वर्षा आधारित भूमि पर भी सिंचाई की सुविधा करके अच्छी खेती की जा सकती है। इसकी बेहतरीन मिसाल हैं हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के फगोग गांव के किसान भारत भूषण। वो पहले अनाज और तिलहन उगाते थे, लेकिन इसके कम उत्पादन को देखते हुए उन्होंने सब्ज़ियों की खेती का रुख किया। इसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता मिली। तालाब और नलकूपों जैसे सिंचाई के साधनों का इस्तेमाल करके वो सिर्फ़ वर्षा आधारित 5 एकड़ की भूमि पर सफलतापूर्वक सब्ज़ियां उगा रहे हैं।
सब्ज़ियों की खेती में आधुनिक तकनीक
भारत भूषण ने 2018 से सब्ज़ियों की खेती शुरू की। वो फूलगोभी, पत्तागोभी, जिमिकंद, गांठगोभी, चुकंदर, भिंडी, शिमला मिर्च, खीरा, प्याज़ आदि उगा रहे हैं। पहले उन्हें सब्ज़ियों की खेती की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी नहीं थी, और इसी वजह से उन्हें अधिक मुनाफ़ा नहीं होता था। इसीलिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, बरठीं, हिमाचल प्रदेश में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां उन्हें सब्ज़ी उत्पादन की आधुनिक तकनीक के बारे में पता चला।
सब्जियों की खेती से बढ़ा उत्पादन
आधुनिक तकनीक अपनाने की सलाह के साथ ही कृषि विशेषज्ञों ने उन्हें हिमाचल सरकार की ओर से दी जाने वाली अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। इसके बाद ही उन्होंने सरकार द्वारा प्रायोजित उन्नत किस्मों के बीज इस्तेमाल करने शुरू किये और सिंचाई सुविधाओं का लाभ उठाया। नतीजा ये रहा कि पिछले साल के मुक़ाबले उनका उत्पादन दो गुणा तक बढ़ गया।
जिमिकंद की उन्नत किस्म
5 बीघा ज़मीन पर फूलगोभी और हरी पत्तेदार सब्ज़ियों के साथ ही वो जिमिकंद की उन्नत किस्म, जिमिकंद पालम-1 की खेती करने लगे। वह खीरा, प्याज़, फूलगोभी जैसी व्यवसायिक फसलों के बीज उगाने के साथ ही जिमिकंद व अन्य कंद फसलों का भी बीज उत्पादन कर रहे हैं। पिछले साल उन्होंने बिलासपुर जिले के किसानों की मांग को पूरा करने के लिए जिमिकंद पालम-1 किस्म के करीब 100 क्विंटल बीज का उत्पादन किया था। वह हिमाचल प्रदेश के किसानों को बीज और गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं।
कितना हुआ मुनाफ़ा?
भारत भूषण को कृषि की आधुनिक तकनीक अपनाने के बाद 2020-21 रबी सीज़न के दौरान करीब 1,40,000 रुपये और खरीफ में करीब 4,18,000 रुपए का मुनाफा हुआ। यही नहीं हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में जिमिकंद की खेती ने किसानों को कुछ नया करने के लिए प्रेरित भी किया। भारत भूषण द्वारा किये गए बीज व पौध उत्पादन से इलाके के किसानों को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली। भारत भूषण की सफलता देखकर इलाके के अन्य किसान भी सब्ज़ियों की खेती और बीज उत्पादन के लिए प्रेरित हुए हैं जिससे उनकी आमदनी में इज़ाफा हुआ।
खुद ही बीज उत्पादन करने से किसानों की खेती की लागत में कमी आती है, साथ ही उन्हें अच्छे बीजों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। चूंकि वह खुद ही बीज उत्पादन करते हैं, तो उसकी गुणवत्ता भी अच्छी रहती है और उत्पादन बढ़ता है। जिन किसानों को अनाज उत्पादन से अच्छा मुनाफ़ा नहीं हो रहा है, वो कृषि वैज्ञानिकों की मदद लेकर और आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी जुटाकर सब्ज़ियों की उन्नत खेती कर सकते हैं । सब्ज़ियों की व्यवसायिक खेती हमेशा फायदेमंद होती है, क्योंकि सब्ज़ियों की बाज़ार में मांग हमेशा बनी रहती है।
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