अखरोट की खेती करना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। अखरोट की खेती के लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं जैसे कि पहाड़ी इलाका हो, मौसम न अधिक गर्म, न अधिक ठंडा हो। इसी वजह से पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले किसानों के लिए अखरोट की खेती करना लाभ का सौदा माना जाता है हालांकि इसमें कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।
वर्तमान में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में मोटे छिलके की बजाय कागजी अखरोट की खेती को अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने एक योजना बनाई है जिसके तहत जिले में अखरोट के 4000 पौधे लगाए जाएंगे।
ये हैं कागजी अखरोट के पेड़ों की खासियत
कागजी अखरोट की खेती के लिए साढ़े चार हजार फिट से अधिक ऊंचाई का क्षेत्र ठीक रहता है। कागजी अखरोट के पेड़ पांच वर्ष में फल देने लायक हो जाते हैं, साथ ही अखरोट की दूसरी किस्मों के बजाय ज्यादा फल देते हैं।
उत्तराखंड सरकार देती है अखरोट की खेती को प्रोत्साहन
राज्य सरकार किसानों को कागजी अखरोट की खेती के लिए प्रोत्साहन देती है। इसके तहत गत वर्ष भी एक क्विंटल बीज बोया गया था जिससे लगभग 4000 पौधों की नर्सरी तैयार की गई थी। इस नर्सरी से किसानों को पौधे दिए जाएंगे। किसान नर्सरी से ये पौधे लेकर जनवरी तथा फरवरी तक रोपण कर सकेंगे।
क्यों खास है कागजी अखरोट
सामान्यतया पर्वतीय क्षेत्र में सख्त छिलके वाला अखरोट मिलता है जिन्हें दांतों से या किसी चीज की सहायता से तोड़ना पड़ता है। इनकी तुलना में कागजी अखरोट का छिलका काफी पतला होता है और हाथ से दबाकर ही तोड़ सकते हैं। इस किस्म के प्रोडक्ट्स की मांग भी बहुत ज्यादा होती है और विदेशों में खास तौर पर स्पेन, मिश्र, जर्मनी, नीदरलैंड, यूके, फ्रांस, ताइवान इनकी कीमत बहुत अच्छी मिल रही है।
कागजी अखरोट खाने से हेल्थ भी सही रहती है
- रिसर्च के अनुसार अखरोट में प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, सेललेनियम, ओमेगा-तीन मौजूद होता हैं। ये सभी शरीर में जरूरी मिनरल्स की कमी को पूरा करते हैं।
- अखरोट की गिरी को भिगोकर खाने से डायबिटीज कंट्रोल में रहती है तथा इम्यूनिटी बढ़ती है।
- इससे खून में कोलेस्ट्रोल का लेवल भी नियंत्रण में रहता है।