कड़ाके की सर्दी ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। पाला पड़ने से फसलों को नुकसान की संभावना रहती है। इसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों को बचाने के लिए सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिक पाले से फसल को बचाने के लिए खेतों की मेढों पर घास, फूस जलाकर धुंआ करने की सलाह दे रहे हैं। पाला पड़ने से आलू, टमाटर, मटर, मसूर, सरसों, बैगन, अरहर, धनिया, पपीता की फसलें ज्यादा प्रभावित होती है। पाले ज्यादा होने पर गेहूं, चना आदि फसलें भी इसकी चपेट में आ जाती है।
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पाला से ऐसे करें बचाव
- पाला पड़ने पर खेतों की मेढ़ों पर घास, फूस जलाकर धुंआ करें। इससे आस-पास का वातावरण गर्म हो जाता है व फसलें पाले से बच जाती है।
- पाले से फसलों को बचाने के लिए किसानों को फसलों में सिंचाई करना चाहिए। सिंचाई करने से फसलों में पाले का प्रभाव नहीं पड़ता है।
- घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत, डब्ल्यूडीजी की 40 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
- फसलों को पाले से बचाव के लिए म्यूरेट ऑफ पोटाष की 15 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है।
- कई स्थानों पर गेहूं की फसल में जड़ माहू का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में जड़ माहू से बचाव के लिए इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एसएल की 100 मिली या क्लोरपायरीफास 20 ईसी की 800 मिली दवा प्रति एकड़ की दर से 150-180 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है।
- लहसुन की फसल में पत्तियां उपर से मुड़ जाती है, जो कि रस चूसक कीट थ्रिप्स के प्रकोप के कारण हो रहा है। इससे फसल के बचाव के लिए फिप्रोनिल 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
- लहसुन की फसल में लाल मकड़ी का प्रकोप होने पर सल्फर की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
- देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 21 से 25 दिन की हो गई है, तो पहली सिंचाई करना चाहिए।
- वर्तमान में लगी चने की फसल में पक्षियों को आश्रय देने के लिए टी आकार की खुटिया लगाएं जिससे पक्षी खेत में बैठकर इल्लियों को नष्ट करेंगे। ज्यादा प्रकोप होने पर बेवेरिया बेसियाना की 40 मिली या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी का 8 ग्राम को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
ये उपाए कर किसान फसलों को बचा सकते हैं।