रंगीन फूलगोभी की खेती की तरफ़ क्यों बढ़ रहा किसानों का रुझान? जानिए Coloured Cauliflower की खेती के बारे में

फूलगोभी सर्दियों की मुख्य सब्ज़ी फसल है, वैसे तो आजकल सालभर यह बाज़ार में मिलती है, लेकिन इसे उगाने का सही समय ठंड का मौसम ही है। आजकल कई राज्यों में किसान सफेद फूलगोभी की बजाय रंगीन फूलगोभी की खेती करना पसंद कर रहे हैं।

रंगीन फूलगोभी

किसान अब पहले की तुलना में अधिक जागरुक हो गए हैं और खेती में नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। तभी तो पारंपरिक सब्ज़ियों के साथ ही वह कुछ ऐसी सब्ज़ियां भी उगाने लगे हैं, जो आम सब्ज़ियों से अलग होती हैं। फूलगोभी तो आप सब हमेशा खाते ही होंगे, लेकिन क्या आपने पीली और बैंगनी फूलगोभी खाई है या बाज़ार में देखी है? शायद कुछ लोगों ने बाज़ार में रंगीन फूलगोभी देखी होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि यह किसानों को अधिक मुनाफ़ा देने के साथ ही हमारी सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद होती है। फूलगोभी की कई अलग-अलग किस्मों के साथ ही यह कई रंगों की भी होती है। ख़ास बात यह है कि इनमें कृत्रिम रंग नहीं डाला जाता, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से पीली और बैंगनी होती हैं। आइए, जानते हैं रंगीन फूलगोभी की खेती से जुड़ी अहम बातें।

पोषक तत्वों से भरपूर रंगीन फूलगोभी

पीली और बैंगनी फूलगोभी देखने में तो सुंदर लगती ही है, साथ ही यह सेहत के लिए भी फ़ायदेमंद होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पीले रंग की फूलगोभी में कैरोटेना नामक तत्व और बैंगनी रंग की गोभी में एलेंटीना तत्व पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार है। साथ ही यह कैंसर से बचाव करने में भी सहायक है। रंगीन फूलगोभी में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक आदि के गुण भी पाए जाते हैं। रंगीन गोभी बुज़ुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लाभदायक है। यह इम्युनिटी और हड्डियों को भी मज़बूत बनाने में सहायक है।

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तस्वीर साभार- onegreenplanet

रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

सामान्य फूलगोभी की तरह इसकी खेती के लिए भी ठंडी और नमी वाली जलवायु उपयुक्त होती है। पौधों के उचित विकास के लिए तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। रंगीन फूलगोभी के लिए जीवाश्म की अधिकता वाली मिट्टी अच्छी होती है। साथ ही जल-निकास की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पी.एच. बैलेंस 5.5 से 6.6 के बीच होना चाहिए।

रंगीन फूलगोभी की कैसे करें बुवाई?

खेत की 3-4 जुताई करके पाटा लगाकर समतल कर लें। रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए पौधों की नर्सरी तैयार करनी होती है। एक हेक्टेयर के लिए करीब 200-250 ग्राम बीज की ज़रूरत होती है। नर्सरी में बीज लगाने के बाद जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं, तो उन्हें खेतों में लगाना चाहिए। पौधों को 60*60 या 60*45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं। पौधे लगाने के बाद थोड़ी सिंचाई ज़रूर करें। फूलगोभी की खेती के लिए सितंबर से अक्टूबर तक का समय सबसे अच्छा होता है।

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तस्वीर साभार- hobbyfarms

रंगीन फूलगोभी की खेती की तरफ़ क्यों बढ़ रहा किसानों का रुझान? जानिए Coloured Cauliflower की खेती के बारे में

रंगीन फूलगोभी में खाद और सिंचाई

अच्छी उपज के लिए खाद की सही मात्रा डालनी ज़रूरी है। गोबर की सड़ी हुई खाद को मिट्टी में मिलाएं और मिट्टी की जांच के बाद उसमें ज़रूरत के मुताबिक, रासायनिक खाद भी डालें। यदि मिट्टी की जांच नहीं करवाई है तो 120 किलो नाइट्रोनस 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। गोबर की खाद और कंपोस्ट को पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले ही मिट्टी में मिला दें। पौधों के उचित विकास के लिए 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना भी ज़रूरी है।

कितने दिनों में तैयार होती है रंगीन फूलगोभी की फसल

पौधों की रोपाई के बाद 100-110 दिनों बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर से औसतन 200-300 क्विंटल गोभी की फसल प्राप्त होती है। रंगीन फूलगोभी की बाज़ार में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफ़ा होता है।

रंगीन फूलगोभी की खेती में आय एवं खर्च कुछ इस तरह है (200 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में):  

उत्पादन लागतः 2500 रुपये

पौध से पौध एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी = 60×60 सेंटीमीटर (555 पौधे)

एक फूलगोभी के फूल का औसत वजन = 850 ग्राम

औसत उत्पादन = 471.75 किलो

विक्रय मूल्य = 25 रुपये प्रति किलो

कुल आय = 11793.75 रुपये

शुद्ध आय = 9293.75 रुपये

ऊपर दिया गया डाटा कृषि विज्ञान केन्द्र, परसौनी, पूर्वी चम्पारण-।। के परिसर एवं कुछ किसानों की पोषण वाटिका में 2020-21 में उगाई गई रंगीन फूलगोभी पर आधारित है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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