प्राकृतिक जल खेतों एवं पेड़ों की सिंचाई के लिए पर्याप्त नहीं होता है इसलिये कृत्रिम विधियों द्वारा भारत में सिंचाई कर पेड़ पौधों को जल उपलब्ध करवाया जाता है ताकि खेती के लिए भूमि को आवश्यक जल उपलब्ध करवाया जा सके। भारत में सिंचाई के तीन मुख्य स्रोत हैं- कुएं, नहर, तालाब एवं ट्यूबवेल।
सिंचाई के स्रोत
प्राकृतिक जल या तो नदियों, झीलों, तालाबों एवं नहरों में गुरुत्वबल से गतिशील सतही जल के रूप में उपलब्ध होता है या भूमिगत जल के रूप में, जिसे पशु शक्ति, डीजल या विद्युत के प्रयोग द्वारा ट्यूबवेलों से या कुएं खोदकर निकाला जाता है। किसी क्षेत्र के भौतिक पर्यावरण की दृष्टि से सिंचाई के विभिन्न स्रोत विशिष्ट हो सकते हैं तथा अपनी पृथक् विशेषताएं रख सकते हैं।
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कुएं
भारत के कई हिस्सों में कुएं सिंचाई का प्रमुख स्रोत हैं सिंचाई का स्रोत कुआं नहर के बाद दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। कुओं से भूमिगत जल की पशु शक्ति, रहटों, विद्युत पम्पों या तेल इंजनों के द्वारा ऊपर खींचा जाता है। कुओं द्वारा सिंचाई के लिए ऐसे क्षेत्र उपयुक्त माने जाते हैं, जहां पारगम्य शैल संरचना पायी जाती है, जो अंतःस्रवण के माध्यम से भूमिगत जल की अभिवृद्धि में सहायक होती है। एक जलोढ़ मिट्टी वाली समान्तर स्थलाकृति कुआं खोदने के लिए उपयुक्त होती है तथा ऐसी भूमि की उत्पादकता भी अधिक होती है।
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हिमालय क्षेत्र या असम में कुएं नहीं पाये जाते हैं। शुष्क क्षेत्रों के कुओं का जल क्षारीय या नमकीन हो जाता है, जो न पेयजल के रूप में काम आता है और न सिंचाई के। नहरों, तालाबों या निम्न भूमियों (जहां वर्षा जल इकट्ठा हो जाता है) के निकट पाये जाने वाले कुओं में लवणीयता की समस्या गंभीर होती है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र व गुजरात राज्यों के कुल सिंचित क्षेत्र का 50 या उससे भी अधिक प्रतिशत भाग कुओं द्वारा सिंचित होता है। मध्य प्रदेश एवं तमिलनाडु के भी एक वड़े भाग में कुओं द्वारा सिंचाई की जाती है।
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नहर
भारत के मैदानी भागों में नहर सिंचाई का एक प्रमुख साधन है। जहां नदियों की कमी है वहां सरकार हर खोदकर सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाती है ताकि उस क्षेत्र में किसानों को खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध करवाया जा सके। नहर से छोटी-छोटी नालियों के रास्ते जल को खेतों तक पहुंचाया जाता है। ये नहरें किसी बड़े डैम से निकलती हैं और इनमें साल भर पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध रहता है। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में नहर बहुत महत्वपूर्ण सिंचाई का साधन है।
तालाब
वर्षा के बाद जल तालाबों में इकट्ठा हो जाता है जिसको बाद में किसान खेती के लिए उपयोग में लाते हैं। तालाबों से जेनेरेटर की सहायता से किसान पानी को पाइप के सहारे खेतों तक पहुंचाते हैं। जहां नहर, कुएं आदि नहीं होते हैं वहां तालाबों की महत्ता बहुत बढ़ जाती है और मात्र तालाब ही किसानों के लिए सिंचाई का एक प्रमुख साधन होते हैं।
ट्यूबबेल
ट्यूबबेल भारत में सिंचाई का अब प्रमुख साधन बन चुके हैं। किसान कुआं खोदकर उसमें सबमर्सिबल पंप डालकर भूमिगत जल को सिंचाई के लिए प्रयोग करते हैं। ट्यूबबेल चलाने के लिए बिजली या डीजल की आवश्यकता होती है। एक ट्यूबबेल आसपास मौजूद कई हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है। सरकार द्वारा भी ट्यूबबेल लगवाए जाते हैं जिससे किसान अपनी फसलों की सिंचाई समय से कर सकें। इसके अलावा किसान खुद भी ट्यूबबेल लगाते हैं ताकि पानी की उचित समय पर उपलब्धता न होने पर अपनी फसल की सिंचाई जब चाहें कर सकें।
ट्यूबबेल से पानी छोटी नालियों से होता हुआ खेतों तक पहुंच जाता है। गेहूं, मक्का, धान आदि की खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में इन फसलों की खेती करने वाले किसान ट्यूबबेल की सहायता से अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं।