भारत में कई तरह के फूलों की खेती होती है। सजावटी से लेकर औषधीय गुणों वाले फूल। एक ऐसा ही फूल है कैलेंडुला। Calendula Flower गेंदे की तरह दिखता है, जिसे फ़्रेंच गेंदा भी कहते हैं। इसे आमतौर पर आप ने बगीचों में और गमलों में लगे देखा होगा। वैसे इसको पॉट मैरीगोल्ड (Pot Marigold) के नाम से भी जाना जाता है। ये डेज़ी और गुलदाउदी के साथ-साथ एस्टेरसिया (Asteraceae) परिवार का हिस्सा भी है। आपने इसको ज़्यादातर फरवरी से अप्रैल (Spring Season) में लगे देखा होगा। कई लोग इसे अपने बगीचे की ख़ूबसूरती बढ़ाने के लिए भी लगाते हैं। इसका पौधा बहुत तेज़ी से बढ़ता है। इसको लगाने के लगभग 6 से 8 हफ़्ते के अंदर इसमें फूल आने शुरू हो जाते हैं। इससे कई तरह के स्किन प्रोडक्ट्ड भी तैयार किये जाते हैं। कैलेंडुला डाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
दवा के तौर पर कैलेंडुला का इस्तेमाल
आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा पद्धति में इसका इस्तेमाल होता आ रहा है। रोमन साम्राज्य से लेकर अरब संस्कृति, प्राचीन ग्रीक में कैलेंडुला का इस्तेमाल अधिकतर जड़ी-बूटियों के तौर पर कई बीमारियों को सही करने के लिए किया जाता रहा है।
कैलेंडुला के बारें में
कैलेंडुला (Calendula) या पॉट मैरीगोल्ड (Pot Marigold) 40-70 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक भी पहुंच जाता है । इसकी जड़ें काफ़ी मज़बूत होती हैं और पत्तियां भी धारदार किनारों वाली होती हैं। कैलेंडुला (Calendula) की सबसे बड़ी ख़ासियत इसके सुंदर फूल हैं।
कैलेंडुला फूल की किस्में
रेडियो एक्स्ट्रा
रेडियो एक्स्ट्रा कैलेंडुला कैक्टस की तरह दिखने वाला पौधा है। इसके फूल चमकदार नारंगी रंग के होते हैं। ये कैलेंडुला फूलों की सबसे अलग और ख़ास दिखने वाली किस्म है।
पिंक सरप्राइज़
पिंक सरप्राइज़ कैलेंडुला की सबसे खास बात ये होती है कि इसमें झालरदार पंखुड़ियां निकलती हैं, जो सुनहरे (Golden ) और पीले रंग की होती हैं। इनके गुलाबी किनारे होते हैं।
टच ऑफ़ रेड
टच ऑफ रेड किस्म के फूलों में लाल और नारंगी रंग का मिक्सअप होता है। पंखुड़ियों के सिरे लाल होते हैं।
ब्रॉन्ज़ ब्यूटी
ब्रॉन्ज़-आड़ू और क्रीम रंग के फूलों के संग लंबे तनों पर ब्रॉन्ज़ ब्यूटी किस्म खिलती है।
टेंजेरीन क्रीम
टेंजेरीन क्रीम किस्म में दो रंग के फूल खिलते हैं।
ग्रीनहार्ट ऑरेंज
ग्रीनहार्ट ऑरेंज भी कैलेंडुला की किस्म है जो बाकियों से काफी ख़ास होती है। ये ऑरेंज कलर की पंखुड़ियों के साथ हरे रंग में घिरी होती है।
नियॉन किस्म
नियॉन किस्म में कैलेंडुला के डबल फूल होते हैं जो अलग-अलग तरह के चमकीले रंगों में खिलते हैं।
साइट्रस कॉकटेल
साइट्रस कॉकटेल कॉम्पैक्ट रूप में होते हैं। इसमें फूल चमकदार पीले और नारंगी रंग के खिलते हैं।
गोल्डन प्रिसेंज
गोल्डन प्रिसेंज किस्म के फूल चमकदार रंग के खिलते हैं। इनका सेंटर काला होता है।
Calendula Flower Season In India In Hindi
कैलेंडुला की खेती
कैलेंडुला के रोपने का काम अप्रैल माह में शुरू होता है। कैलेंडुला की रोपाई के लिए मिट्टी को खोदकर ज़मीन बराबर करें। रोपाई करने के लगभग 1 से 2 महीने के अंदर पौधों में फूल आने शुरू हो जाते हैं।
कैलेंडुला के लिए जलवायु
कैलेंडुला की खेती के लिए जगह बहुत अहम है। गर्मी वाली जगह कैलेंडुला की खेती के लिए सही नहीं होती है। इसको वहां पर रोपें जहां गर्मी कम हो, जिससे फूल बेहतर तरह से खिलें।
कैलेंडुला की देखभाल
कैलेंडुला के बीज (Calendula Seeds) बोने से पहले मिट्टी की गुणवत्ता को अच्छे से जांच लें। जैविक खाद मिट्टी में डालना बहुत ज़रूरी है। कैलेंडुला को सीधे बगीचे या गमलों में उगाना बहुत ही आसान है। कैलेंडुला को सूरज की रोशनी की ज़रूरत तो होती है, लेकिन ये ज़्यादा गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाते और मुरझाने लगते हैं। इसलिए कैलेंडुला की खेती के दौरान इसमें वक़्त-वक़्त पर पानी डालना काफ़ी ज़रूरी है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि पानी सीधे तौर पर ना डालें। पानी की तेज़ धार जड़ों को खराब कर सकती हैं।
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कैलेंडुला फूलों का मार्केट
वैरिफाइड मार्केट रिपोर्ट (verified market reports) के अनुसार, कैलेंडुला का मार्केट साइज़ 2023 में 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर था और 2030 तक 64.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। कैलेंडुला के फूलों से इत्र बनाने के लिए अर्क का बिज़नेस भारत में फ़ेमस है।
कैलेंडुला में लगने वाले रोग
बोट्रीटिस फ़ंगस (Fungus) कैलेंडुला की पत्तियों में लगता है। इसकी वजह से पत्तियां भूरे रंग की होने लगती हैं। इससे बचने के लिए प्रभावित हिस्सों को काटना ही पड़ जाता है। इसमें संक्रमण होने से पत्तियां व तने में जंग की तरह दिखने वाला रस्ट होने लगता है। आप फ़ंगस नाशी (Anti Fungal) डाल कर इसका इलाज कर सकते हैं। इसके अलावा व्हाइट फ़्लाई भी कैलेंडुला को खराब कर देते हैं। ये छोटे-छोटे सफ़ेद रंग के उड़ने वाले कीड़े होते हैं, जो पत्तियों पर चिपक जाते हैं। इससे पत्तियों का रंग पीला होने लगता है। इसको कंट्रोल करने के लिए आप पौधों के आस-पास क्रोमेटिक जाल लगा सकते हैं।
कैलेंडुला फूल से होने वाले फ़ायदे
कैलेंडुला का इस्तेमाल आर्युवेद में औषधीय पौधे के रूप में हो रहा है। इनके कई सारे हेल्थ से जुड़े फ़ायदे हैं। कैलेंडुला बहुत ही शक्तिशाली एंटीवायरल जड़ी-बूटी माना जाता है। ये शरीर में सूजन को कम करता है और एंटीऑक्सीडेंट भी हैं।
कैलेंडुला ऑयल एक्ने से भी स्किन को बचाता है। कैलेंडुला की एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी एक्ने से होने वाली सूजन को कम करती है। एंटी माइक्रोबियल, इंफेक्शन को खत्म करते हैं।
कैलेंडुला का खाने में इस्तेमाल
कैलेंडुला का इस्तेमाल खाना पकाने के दौरान और सलाद में भी किया जाता है। कैलेंडुला की पंखुड़ियां चटपटी स्वाद वाली होती हैं जो सलाद में इस्तेमाल की जाती हैं। साथ ही सूप बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है।
घर को सजाने के काम आता है कैलेंडुला
कैलेंडुला के फूल लोग अपने घरों में सजाते हैं। आउटडोर के साथ-साथ इनडोर सजावट भी इससे की जाती है। शादियों और अलग-अलग फंक्शन में भी कैलेंडुला के फूलों से सजावट की जाती है।