भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है और इसकी ख़ासियत यह है कि इसे पूरे साल उगाया जा सकता है। भिंडी को ओकरा (Okra) भी कहा जाता है। स्वाद में बेहतरीन होने के साथ ही भिंडी पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। इसमें विटामिन सी और विटामिन के की अच्छी मात्रा होती है। एंटीऑक्सीडेंट भी भरपूर मात्रा में होता है, जो कई गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करता है। भिंडी सेहत के लिए बहुत फ़ायदेमंद मानी जाती है। कृषि वैज्ञानिक लगातार इसकी नई-नई किस्में विकसित करते रहते हैं, जिससे किसानों को अधिक पैदावार मिले और कीटों से होने वाला नुकसान भी कम हो। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित अधिक पैदावार वाली एक किस्म है काशी चमन, जो सिर्फ़ डेढ़ महीने में तैयार हो जाती है।
भिंडी की किस्म काशी चमन को किसने किया विकसित?
भिंडी की उन्नत किस्म काशी चमन को 2019 में उत्तर प्रदेश स्थित ICAR-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने विकसित किया। इस किस्म की ख़ासियत है कि इसकी खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसम में की जा सकती है।

भिंडी की इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी
इस किस्म पर येलो वेन मोज़ेक वायरस (Yellow Vain Mosaic Virus, YVMV) और ओकरा एनेशन लीफ़ कर्ल वायरस (Okra Enation Leaf Curl Virus, OELCV) रोगों का प्रभाव नहीं पड़ता। इन रोगों के प्रति इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है।
यह दोनों ही रोग भिंडी की फसल के लिए बहुत खतरनाक माने जाते हैं और फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। काशी चमन न सिर्फ़ रोग प्रतिरोधक है, बल्कि इसकी उपज क्षमता भी अन्य किस्मों की तुलना में 21.66 फ़ीसदी से अधिक है। यही वजह है कि यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा में लोकप्रिय हो चुकी है करीब 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जा रही है।

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डेढ़ महीने में मिली बंपर पैदावार
वाराणसी के बंगालीपुर गाँव के रहने वाले किसान उपेंद्र सिंह पटेल ने 10 जुलाई, 2021 को 0.3 एकड़ में भिंडी की काशी चमन किस्म की बुवाई की। खेती के लिए वैज्ञानिकों द्वारा दी गई सलाह पर अमल किया। उनके द्वारा बताए उर्वरक और कीटनाशक का इस्तेमाल किया। बुवाई के 46 दिन बाद ही उन्होंने फसल की पहली कटाई की। इसके बाद 3-4 दिन के अंतराल पर 35 से 40 किलो भिंडी की फसल की कटाई करने लगें। अक्टूबर तक करीब 90 दिनों में उन्होंने 668 किलों भिंडी की फसल प्राप्त की। इससे उन्हें करीबन 21,376 रुपये का शुद्ध लाभ मिला।

भिंडी की खेती
भिंडी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 7-8 तक होना चाहिए। भिंडी की फसल खरीफ़ और बरसात के मौसम में अच्छी होती है। बहुत अधिक गर्मी और अधिक ठंडा मौसम, इसकी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे इलाके जहां सर्दियों में पाला गिरता है, वहां भिंडी की खेती सफल नहीं रहती। भिंडी के बीजों को अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री सेल्सियस तापमान और उसके बाद फसल को विकसित होने के लिए 27-30 डिग्री सेल्सियस तापमान की ज़रूरत होती है।
कब करें बुवाई?
गर्मी की फसल के लिए भिंडी के बीजों की बुवाई फरवरी से मार्च के बीच और बरसात के मौसम में इसके बीजों की बुवाई जुलाई महीने में की जाती है। बुवाई से पहले बीजों को गौमूत्र या कार्बेन्डाजिम से उपचारित कर लेना चाहिए। एक हेक्टेयर में बुवाई के लिए करीब 5 किलो बीज की ज़रूरत होती है। बुवाई के समय पंक्ति से पंक्ति के बीच एक फ़ीट की दूरी और पौधों से पौधों के बीच 25-30 सेंटीमीटर की दूरी रखें। खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें और कीटों से बचाव के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करें।
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