आज के वक्त में कोराना महामारी के चलते लोगों में इम्यूनिटी पावर यानी रोग प्रतिरोधी को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इम्युनिटी कमजोर होने से शरीर की कोराना सहित कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। वहीं शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व न मिलने से कुपोषण की समस्या भी देखने को मिलती है। इन दोनों परेशानियों से निज़ात दिलाने में पोषण वाटिका (Nutrition Garden) का कॉन्सेप्ट कारगर साबित हो सकता है।पोषण वाटिका (Nutrition Garden) क्या है, कैसे आप अपने घर में पोषण वाटिका तैयार कर सकते हैं, इसको लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख और वेजिटेबल साइंसिस्ट डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने Kisan Of India से ख़ास बातचीत की।
इम्यूनिटी पावर और पोषक तत्व बढ़ाने का कोई जादुई फ़ॉर्मूला नहीं है। नियमित तौर से भोजन में स्वस्थ और औषधिय गुणों से भरपूर फल-सब्जियों का सेवन करने से शरीर को हर ज़रूरी पोषक तत्व मिलते हैं। ये पोषक तत्व ही शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में मददगार होते हैं।
पोषण वाटिका (Nutrition Garden) के लिए 200 से 250 वर्ग मीटर क्षेत्र की ज़रूरत
बिहार के पूर्वी चंपारण में कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख और वेजिटेबल साइंसिस्ट डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह बताते हैं कि लोगों को पहले पोषण वाटिका यानी न्यूट्रिशन गार्डन के महत्व को समझना होगा। उन्होनें बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research-ICMR) के अनुसार, प्रति दिन के हिसाब से एक व्यक्ति को 300 ग्राम सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसमें हरी पत्तेदार सब्जी 115 ग्राम, कंद वर्गीय सब्जी 115 ग्राम और अन्य दूसरी सब्जी की मात्रा 70 ग्राम होनी चाहिए।
डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि एक पांच सदस्य वाले औसतन परिवार को पूरे सालभर की इन सब्जियों की ज़रूरत को पूरा करने के लिए 200 से 250 वर्ग मीटर की ज़मीन काफ़ी है। इसमें छोटी-छोटी क्यारियां बनाकर उसमे ज़रूरत के अनुसार पोषक तत्व वाली सब्जियों को उगाया जा सकता है। पोषण वाटिका में सब्जियों की खेती के लिए मौसम औऱ जलवायु के अनुसार फसल-चक्र अपनाते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह आगे कहते हैं कि बड़े-बड़े शहरों में रहने वाले कई लोगों की अक्सर ये शिकायत रहती है कि वो स्वस्थ फल-सब्जियों को खुद कैसे उगा सकते हैं। खेती के लिए ज़मीन न होने पर ऐसे लोग अपनी छत पर भी एक पोषण वाटिका असानी से तैयार कर सकते हैं।
डॉ. अभिषेक के अनुसार, न्यूट्रिशन गार्डन में सब्जियों के साथ-साथ फलदार वृक्ष जैसे पपीता,नींबू, अनार व अमरुद आदि के अलावा, औषधिय पौधे जैसे तुलसी, एलोवेरा, गिलोय को भी लगा सकते हैं। पोषण वाटिका से उत्पादित सब्जियां स्वादिष्ट, ताज़ी व कीट-बीमारियों से मुक्त होती हैं। साल भर सब्जी की उपलब्धता के लिए जल्दी, मध्य और देर से पकने वाली किस्मों को उगाना चाहिए। फलदार वृक्षों जैसे-नींबू, अमरुद, केला एवं अनार को एक तरफ लगाना चाहिए, जिससे क्यारियों की जुताई में कोई दिक्कत न आए। ज़्यादा पानी की ज़रूरत वाली सब्जियों जैसे पालक और चौलाई को नाली के पास लगाना चाहिए। सब्जियों को हमेशा जगह बदल-बदल कर लगाये ताकि अधिक उत्पादन के साथ-साथ कीट एवं बीमरियों का प्रकोप कम हो सके।
न्यूट्रिशन गार्डन का स्थान चयन
कृषि वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह के मुताबिक, न्यूट्रिशन गार्डन के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। इस बात का ध्यान रखें कि बड़े पेड़ की छाया सब्जियों की पैदावार को प्रभावित न करें। इसके लिए एक या दो कम्पोस्ट के गड्ढे छाया या कम महत्व वाली जगह में बनाने चाहिए। अगर पर्याप्त जगह हो तो पपीता, नींबू, अंगूर, केला इत्यादि को उत्तर दिशा में लगाया जा सकता है।
ड़ॉ अभिषेक के अनुसार, पोषण वाटिका में सब्जियों का फसल चक्र निम्न प्रकार से रखना चाहिए:
- न्यूट्रिशन गार्डन की पहली क्यारी में नवंबर से मार्च और मार्च से अक्टूबर के माह के दौरान पत्तागोभी, लेट्यूस सहफसली रूप में ग्वार एवं फ्रास्बीन की फसल लगानी चाहिए।
- न्यूट्रिशन गार्डन की क्यारी सख्यां 2 में सितंबर से फरवरी तक गांठ गोभी और लोबिया और मार्च से लेकर अगस्त महीने में लोबिया की फसल लगानी चाहिए।
- क्यारी सख्यां 3 में जुलाई से नवंबर, नवंबर से दिसम्बर और दिसम्बर से जून में फूलगोभी, मूली की मध्य मौसमी किस्में, प्याज की फसल लगानी चाहिए।
- क्यारी सख्यां 4 में नवंबर से मार्च ,मार्च से जून और जूलाई से अक्टूबर मे आलू, लोबिया, अगेती फूलगोभी की फसल लगानी चाहिए।
- पांचवीं क्यारी में जुलाई से मार्च में बैंगन के साथ पालक और मार्च से जून माह में भिंडी के साथ चौलाई साग लगानी चाहिए।
- क्यारी सख्यां 6 में अगस्त से मार्च में गोल बैगन के साथ पालक और मार्च से अगस्त में भिंडी के साथ चौलाई साग लगानी चाहिए।
- सांतवीं क्यारी में सितंबर से मार्च में मिर्च के साथ शिमला मिर्च और जून से अगस्त में भिंडी की फसल लगानी चाहिए।
मेड़ों पर करे कंद वाली सब्जियों की बुवाई
डॉ अभिषेक ने बताया कि बुवाई का समय, जलवायु के अनुसार सब्जी की फसलें बदल सकते हैं। क्यारी संख्या 1 से 3 के मेड़ पर शलजम के बाद मूली, मेड 4 चुकन्दर के बाद अरबी/बंडा/गडेरी , क्यारी संख्या 5 से 6 के मेड पर गाजर के बाद अरबी/बंडा/गडेरी और क्यारी सख्यां 7 में मूली के बाद अरबी/बंडा/गडेरी लगानी चाहिए।
न्यूट्रिशन गार्डन में फलों को इस तरह लगाएं
सहजन (Drumstick) का एक पौधा एक लाइन में, केले के पांच पौधे एक लाइन में और पपीते के पांच पौधे एक लाईन में, करोंदा के दो पौधे एक लाईन में, करी पत्ता का एक पौधा एक लाईन में और शतावरी के दो पौधे छोटी लाइन में लगाने चाहिए।
न्यूट्रिशन गार्डन के लिए पौध सुरक्षा और अन्य ज़रूरी सुझाव
डॉ अभिषेक कहते हैं कि बीजों और पौधों की खरीदारी विश्वसनीय संस्थानों से ही करनी चाहिए। गोबर की खाद का ही ज़्यादातर प्रयोग करना चाहिए। सिंचाई के लिए रसोईघर या घर के बेकार पानी का उपयोग करना चाहिए।
फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए जैविक कीट नाशी दवाओं का उपयोग करें। नीम युक्त कीटनाशक के उपयोग को बढ़ावा दें। स्टीकी ट्रैप का उपयोग करें। पोषण वाटिका की कोई भी क्यारी खाली नहीं रखनी चाहिए। टमाटर, मटर, सेम, परवल आदि को सहारा दिया जाना चाहिए ताकि यह फसले कम से कम जगह घेरे और बेल/लतेदार सब्जियों जैसे लौकी, तुरई, केला, टिंडा इत्यादि को बाड़ों के सहारे उगाना चाहिए। जल्दी तैयार होने वाली सब्जियों को देर से तैयार होने वाली सब्जियों के बीच कतारों में लगाना चाहिए।
ये भी पढ़ें: बेकार पड़ी चीज़ों से किचन गार्डन (Kitchen Garden) बनाकर पौष्टिक सब्ज़ियां उगा रहीं बरेली की सुनीता सिंह
न्यूट्रिशन गार्डन से लाभ
डॉ. अभिषेक कहते हैं कि इम्यूनिटी पावर और अपने शरीर में पोषक तत्व की ज़रूरत को पूरा करने के लिए पोषण वाटिका सबसे बेहतर तरीका है। इससे हर समय ताज़ी, स्वादिष्ट और केमिकल मुक्त सब्जी की उपलब्धता रहती है। घर के व्यर्थ हो रहे पानी और कूड़े-करकट का सदुपयोग हो जाता है। इस तरह से अच्छी बचत भी होती है। बच्चो में अच्छी आदतों का विकास होता है ओर वे श्रमजीवी बनते है। पोषण वाटिका देखकर आंखों को संतोष एवं आनंद मिलता है और खाली समय का सदुपयोग हो जाता है।
ये भी पढ़ें: पोषण वाटिका का मॉडल क्यों है हिट? पुणे की अंजली ने अपने गाँव को बना दिया रोल मॉडल
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
ये भी पढ़ें:
- जैविक खेती कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान नितिन चंद्रकांत गायकवाड, जानिए उनकी सफलता की कहानीमहाराष्ट्र के नितिन चंद्रकांत गायकवाड द्वारा अपनाई गई जैविक खेती, जो किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीकों से खेती करने की प्रेरणा देती है।
- कृषि में नई तकनीक से क्रांति ला रहे हैं किसान प्रीतम सिंह, जानिए उनकी कहानीप्रीतम सिंह, हरियाणा के पानीपत जिले के निवासी, ने कृषि में नई तकनीक अपनाकर अपनी खेती की उत्पादकता बढ़ाई और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया।
- जैविक खेती में अग्रणी किसान जयकरण का सफर और खेती में किए गए बदलावहरियाणा के जयकरण जैविक खेती के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं, जो यूट्यूब चैनल के जरिए किसानों को जैविक खेती की तकनीकों से प्रेरित कर रहे हैं।
- कृषि में आधुनिक तकनीक से मनेन्द्र सिंह तेवतिया ने उन्नति की राह बनाईमनेन्द्र सिंह तेवतिया ने कृषि में आधुनिक तकनीक अपनाकर पारंपरिक तरीकों से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया, जिससे उन्होंने खेती में नई दिशा और सफलता हासिल की।
- Global Soils Conference 2024: ग्लोबल सॉयल्स कॉन्फ्रेंस 2024 का आगाज़ मृदा सुरक्षा संरक्षण पर होगा मंथनGlobal Soils Conference 2024 नई दिल्ली में आयोजित हुआ, जो 19 से 22 दिसंबर तक चलेगा, जहां मृदा प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन और पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा होगी।
- जल संरक्षण के साथ अनार की खेती कर संतोष देवी ने कायम की मिसाल, योजनाओं का लिया लाभसंतोष देवी ने जल संरक्षण के साथ अनार की खेती के तहत ड्रिप इरिगेशन के माध्यम से 80% पानी की बचत करते हुए उत्पादन लागत को 30% तक कम किया।
- रोहित चौहान की कहानी: युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय का भविष्यरोहित चौहान का डेयरी फ़ार्म युवाओं के बीच डेयरी व्यवसाय को प्रोत्साहित कर रहा है। रोहित ने कुछ गायों और भैंसों से छोटे स्तर पर डेयरी फ़ार्मिंग की शुरुआत की थी।
- जैविक खेती के जरिए संजीव कुमार ने सफलता की नई राह बनाई, जानिए उनकी कहानीसंजीव कुमार की कहानी, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। जैविक खेती के जरिए उन्होंने न केवल पारंपरिक तरीकों को छोड़ा, बल्कि एक नई दिशा की शुरुआत की।
- जैविक तरीके से रंगीन चावलों की खेती में किसान विजय गिरी की महारत, उपलब्ध कराते हैं बीजबिहार के विजय गिरी अपने क्षेत्र में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में लगे हैं। वो 6-10 एकड़ भूमि पर धान, मैजिक चावल, रंगीन चावलों की खेती करते हैं।
- रोहन सिंह पटेल ने वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय शुरू किया, क्या रहा शुरुआती निवेश और चुनौतियां?रोहन सिंह पटेल ने दो साल पहले वर्मीकम्पोस्टिंग व्यवसाय का काम शुरू किया, जिसमें उन्होंने जैविक खाद बनाने की तकनीक को अपनाया।
- नौकरी छोड़कर अपने गांव में जैविक खेती और कृषि में नई तकनीक अपनाकर, आशुतोष सिंह ने किया बड़ा बदलावआशुतोष प्रताप सिंह ने अपने गांव लौटकर कृषि में नई तकनीक और जैविक खेती अपनाकर अपनी खेती को सफल बनाया और आसपास के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनें।
- जैविक खेती के जरिए रूबी पारीक ने समाज और राष्ट्र निर्माण में किया अद्वितीय योगदानरूबी पारीक ने जैविक खेती के जरिए न केवल अपना जीवन बदला, बल्कि समाज के लिए स्वस्थ भविष्य की नींव रखी। उनकी कहानी संघर्ष और संकल्प की प्रेरणा है।
- Millets Products: बाजरे के प्रोडक्टस से शुरू की अनूप सोनी ने सफल बेकरी, पढ़ें उनकी कहानीअनूप सोनी और सुमित सोनी ने मिलेट्स प्रोडक्ट्स (Millets Products) से बेकरी व्यवसाय शुरू किया, बाजरे से हेल्दी केक बनाकर स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दिया।
- जानिए रघुवीर नंदम का कम्युनिटी सीड बैंक कैसे उनके क्षेत्र में वन सीड रेवोल्यूशन लेकर आ रहा हैआंध्र प्रदेश के रहने वाले रघुवीर नंदम ने ‘वन सीड रेवोल्यूशन कम्युनिटी सीड बैंक’ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने 251 देसी चावल की प्रजातियों का संरक्षण किया है।
- पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से बनाई नई पहचान, जानिए रविंद्र माणिकराव मेटकर की कहानीरविंद्र मेटकर ने पोल्ट्री व्यवसाय और जैविक खेती से अपनी कठिनाइयों को मात दी और सफलता की नई मिसाल कायम की, जो आज कई किसानों के लिए प्रेरणा है।
- उत्तराखंड में जैविक खेती का भविष्य: रमेश मिनान की कहानी और लाभउत्तराखंड में जैविक खेती के इस किसान ने न केवल अपनी भूमि पर जैविक खेती को अपनाया है, बल्कि सैकड़ों अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है।
- Wheat Varieties: गेहूं की ये उन्नत किस्में देंगी बंपर पैदावारगेहूं की ये किस्में (Wheat Varieties) उच्च उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और विभिन्न क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं, किसानों के लिए लाभकारी मानी गई हैं।
- पहाड़ी इलाके में मछलीपालन कर रही हैं हेमा डंगवाल: जानें उनकी सफलता की कहानीउत्तराखंड की हेमा डंगवाल ने पहाड़ी इलाकों में मछलीपालन को एक सफल व्यवसाय में बदला, इस क्षेत्र में सफलता हासिल की और अन्य महिलाओं को भी जागरूक किया।
- किसान दीपक मौर्या ने जैविक खेती में फसल चक्र अपनाया, चुनौतियों का सामना और समाधानदीपक मौर्या जैविक खेती में फसल चक्र के आधार पर सीजनल फसलें जैसे धनिया, मेथी और विभिन्न फूलों की खेती करते हैं, ताकि वो अधिकतम उत्पादकता प्राप्त कर सकें।
- पुलिस की नौकरी छोड़ शुरू किया डेयरी फ़ार्मिंग का सफल बिज़नेस, पढ़ें जगदीप सिंह की कहानीपंजाब के फ़िरोज़पुर जिले के छोटे से गांव में रहने वाले जगदीप सिंह ने पुलिस नौकरी छोड़कर डेयरी फ़ार्मिंग में सफलता हासिल कर एक नई पहचान बनाई है।