फसलों में नए-नए रोग किसानों की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। पहली बार गेहूं की फसल में इल्ली का प्रकोप देखा जा रहा है। आमतौर पर चना, मटर और सब्जियों की फसल पर ही इल्ली का प्रकोप देखा जाता था। मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल में इल्ली से फसलें खराब हो रही है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि यह कीट अफ्रीका से भारत आया है। इसे फॉल आर्मी वर्म कहा जाता है। यह पोलीफेगस की है। यह मुख्य रूप से मक्का को नुकसान पहुंचाता है। यह कीट बादल वाले मौसम में अधिक बढ़ता है। आमतौर पर ज्यादा ठंड पड़ने से इस कीट का प्रयोग कम हो जाता है।
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इस दवा का करें छिड़काव
- इस कीट के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए इमामेक्टिन वेजोएंट 100 ग्राम दवा प्रति एकड़ के हिसाब से छिडकाव करना चाहिए।
- इसके अलावा फ्लूवेंडामाइड 50 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़का जा सकता है।
- रेनेक्सीपायर (कोरामेन) 40 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिडकाव इस कीट से छुटकारा दिलाएगा।
- कृषि वैज्ञानिक किसानों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। उनके मुताबिक बालियां आने पर इससे ज्यादा नुकसान हो सकता है। इसलिए दवाओं का छिडकाव जरूर करें।