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किसान अब पारंपरिक खेती का विकल्प खोजने लगे हैं। वे अपना फोकस पेड़ों की खेती और फलों की खेती पर कर रहे हैं। इसी कड़ी में ‘किसान ऑफ़ इंडिया’ लेकर आया है ड्रैगन फ़्रूट की खेती से जुड़े सवालों के जवाब। किसान सुनील विजयवर्गीय ने ड्रैगन फ़्रूट की खेती से जुड़ी कई बारीकियां बताईं। इसके साथ ही ड्रैगन फ़्रूट की खेती में लागत और लाभ के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। वो किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं।
क्या है ड्रैगन फ़्रूट? (What Is Dragon Fruit?)
सुनील विजयवर्गीय बतातें हैं कि ड्रैगन फ़्रूट एक कैक्टस वैरायटी है। ये फसल कम पानी में भी हो जाती है। इसी वजह से ये सूखाग्रस्त इलाकों में पाई जाती है। मध्य यूरोप, थाइलैंड, इंडोनेशिया में इसकी खेती ज़्यादा होती है। भारत में 15 साल पहले ड्रैगन फ़्रूट आया था। गुजरात में कच्छ के इलाके में ड्रैगन फ़्रूट की खेती की शुरुआत हुई। तेलंगाना के हैदराबाद समेत दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में इसकी खेती होती थी। अब कुछ वक्त से ड्रैगन फ़्रूट की खेती पूरे भारत में होने लगी है।
ड्रैगन फ़्रूट की खेती कैसे शुरू करें? (How To Start Dragon Fruit Farming?)
ड्रैगन फ़्रूट की खेती का सही समय जून से दिसंबर तक है, जब आप इसकी खेती कर सकते हैं। एक एकड़ में लगभग दो हज़ार पौधे लग सकते हैं। ड्रैगन फ़्रूट के पौधे आप नर्सरी से ले सकते हैं। इसकी खेती करने के लिए साढ़े सात फुट का पिलर लगाया जाता है। उसके ऊपर सरिया का एक रिंग लगा देते हैं। इस स्ट्रक्चर में चार प्लांट आसानी से आ जाते हैं। ये स्ट्रक्चर सरिया और सीमेंट का बना होता है। अगर किसान के पास रिंग नहीं हैं, तो किसान टायर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
एक बीघा में 250 पिलर लग जाते हैं। इस तरह किसान एक बीघा में हज़ार पौधे लग सकते हैं। ड्रैगन फ़्रूट की खेती में लागत और लाभ का भी विशेष ध्यान देना होता है। एक एकड़ में लगभग तीन लाख से साढ़े तीन लाख रुपए तक का खर्चा आ जाता है। साढ़े सात फिट का पिलर रहता है। पिलर का खर्चा 200 से 250 रुपये आता है। पिलर के ऊपर लगने वाली रिंग का खर्च लगभग 200 रुपये का आ जाता है।
ड्रैगन फ़्रूट की किस्में (Varieties Of Dragon Fruit)
सुनील बतातें है कि ड्रैगन फ़्रूट में बहुत सारी उन्नत किस्में आती हैं। ये एक कैक्टस ब्रीड है। इसकी अगर उन्नत किस्मों की बात की जाए तो थाइलैंड रेड, इंडोनेशिया, इज़रायली रेड, इज़रायली येलो, इज़रायली वियतनाम जंबो वैरायटी (500 ग्राम का फ़्रूट), मुरकंड ( 250 से 300 ग्राम का फ़्रूट) , अमेरिकन ब्यूटी (इसकी कीमत बाजार में 800 से 1000 रुपए है) वगैरह।
ड्रैगन फ़्रूट की खेती में मिट्टी (Soil Requirement In Dragon Fruit Cultivation)
सुनील बतातें है कि ड्रैगन फ़्रूट की खेती लाल, काली, चिकनी, गोराढ़ू, पथरीली, दोमट सभी तरह की मिट्टी में हो सकती है। राजस्थान के जयपुर में भी ड्रैगन फ़्रूट की खेती का अच्छा रिज़ल्ट है।
ड्रैगन फ़्रूट में सिंचाई कब और कैसे करें? (Irrigation In Dragon Fruit)
ड्रैगन फ़्रूट की खेती कम पानी में की जा सकती है। तापमान 10 डिग्री से लेकर 45 डिग्री तक रहना चाहिए। फव्वारा विधि से सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई कम करनी चाहिए। ज़्यादा सिंचाई से इसकी जड़ें खराब हो जाती हैं। अगर खेत में पानी भर जाता है तो पानी के निकास की व्यवस्था होनी चाहिए। महिने में सिर्फ एक-दो बार सिंचाई करनी चाहिए। इसके साथ ही किसान ग्रीन नेट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीन नेट ड्रैगन फ़्रूट को लू से बचाता है।
ड्रैगन की खेती में लगने वाले रोग (Diseases In Dragon Fruit Farming)
ड्रैगन की खेती में अधिकतर फंगस रोग ही लगता है। अगर फसल में फंगस लग गया है तो हर 15 दिन कीटनाशकों का छिड़काव करना पड़ता है। इस रोग से बचने के लिए पहले वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर पौधे में फंगस लग भी जाता है तो वर्मीवॉश, जीवामृत, नीम की खली का इस्तेमाल करना चाहिए। 15 लीटर पानी में 25 ग्राम ये दवाइयां मिलानी चाहिए। कई तरह की दवाइयां आती हैं। ड्रैगन फ़्रूट के सभी फंगल रोगों के लिए आप कॉपर फंगसाइड के इस्तेमाल पर विचार कर सकते हैं। आप मामूली संक्रमण के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड स्प्रे या दालचीनी डस्टिंग से शुरुआत कर सकते हैं।
ड्रैगन फ़्रूट का कितना भाव और फ़ायदा? (Cost & Benefits Of Dragon Fruit Farming)
ड्रैगन फ़्रूट से कमाई की बात करें तो अभी बाज़ार में ड्रैगन फ़्रूट ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है। ड्रैगन फ़्रूट का इस्तेमाल कई फ़ार्मा कंपनियां भी करती हैं। इसका जूस बनाने में भी इस्तेमाल होता है। किसानों को पहला उत्पादन तीन से चार लाख रुपए का मिलता है। पहले साल में किसानों का खर्चा निकल आता है। दूसरे साल में किसानों को मुनाफ़ा होना चालू हो जाता है। ड्रैगन फ्रूट को लंबे वक्त तक स्टोर किया जा सकता है। एक एकड़ से 4 से 5 टन का उत्पादन मिल जाता है।
ड्रैगन फ़्रूट की खेती की ट्रेनिंग (Dragon Fruit Farming Training)
ड्रैगन फ़्रूट की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले मिट्टी का चयन करना चाहिए। देसी गाय के गोबर से बनी खाद का इस्तेमाल करने की हम सलाह देते हैं। 8 बाय 10 के हिसाब से पिलर के गड्डे करवाते हैं। डेढ़ फीट गहरा गड्डा करते हैं। पिलर की मजबूती के लिए पिलर को डेढ़ फिट गाढ़ देते हैं। एक पिलर से दूसरे पिलर की दूरी छः फ़ीट रखते हैं। तीन से चार इंच मिंट्टी के अंदर पौधा लगा देना चाहिए। एक पिलर में चार पौधे आते हैं। इसके बाद पौधे में वर्मी खाद डाला जाता है। हम एक साल तक केमिकल डालने के लिए मना करते हैं। किसान ड्रैगन फ़्रूट की खेती के साथ दूसरी फसलों को भी लगा सकते हैं।
ड्रैगन फ़्रूट की खेती पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सवाल: बाजार में 1 किलो ड्रैगन फ़्रूट की कीमत क्या है?
जवाब: अभी बाज़ार में ड्रैगन फ़्रूट ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है।
सवाल: ड्रैगन फ़्रूट का पौधा कितने दिन में फल देता है?
जवाब: ड्रैगन फ़्रूट का उत्पादन एक साल में होता है। दूसरे साल किसान को मुनाफ़ा मिल जाता है। पहले साल के उत्पाद में किसानों का इनवेस्टमेंट निकल आता है।
सवाल: किसान को ड्रैगन फ़्रूट के लिए कौन सी खाद डालनी चाहिए?
जवाब: किसानों को अपनी ड्रैगन फ्रूट की खेती में वर्मीकम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल करना चाहिए।
सवाल: एक एकड़ खेत में कितने ड्रैगन फ़्रूट के पौधे लगा सकते हैं?
जवाब: ड्रैगन फ़्रूट की खेती में एक एकड़ में लगभग दो हज़ार पौधे आते हैं।
सवाल: ड्रैगन फ़्रूट के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
जवाब: ड्रैगन फ़्रूट की खेती लाल, काली, चिकनी , गोराढ़ू, पत्थरीली, दोमट व सभी तरह की मिट्टी में हो सकती है।
सवाल: किसान ड्रैगन फ्रूट को धूप से कैसे बचाएं?
जवाब: किसान ग्रीन शेड नेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीन नेट ड्रैगन फ़्रूट को लू से बचाता है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।