Jeere Ki Kheti जोधपुर केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान ने जीरे की नई किस्म की खोज की है। 100 दिन में तैयार होने वाली इस किस्म का उत्पादन जीरे की दूसरे किस्मों से बेहतर होगा। संस्थान का दावा है कि ये नए किस्म का जीरा किसानों को फसल से जुड़ी सभी समस्याओं को खत्म कर देगा और ज्यादा मुनाफा भी देगा। आम तौर पर जीरे की फसल तैयार होने में 140 दिन लगते हैं।
नई किस्म की विशेषताएं
तीन साल के रिसर्च के बाद संस्थान ने जीरे की CJDC-94 वैरायटी की खोज की है। अभी राजस्थान के किसान जीरे की 70% खेती गुजरात में विकसित GC-4 वैरायटी की करते हैं। नई CJDC-94 किस्म जीरे की दूसरे किस्मों से जल्दी पककर तैयार हो जाएगी। इस किस्म में 70 की जगह 40 दिन में ही फूल आ जाएंगे। CJDC-94 को तैयार होने में 100 दिन लगेंगे जबकि GC-4 जीरे की किस्म को तैयार होने में 140 दिन लगते हैं। इस किस्म की Jeere Ki Kheti बेमौसम भी की जा सकती है।
निर्यात में जीरा दूसरे स्थान पर
वैज्ञानिक डॉ. आर.के. काकाणी बताते हैं कि देश में मसालों में सबसे ज्यादा निर्यात लाल मिर्च का होता है। जीरे का निर्यात दूसरे स्थान पर है। निर्यात होने वाले मसालों में जीरे का निर्यात 15% है। 2019-20 में 2.10 लाख मैट्रिक टन जीरे का निर्यात हुआ था जिसकी कीमत 3225 करोड़ रुपए थी।
किसानों को घर बैठे मिलेगा उर्वरक
फर्टिलाइजर कंपनी स्मार्टकेम टेक्नोलॉजी लिमिटेड ने कृषि समान उपलब्ध कराने वाले स्टार्ट अप ई-कॉमर्स के साथ साझेदारी की है। ये कंपनियां मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों को उनके घर पर उवर्रक पहुंचाने का काम करेंगी। कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि डिजिटलाइजेशन तेजी से सेवाओं और उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के तरीके को बदल रहा है। इसलिए यह साझेदारी किसानों के दरवाजे पर उर्वरकों के वितरण को आसान करायेगी।