सोयाबीन एक ऐसी फसल है जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है। यहां तक कि मांग की तुलना में इसकी आपूर्ति ही कम है। प्रोटीन से भरपूर सोयाबीन दलहन फसल होने के साथ ही इससे तेल और सोयामिल्क भी बनाया जाता है। प्रोसेसिंग के माध्यम से इससे ढेर सारे उत्पाद बनाए जाते हैं जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है, इसलिए खासतौर से शहरी लोगों के बीच इसकी मांग बहुत अधिक है। जो लोग कसरत करके अपने आपको फिट रखना चाहते हैं, वह गाय और भैंस के दूध की बजाय सोयामिल्क पीना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें फैट नहीं होता है। ऐसे में सोयामिल्क की मांग भी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। यदि आप सोयामिल्क बनाने की सोच रहे हैं तो ऑटोमेटिक सोयामिल्क प्लांट लगाकर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं।
क्या है सोयामिल्क? (What is Soymilk)
सोयाबीन को निचोड़कर उससे जो रस निकलता है, वही सोयामिल्क होता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले सोया के अच्छे दाने अलग कर लिए जाते हैं और उसे पानी में भिगो दिया जाता है। इसके बाद लिपोऑक्सीनेज और ट्रिप्सिन जैसे अवरोधकों को निष्क्रिय करने के लिए सोया मिलाए हुए पानी को आग पर पकाया जाता है। पकने के बाद यह दूध बन जाता है। वज़न घटाने में यह दूध बहुत फायदेमंद माना जाता है, तभी तो जिम और कसरत करने वाले लोग इसे पीते हैं।
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सोयामिल्क प्लांट की खासियत (Features of Soymilk Plant)
पारंपरिक तरीके से सोयामिल्क बनाने की बजाय ICAR द्वारा विकसित सोयामिल्क प्लांट का इस्तेमाल करने पर समय की बचत के साथ ही, अधिक दूध तैयार होता है। इससे मुनाफा दोगुना हो जाता है। ICAR- केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान, भोपाल ने मेसर्स रॉयल प्लांट सर्विसेज, दिल्ली के साथ मिलकर इसे बनाया है।
यह ऑटोमेटिकम मशीन एक घंटे में 100 लीटर दूध तैयार कर सकती है। सोयामिल्क प्लांट सोया की फली भरने और पिसाई करने वाली यूनिट लगी हुई है। इसके अलावा स्टोरेज टैंक और बॉयलर यूनिट है। इसमें कुकर, सेपरेटर, न्यूमेटिक टोफू प्रेस और कंट्रोल पैनल भी लगे हुए हैं। इस प्लांट के ग्राइंडिंग सिस्टम में टॉप हॉपर, फीडर कंट्रोल प्लेट, बॉटम हॉपर और ग्राइंडर लगे हुए हैं। चक्की से आने वाले सोया के मिश्रण को स्टोरेज टैंक में इकट्ठा किया जाता है, और फिर कुकर में भेज दिया जाता है, जहां वह पकता है।
सोयामिल्क प्लांट से कितना बढ़ेगा मुनाफा? (How much profit will increase from soymilk plant?)
सोया प्लांट लगाना कितन फायदेमंद हो सकता है इसका अंदाज़ा एक उद्यमी के बढ़े हुए मुनाफे से लगाया जा सकता है। रांची के कामरे इलाके के मैसर्स श्री श्याम काली एंटरप्राइज़ेस ने ऑटोमेटिक सोयामिल्क प्लांट लगवाया जिससे वह सोयामिल्क और टोफू (एक तरह का पनीर) तैयार करते हैं। हर दूसरे दिन वह 70 लीटर दूध और 10 किलो टोफू बनाते हैं।
सोयामिल्क से सालाना 3,18,500 रुपए ( तीन लाख अट्ठारह हज़ार पांच सौ रुपये ) और टोफू बनाकर उन्हें सालाना 2,73,000 रुपये (दो लाख तिहत्तर हज़ार रुपये) का शुद्ध लाभ होता है। यानी उन्हें कुल 5, 91,500 रुपये ( पांच लाख इक्यानवे हज़ार पांच सौ रुपये) का मुनाफा हुआ। इसी तरह पंजाब के होशियारपुर जिले के मैसर्स एग्रो सोया मिल्क ऑर्गेनिक प्लांट गंभाबोल ने भी यह प्लांट लगवाया। इसमें हर दूसरे दिन करीब 100 लीटर सोया दूध और 60 किलो टोफू का उत्पादन हो रहा रहा है।
इससे सालाना 13,10,400 रुपये ( तेरह लाख दस हज़ार चार सौ रुपये ) की कमाई हो रही है। ऐसे ही राजस्थान के मैसर्स मंथन सोया प्रोडक्ट्स ने यह प्लांट लगवाया है और वह हर दूसरे दिन 50 लीटर दूध और 25 किलो टोफू का उत्पादन कर रहा है। इससे सालाना 4,95,000 रुपए ( चार लाख पिछ्यानवे हज़ार रुपये ) का लाभ हो रहा है। ऑटोमेटिक सोयामिल्क प्लांट से न सिर्फ मुनाफा बढ़ रहा है, बल्कि इससे कई लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है।
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