स्ट्रॉबेरी की खेती: सर्दियों के बाजारों में फलों और सब्जियों की भरमार लग जाती है। हमेशा से ये कहा जाता है कि मौसमी फल खाना हमारी हेल्थ के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। इसमें कई सारे गुण होते हैं। वहीं सर्दियों में ही स्ट्रॉबेरी की भरमार होती है और दिसंबर से फरवरी तक के महीने में ये खूबसूरत और स्वादिष्ट रसेदार बेरीज आपके पास पहुंच जाती हैं।
सर्दियों में अगर आप अपनी डाइट में स्ट्रॉबेरी को शामिल करेंगे तो ये शरीर में कई तरह के मिनरल्स और विटामिन की कमी को पूरा कर सकती है।
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आज के समय में अधिकांश लोग खेती किसानी छोड़ कर कमाई करने के अलग जरिए ढूंढ रहे हैं और वहीं किसान आज के समय में सफल भी हो रहे हैं। बता दें कानपुर के किसान रमन शुक्ला ने भी परंपरागत खेती पर ध्यान नहीं दिया और स्ट्रॉबेरी की एक अमेरिकन प्रजाति की खेती शुरूआत की। जिसमें पहली ही बार में उनकी लगभग 30 हज़ार रुपये की कमाई हुई।
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रमन शुक्ला कानपुर, महाराजपुर के भीतरगांव ब्लॉक के दौलतपुर के रहने वाले हैं। आज वो खेती के क्षेत्र में सफलता की ऊंचाइयों पर हैं। रमन ने परंपरागत खेती ना करके लगभग 2 बीघा जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की, जिसमें लगभग 20 हजार रुपये की लागत आई। इसके लिए उन्हें लगभग 3 महीने तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी। पहली ही बार के उत्पादन में उन्हें लगभग 30 हजार रुपये की आमदनी हुई। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि मार्च अप्रैल आने तक लगभग 2 लाख रुपये तक की आमदनी की उम्मीद है।
दरअसल, रमन कोई आम खेती नहीं बल्कि अमेरिका के कैलिफोर्निया में होने वाले स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति की खेती कर रहे हैं। रमन की स्ट्रॉबेरी की खेती देख कर बाकी किसान भी उनसे काफी प्रेरित हैं। साल 2019 में रमन के एक परिचित ने स्ट्रॉबेरी की खेती करने का सुझाव दिया था। उसके बाद उन्होंने लखनऊ स्थित एक व्यापारी से बात करके 10 हजार रुपये में स्ट्रॉबेरी की कैमारोजा प्रजाति का एक हजार पौधा कैलिफोर्निया से मंगाया। पौधा मंगाने के बाद उन्होंने 30 अक्टूबर को 2 बीघा जमीन पर इसकी रोपाई कर दी।
रमन ने बताया कि उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने में किसी भी तरह के केमिकल का यूज नहीं किया। उन्होंने पूरी तरह से खेतों के लिए गोबर और जैविक खाद का इस्तेमाल किया। जब उन्होंने स्ट्रॉबेरी के पौधे की रोपाई की, उसके लगभग 25 दिनों के बाद ही सारे पौधों के नीचे पॉलिथीन बिछा दी, ताकि फल मिट्टी से ना लगे और उससे बचा रहे।