मटका खाद (Mataka Compost): देश में रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) के अत्यधिक इस्तेमाल और अन्य कारणों से कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है। किसान भाई उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह फसल स्वास्थ्य के साथ हमारी जमीन की उर्वरा शक्ति को धीरे-धीरे झीण करती जा रही है।
कई बार किसानों के पास इतने पैसे भी नहीं होते कि वे रासायनिक खाद खरीद कर फसलों में छिड़काव कर सके। ऐसे में आप कम खर्च में मटका खाद से उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
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मटका खाद १०० प्रतिशत शुद्ध जैविक खाद है। इसका इस्तेमाल करने से पौधों में ऊर्जा बहुत ज्यादा मात्रा में आती है और पौधे अच्छे से बढ़ते हैं। मटका खाद भी दूसरी जैविक खादों की तरह ही काफी कम खर्च में हमारे आसपास मौजूद चीजों से ही तैयार हो जाती है।
मटका खाद बनाने की विधि
इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक मटके में 15 लीटर साफ पानी लें और उसमें 250 ग्राम गुड़ मिलाकर इसका अच्छी तरह से घोल तैयार कर लें। फिर मटके में 15 लीटर गोमूत्र और 15 किलों गाय का गोबर डालकर एक डंडे से पहले 4 -5 मिनट तक सीधी दिशा में हिलाएं। इसके बाद विपरीत दिशा में हिलाएं।
इसके बाद मटके का मुंह ढक्कन से बंद कर दीजिये और उसके ऊपर गोबर व मिट्टी लेप चढ़ा दीजिये। अब इस मटके को किसी छायादार जगह पर रख दे। 7 से 10 दिन बाद मटका खाद तैयार हो जाएगी। इस खाद को एक ड्रम में पलटकर उसमें 150 लीटर पानी मिला लीजिए। बाद में उसे छानकर इसका फसल पर छिड़काव करते हैं।
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कब करें इसका इस्तेमाल
खेतों में मटका खाद का उपयोग बुआई करने से दो दिन पहले करें और दूसरा छिड़काव एक महीने बाद करें। जब फसल में फूल अच्छे से आने लगे तो मटका खाद का तीसरा छिड़काव करें। एक मटके में एक बीघा जमीन के लिए खाद बन जाती है। बुआई के 30 दिनों या 50 दिनों के बाद 200 लीटर पानी में 30 लीटर मटका खाद मिलाकर फसल की जड़ पर छिड़काव करें। जब मिट्टी में बहुत ज्यादा नमी हो,तभी इसका इस्तेमाल करें।
इस बात का ध्यान रखें
मटका खाद तैयार होने के दो से तीन दिनों के अंदर ही इसका इस्तेमाल कर लें। अधिक दिनों तक रखी गई मटका खाद का सही लाभ नही मिलता है। जब आप इसका दूसरा व तीसरा छिड़काव कर रहे हों तब फिर से मटका खाद को बनाएं। इसके अलावा मटका खाद बनाने के लिए गोबर और गोमूत्र 7 दिन से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।