वाराणसी के मेहंदीगंज गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान सुशील कुमार की ज़िंदगी गेंदे के फूल ने गुलज़ार की है। सुशील कुमार खुशहाल जीवन जी रहे हैं और इसकी वजह है लगातार नया कुछ सीखने की चाह। वह गेंदे के फूल की खेती में उन्नत तकनीकों के प्रयोग से अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं।
IFFCO कंपनी ने बदली ज़िंदगी
2012 में IFFCO कंपनी ने उनके गाँव को गोद लिया। वह कहते हैं कि उनकी सफलता में IFFCO संस्था का ख़ास योगदान है। उन्होंने कहा-
“IFFCO ने मुझे 6 दिन की ट्रेनिंग के लिए जबर्दस्ती इलाहाबाद (प्रयागराज) भेज दिया। वहां जाने के बाद पता चला कि दुनिया कितनी आगे निकल चुकी है। मैं खुद को कुएं का मेंढक समझने लगा। इलाहाबाद की ट्रेनिंग के बाद कई और जगहों पर मैं गया, जहां से मुझे और नयी-नयी जानकारियां मिलीं। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र का भी पूरा सहयोग मिला। किसी भी तरह की समस्या आने पर वैज्ञानिक तुरंत मदद के लिए तैयार रहते हैं।”
पारंपरिक खेती पर ही निर्भर न रहें
सुशील कुमार का कहना है कि किसानों को पारंपरिक खेती पर ही निर्भर नहीं होना चाहिए।किसान गेंदें के फूल की खेती या सब्जियों की खेती करें। इसमें मुनाफ़े का प्रतिशत ज़्यादा रहता है। वह किसानों से आग्रह करते हैं कि 90 प्रतिशत किसान वैज्ञानिको के पास नहीं जाते हैं, लेकिन किसी भी तरह की समस्या होने पर वैज्ञानिकों से सलाह लेनी चाहिए।
पूरे साल गेंदे के फूल की खेती
सुशील कुमार आगे कहते हैं कि आप गेंदे के फूल की खेती का कुछ इस तरह से प्रबंधन करें कि साल के 365 दिनों के लिए आपके पास फूल उपलब्ध हों। वह उन्नत तकनीक के इस्तेमाल से गेंदे के फूल की खेती करते हैं। वह गेंदे के फूल की खेती में नीचे की ओर पनपने वाली घास को काटते नहीं है। उन्होंने बताया कि घास की वजह से गेंदे के फूल गर्मी सहन कर पाते हैं।
गेंदे के फूल की खेती के साथ ही चेरी की खेती भी
सुशील कुमार गेंदे के फूल की खेती के साथ चेरी की खेती भी करते हैं। वह इसके फ़ायदों के बारे में बताते हैं। वह गेंदे के दो खेत के बीच में चेरी की खेती करते हैं, जिससे एक तरफ़ की उपज खराब होने पर दूसरी तरफ़ की फसल को नुकसान नहीं पहुंचता। इस तरह से तापमान भी संतुलित रहता है। आंधी-तूफान से भी पौधों की सुरक्षा होती है।
गेंदे के फूल की खेती में कितना मुनाफ़ा?
सुशील कुमार किसानों को सलाह देते हैं कि गेंदे के फूल की खेती में पहले साल बीज बाज़ार से खरीद लें, लेकिन उसके बाद गेंदे के फूल का बीज खुद ही तैयार करें। इस तरह से आप अच्छी गुणवत्ता का बीज तैयार कर सकते हैं और बीज उत्पादन से 20 हज़ार रुपये की बचत कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि गेंदे के फूल की मार्केट भी अच्छी है। उनकी एक माला ही खुद 100 रुपये में बिकी। अब परिवार का खर्च और बच्चों की शिक्षा, गेंदे के फूल की खेती से निकल जाती है।
किसानों को समूह बनाना चाहिए
सुशील कुमार कहते हैं कि किसानों को समूह में रहकर, एक-दूसरे का सहयोग करते हुए प्रगति की राह पर चलना चाहिए। एकजुटता से एक-दूसरे की समस्याएं हल कर सकते हैं। 10 लोग भी मिलकर किसी चीज़ पर चर्चा करेंगे तो कुछ नई बात निकलकर सामने आएगी।
वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय ने सुशील कुमार को कृषि में उनके योगदान के लिए सम्मानित भी किया है।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।
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