Sapota Cultivation: क्या है चीकू की खेती करने की आधुनिक तकनीक? सही प्रबंधन और सिंचाई से अच्छी होगी पैदावार

चीकू को सपोटा भी कहा जाता है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में की जाती है। करीब 65 हज़ार एकड़ ज़मीन पर चीकू की खेती की जा रही है।

चीकू की खेती sapota cultivation chiku farming

चीकू बहुत मीठा और स्वादिष्ट फल है जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, फाइबर, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम से भरपूर होता है। भारत में इसकी खेती भी खूब हो रही है, लेकिन इसका जन्म स्थान मेक्सिको और मध्य अमेरिका माना जाता है। चीकू की खेती से किसान अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। गुजरात के कच्छ में बड़े पैमाने पर चीकू की उन्नत खेती की जाती है। आम और अनार के बाद सबसे अधिक उगाया जाने वाला फल चीकू ही है। चीकू की सफल खेती के लिए किसानों को मिट्टी से लेकर जलवायु तक की सही जानकारी होना ज़रूरी है।

चीकू की खेती के लिए कैसी मिट्टी और जलवायु चाहिए?

वैसे तो चीकू को कई तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन गहरी उपजाउ बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6-8 होना चाहिए और जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होना भी ज़रूरी है।

चिकनी मिट्टी और कैल्शियम की अधिक मात्रा वाली मिट्टी में चीकू की खेती नहीं करनी चाहिए। गर्म और नमी वाले मौसम में चीकू की खेती अच्छी होती है। फलों के विकास के लिए 11 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित होता है।

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तस्वीर साभार- Indiamart

Sapota Cultivation: क्या है चीकू की खेती करने की आधुनिक तकनीक? सही प्रबंधन और सिंचाई से अच्छी होगी पैदावार

कैसे करें बुवाई?

चीकू की खेती के लिए पौधों की रोपाई के लिए जुलाई का महीना सबसे अच्छा है। रोपाई के समय पौधों से पौधों की दूरी 8 मीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 8 मीटर रखनी चाहिए। बलुई मिट्टी में बुवाई के लिए 60 सेमी X 60 सेमी X 60 सेमी के आकार के गड्ढ़े खोदकर उसमें गोबर की खाद, 3 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट और 1.5 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश और 10 ग्राम फोरेट धूल या नीम की खली गड्ढ़े में भरें। इसे अप्रैल-मई में भरा जाता है और एक महीने बाद यानी जून-जुलाई में पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए।

चीकू की किस्में

चीकू की कई उन्नत किस्में प्रचलित हैं, जिनका गूदा मीठा व स्वादिष्ट होता है। क्रिकेट बाल, काली पत्ती, भूरी पत्ती, पी.के.एम.1, डीएसएच-2 झुमकिया चीकू की उन्नत किस्मों में से हैं। काली पत्ती किस्म गुजरात के अधिकांश हिस्सों मे उगाई जाती है।

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सिंचाई और खाद की ज़रूरत

चीकू की खेती में मॉनसून में सिंचाई की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन गर्मी के मौसम में 7 दिनों में और सर्दियों के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। इससे फल जल्दी आते हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप प्रणाली का इस्तेमाल अच्छा रहता है। फलों की अच्छी वृद्धि के लिए खाद डालना बहुत आवश्यक है। अधिक उपज प्राप्त करने के लिए हर पौधे में प्रति वर्ष 50 किलो गोबर की खाद, 1000 ग्राम नाइट्रोजन, 500 ग्राम फॉस्फोरस, 500 ग्राम पोटाश डालें।

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तस्वीर साभार- paidforarticles

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चीकू की खेती में अंतर-फसल प्रणाली  

चीकू के साथ आप मौसम के अनुसार अनानास, कोकोआ, टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, मटर, कद्दू, केला और पपीता जैसे अंतर फसलों को उगाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं।

कितना उत्पादन? 

चीकू के फल को तैयार होने में 7-10 महीने का समय लगता है। साल में दो बार जनवरी से फरवरी और फिर मई से जुलाई तक फसल प्राप्त होती है। 15-20 टन प्रति हेक्टेयर फल प्राप्त किए जा सकते हैं। उत्पादन क्षमता किस्म और रखरखाव पर निर्भर करती है।

सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।

 

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