मध्य प्रदेश व्यावसायिक शिक्षा मंडल यानी व्यापमं की ओर से वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पदों पर भर्ती के लिए 10-11 फरवरी को परीक्षा में एक बार धाँधली होने के सबूत सामने आये हैं। परीक्षा में सबसे अधिक अंक पाने वाले 10 उम्मीदवारों ने चंबल क्षेत्र के एक ही कॉलेज से बीएससी की है। इन्हें एकसमान अंक मिले और उत्तर पुस्तिकाओं में इन सभी की गलतियाँ भी एक जैसी ही हैं।
धाँधली का पर्दाफ़ाश 17 फरवरी को आंसर शीट से हुआ। उम्मीदवारों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया की जाँच सीबीआई या लोकायुक्त से करवाने को लेकर जब ज़ोरदार प्रदर्शन किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जाँच के आदेश दिये, हालाँकि फ़िलहाल राज्य सरकार की एजेंसियाँ भी जाँच करेंगी।
धाँधली का खुलासा इसीलिए हो सका क्योंकि व्यापमं ने एग्रीकल्चर के सौ प्रश्नों में से अपनी उत्तर पुस्तिका में तीन प्रश्नों के गलत उत्तर दिये थे। सभी फर्ज़ी टॉपरों ने गलत विकल्प का चयन किया। इससे ऐसा प्रतीत होता है इनको परीक्षा से पहले ही प्रश्नपत्र प्राप्त हो गया था। टॉपर्स की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी उम्दा नहीं रही है।
उधर, पूर्व मंत्री बृजेन्द्र सिंह ने कहना है कि जिस कम्पनी ने इस भर्ती परीक्षा को आयोजित किया उसे 2017 में उत्तर प्रदेश में हुई सब इंस्पेक्टर परीक्षा में हुई गड़बड़ियों की वजह से ब्लैक लिस्ट किया गया था। कम्पनी पर कई राज्यों में भर्ती प्रक्रिया के आयोजन में गड़बड़ी में शामिल होने के आरोप लग चुके हैं।
ऐसे में इस तथ्य की भी जाँच होनी चाहिए कि व्यापमं ने इस कम्पनी को काम क्यों दिया और इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है? क्योंकि यदि इस पहलू की जाँच नहीं हुई तो फिर 2013 में हुए पुराने व्यापमं घोटाले की तरह इस बार भी सच्चाई सामने नहीं आएगी।
व्यापमं की ताज़ा धाँधली के बारे में कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि शिकायत है कि इसमें एक ही जगह के 10 लोगों को एक जैसे नम्बर मिले हैं। मुख्यमंत्री ने जाँच के आदेश दिये हैं और हमने भी व्यापमं के चेयरमैन को निर्देश दिये हैं कि दोषी का पता लगाकर कार्रवाई हो चाहिए।