मिर्च भारत की प्रमुख मसाला फसल है। भारत में मिर्च का उत्पादन हरी मिर्च और लाल मिर्च (सूखी मिर्च) दोनों के लिए किया जाता है। भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं। बाज़ार में भी इसकी मांग सालभर रहती है। लिहाज़ा इसकी मिर्च की उन्नत किस्मों की खेती से किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं। आज हम आपको मिर्च की कुछ ऐसी ही उन्नत किस्मों के बारे में बताएंगे।
मिर्च की खेती के लिए भूमि कैसे करें तैयार?
मिर्च की खेती के लिए वर्षा आधारित क्षेत्रों में काली मिट्टी और सिंचित क्षेत्रों के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई दोमट या दोमट भूमि अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पी.एच.मान 6 से 7.5 के बीच बेहतर माना जाता है। भूमि को मिट्टी पलट हल से एक बार जुताई करके साधरण हल या कल्टीवेटर से एक से दो जुताई करके पाटा लगा देना चाहिए, ताकि मिट्टी भूर-भूरी हो जाए और मिट्टी में नमी बनीरह सके।
मिर्च की उन्नत किस्में
पूसा ज्वाला: ये किस्म ICAR-IARI नई दिल्ली ने ईज़ाद की है। मिर्च की पूसा ज्वाला किस्म मध्यम आकार के फलों वाली अधिक उपज देने वाली किस्म है। ये किस्म थ्रिप्स और घुन जैसे कीटों के प्रति सहिष्णु होती है। इसका उत्पादन क्षमता लगभग 8.5 टन/हेक्टेयर (हरी मिर्च) और 1.8 टन/हेक्टेयर (सूखी लाल मिर्च) है।
पन्त सी 1: मिर्च की इस किस्म में फल ऊपर की तरफ़ लगते हैं। पन्त सी 1 किस्म मोज़ेक और लीफ कर्ल वायरस के लिए मध्यम प्रतिरोधी है। 7.5 टन/हेक्टेयर (हरी मिर्च) और 1.5 टन/हेक्टेयर (सूखी लाल मिर्च) की उत्पादन क्षमता है। ये किस्म जी.बी.पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्त नगर ने विकसित की है।
पूसा सदाबहार: IARI की ईज़ाद की हुई ये किस्म साइटोमेगालोवायरस(CMV), तंबाकू मोज़ेक वायरस (TMV) और लीफ कर्ल के लिए प्रतिरोधी है। इसका उत्पादन लगभग 9.5 टन/हेक्टेयर (हरी मिर्च) व 2 टन/हेक्टेयर (सूखी मिर्च) है।
काशी सुर्ख: ये एक हाइब्रिड किस्म है, जिसका उत्पादन हरी मिर्च और सूखी मिर्च दोनों के लिए किया जाता है। पौध रोपण के 50-55 दिनों बाद हरे फल तुड़ाई के लायक हो जाते हैं। इसका उत्पादन लगभग 200-250 क्विंटल/हेक्टेयर है।
बीज और बीजोपचार
एक हेक्टेयर में पौध रोपण के लिए साधारण किस्म के 300-400 ग्राम बीज और संकर किस्म के 250-300 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। प्रमाणित बीजों को बीजोपचार की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि वो पहले से ही बाज़ार में शोधित होकर आते हैं। जबकि घर में तैयार बीज को कैप्टान अथवा बाविस्टिन की 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बुआई करनी चाहिए।
बीज की बुआई व पौध रोपण
भारत में मिर्च की बुआई तीनों ऋतुओं में होती है। मैदानी क्षेत्रों में जुलाई-अगस्त बीज की बुआई के लिए उपयुक्त समय रहता है। पौध रोपण के लिए 30 से 45 दिन की पौध उपयुक्त मानी जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में बीज की बुआई मार्च-अप्रैल और पौध रोपण अप्रैल-मई में किया जाता है।
मिर्च के पौधों का रोपण दूसरी सब्जियों की तरह शाम को करना चाहिए। मिर्च की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति के बीच 60-75 सेंटीमीटर और पौध से पौध के बीच की दूरी 45-50 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
सिंचाई और इन्टरक्रापिंग
मिर्च के पौध रोपण के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए। ज़रूरत पड़ने पर 10 से 15 दिन के अन्तराल में सिंचाई करते रहना चाहिए। फूल व फल बनते समय सिंचाई करना ज़रूरी है। समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए ताकि खरपतवार न हो। खरपतवार नाशी स्टाम्प 3.3 लीटर, 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर रोपण से पहले अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में छीड़काव करना चाहिए जिससे खेत में खरपतवार नही उगते और उपज अच्छी होती है।
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