराई में उवर्रक भी डाला जा सकता है। इस मशीन की कार्य क्षमता 0.50-0.65 हेक्टेयर प्रतिघंटा है।
इससे रसायन छिडकाव होगा आसान
फसल को कीटों, रोगों और खरपतवारों से बचाने के लिए कई तरह के रसायनों का उपयोग किया जाता है। लहसुन में इन रसायनों का छिडकाव नैपसैक या बूम टाइप स्प्रेयरप्रसे करना बेहतर माना जाता है। इसका वजन 7.5 किलोग्राम होता है। यह 10-18 लीटर की टंकी में उपलब्ध है। बूम स्प्रेयर ट्रैक्टरचालित होता है। इसमें नोजल की संख्या 10 से 20 तक होती है।
लहसुन हार्वेस्टर: बचाएं श्रम लागत
लहसुन की फसल तैयार होने के बाद इसे निकालना बहुत कठिन होता है। इसको ट्रैक्टर चलित लहसुन खोदने वाले यंत्र (लहसुन हार्वेस्टर) बहुत आसान बना देता है। इस मशीन में एक डेढ़ मीटर चैड़ा ब्लेड लगा होता है। जिससे भूमि की खुदाई की जाती है। इसके बाद लहसुन को चेन टाइप की पृथक्करण जाली से गुजारा जाता है। पृथक्करण जाली में लोहे की छड़ें समान दूरी पर लगी होती हैं। इस जाली के पिछले हिस्से से लहसुन गिरकर नीचे जमा हो जाता है।
लहसुन गांठ तोडने वाला उपकरण
लहसुन की बुआई के लिए लहसुन की कलियों को हाथ या लकड़ी द्वारा गांठ से अलग करते हैं। इस कार्य को बल्ब ब्रेकर मशीन द्वारा आसानी से कर सकते हैं। लहसुन को इस मशीन के हॉपर में भरा जाता है। इसके बाद लहसुन की गांठ को दो घूमते हुए ड्रमों के बीच से गुजारा जाता है, जिससे कलियां गांठ से अलग हो जाती है।यह उपकरण ट्रैक्टर या बिजली से चलता है।