बागवानी मिशन की बदौलत जम्मू-कश्मीर का यह गाँव बना ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’, 5 से 8 लाख रुपये पहुंची किसानों की आमदनी

जम्मू-कश्मीर में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने बागवानी मिशन की शुरुआत की जिसके तहत किसानों को ज़रूरी मदद प्रदान करके उन्हें बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रेरित किया गया और इसका परिणाम बेहद सकारात्मक रहा।

बागवानी मिशन स्ट्रॉबेरी की खेती horticulture mission strawberry farming

जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में पानी की उचित व्यवस्था और नई तकनीकों की जानकारी के अभाव में किसान खेती से उतना लाभ नहीं कमा पाते थे। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से संचालित बागवानी मिशन ने बहुत से किसानों की ज़िंदगी बदल दी। इस मिशन के तहत जम्मू-कश्मीर के गूसू गाँव के सभी किसान स्ट्रॉबेरी की सफल खेती करने लगे। यह गांव अब ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’ कहलाता है। किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से काफ़ी बेहतर हो गई है। इस मिशन ने किसानों को नई तकनीक से अवगत कराया है।

कैसे बना ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’?

श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित गूसू गाँव के किसान अब्दुल अहमद मीर राज्य के बागवानी मिशन के लाभार्थी हैं। उन्हें विभाग की ओर से स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए लगातर मदद दी गई। टेक्नोलॉजी मिशन के तहत उन्होंने 1/8 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। विभाग के लगातार सहयोग की बदौलत अब वह एक सफल स्ट्रॉबेरी उत्पादक बन गए हैं। यही नहीं अब पूरा गाँव और आसपास के अन्य गाँवों के किसान भी स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे हैं।

जहां कृषि विविधिकरण अपनाने से पहले मात्र 20 से 25 हज़ार की रुपये आमदनी होती थी, अब सालाना प्रति एकड़ आमदनी करीब 5 लाख रुपये के आस-पास पहुँच गई है। किसानों की आर्थिक स्थिति पहले से बहुत बेहतर हो गई और गूसू गाँव ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’ कहलाने लगा।

बागवानी मिशन की बदौलत जम्मू-कश्मीर का यह गाँव बना ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’, 5 से 8 लाख रुपये पहुंची किसानों की आमदनी

नई तकनीक का इस्तेमाल

बागवानी मिशन के तहत कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जागरूकता शिविर का भी आयोजन किया गया। इससे किसान नई तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित हुए। ऐसे ही एक किसान हैं बडगाम ज़िले के गुंड साथू गाँव के गुलाम कादिर भट्ट। उन्होंने कैनोपी और बेसिन प्रबंधन तकनीक अपनाई। इसके लिए उन्हें विभाग की ओर से पूरा मार्गदर्शन मिला। इस तकनीक को अपनाने के पहले उनके बाग में मुश्किल से फल लगते थे, लेकिन इसे अपनाने के बाद उनके बाग में फल लगने लगे और उत्पादन भी बढ़ गया। उन्हें प्रति हेक्टेयर 8 लाख रुपये की आमदनी होने लगी। इस तकनीक को अब पूरे गाँव ने अपना लिया है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ हो रहा है।

बागवानी मिशन की बदौलत जम्मू-कश्मीर का यह गाँव बना ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’, 5 से 8 लाख रुपये पहुंची किसानों की आमदनी

बागवानी मिशन की बदौलत जम्मू-कश्मीर का यह गाँव बना ‘स्ट्रॉबेरी विलेज’, 5 से 8 लाख रुपये पहुंची किसानों की आमदनी

जल सरंक्षण टैंक का निर्माण

श्रीनगर के कई गाँवों में सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है और सिर्फ़ वर्षा पर निर्भर रहने के कारण फलों की अच्छी खेती नहीं हो पाती है। ऐसे में श्रीनगर के चट्टेहामा गाँव के किसान मोहिउदिन राथर ने बागवानी मिशन के तहत, विभाग से मिले सहयोग की बदौलत जल भंडारण टैंक बनाकर पूरे साल सिंचाई की उचित व्यवस्था की। इससे पौधों के जीवित रहने की संभावना 100 फ़ीसदी बढ़ गई। इस इलाके में पानी की कमी के कारण पहले पौधों के जीवित रहने की दर सिर्फ़ 50 प्रतिशत ही थी। मोहिउदिन राथर जल भंडारण टैंक में जमा पानी से सिंचाई करते हैं। उनका बाग एक मॉडल बाग बनकर उभरा है। उनकी सफलता देखकर इलाके के कई अन्य किसानों ने भी जल भंडारण टैंक बनवाया।

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बागवानी मिशन की मदद से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और खेती उनकी आजीविका का मुख्य साधन बन गई। बहुत से किसान अब मुख्य धारा में शामिल होकर फलों की खेती करने लगे हैं। इस तरह बागवानी मिशन ने किसानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में बहुत सुधार किया है।

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सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

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