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हेमलता और हेमलता के स्टार्टअप के बारे में जानने से पहले आइये Millets के बारे में कुछ जानें। एक वक़्त था जब भारत के हर राज्य में किसी भी वातावरण में बड़ी आसानी से कुछ अनाज उग जाया करते थे। ना इन्हें ज़्यादा पानी की ज़रूरत पड़ती और ना ही ठण्ड या धूप का कोई असर पड़ता।
साल 2023 International Year of Millets
कहीं भी आसानी से उग जाने वाला ये अनाज देश की बड़ी आबादी का मुख्य आहार था। इसे लगाना आसान तो था ही, रखरखाव और कीटनाशक की भी ज़रूरत नहीं पड़ती थी। लागत कम थी तो हर घर की थाली में ये अनाज पाया जाता था। इसीलिए इसे ग़रीबों का अनाज भी कहते थे। ये अनाज थे millets, जिन्हें आज Superfood कहा जाता है। इसी सुपरफ़ूड को एक बार फिर हर घर की थाली तक पहुंचाने के लिए सरकार ने साल 2023 को International Year of Millets घोषित किया है।
Millets में कौन से अनाज आते हैं?
Fast Food के healthy substitute के लिए मिलेट बेकरी
मार्केट में Fast Food के Healthy Substitute आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, या फिर जो विकल्प हैं वो आम आदमी की जेब पर भारी हैं। बाज़ार के इस बड़े गैप को भरने का काम किया हेमलता देशमुख ने, जो दुर्ग ज़िले की इस्पात नगरी भिलाई में मिलेट बेकरी चला रही हैं और लोगों को Fast Food के मिलेट विकल्प उपलब्ध करा रहीं हैं।
मिलेट बेकरी की शुरूआत
हेमलता की मिलेट बेकरी की शुरूआत 2023 में हुई, लेकिन रिसर्च 2014 में B.Tech agriculture के दौरान शुरू हुई। हेमलता ने अपनी thesis का subject भी मिलेट ही चुना।
हेमलता बताती हैं कि देश में मिलेट का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। रिसर्च के दौरान पता चला कि यजुर्वेद में इसका वर्णन किया गया है। MBA Agriculture में मिलेट उत्पादों के बारे में जानकारी मिली और वहीं से समझ आया कि छत्तीसगढ़ में मिलेट उत्पादों (Millets Products) का मार्केट काफ़ी बड़ा है। मार्केट में healthy substitute के इस गैप को भरने ने लिए हेमलता ने start-up का रास्ता अपनाया।
कैसे शुरू क्या मिलेट से जुड़ा व्यवसाय? जानिए प्रोसेस
Millet Bakery के लिए हेमलता ने भारत सरकार के Startup India को माध्यम बनाया। 2018 में Startup India के तहत कृषि विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) में Millet Bakery का idea submit किया। RKVY द्वारा आइडिया सेलेक्ट होने पर हेमलता को कई चरणों में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा millets, मिलेट्स उत्पादों, बेकरी के लिए मशीनरी और उसके संचालन की ट्रेनिंग दी गई।
कोई भी युवा उद्यमी जो कृषि से सम्बंधित व्यावसायिक मॉडल पर काम करना चाहता है, इस योजना का लाभ ले सकते है। RKVY की अधिक जानकारी इस लिंक के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है: rkvy.nic.in
मिलेट व्यवसाय को लेकर योजना से लाभ
आइडिया चुने जाने पर हेमलता को 2 चरणों में 5 लाख रुपये मिले। ये फंड मशीनरी के लिए मिला। Infrastructure की लागत इसमें शामिल नहीं है। अगर कुल लागत की बात करें तो 8 लाख रुपये में बेकरी बनकर तैयार हुई।
मिलेट बेकरी के लिए आवश्यक मशीनें
- अवन
- प्लैनेटरी मिक्सर
- पलवलाइज़र आटा चक्की
- मेज़रिंग मशीन
- पैकेजिंग और सीलिंग मशीन
प्रॉडक्ट के प्रोडक्शन के हिसाब से इन मशीनों के अलग अलग साइज़ मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इन मशीनों के माध्यम से हेमलता निम्न मिलेट उत्पाद तैयार करती हैं:
अंडा रहित बाजरा केक और कप केक (Eggless Millet Cake)
- रागी केक और कप
- कोदो केक और कप
- ज्वार केक और कप
- मल्टी बाजरा केक और कप
अंडा रहित कुकीज़ (Eggless Millet Cookies)
- रागी वेनिला और चॉकलेट कुकीज़
- ज्वार इलाइची कुकीज़
- कोदो जीरा अजवाइन कुकीज़
रागी पिज्जा (Millet Pizza)
- रागी माल्ट पाउडर (इलायची + चॉकलेट)
- रागी वेनिला केक प्रीमिक्स
- रागी चॉकलेट केक प्रीमिक्स
- रागी चिल्ला प्रीमिक्स
- रागी अप्पे प्रीमिक्स
- सावा फलाहारी मुरुकु
- कोदो मुरुकु
मिलेट की प्रोसेसिंग से फ़ायदा
हेमलता ने बताया कि ये उत्पाद इसलिए भी अच्छे हैं क्योंकि कई मिलेट प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनियां बाइंडिंग के लिए मैदा उपयोग करती हैं, पर हेमलता ने लगातार कई साल तक एक्सपेरिमेंट करते हुए ऐसे उत्पाद बनाये जिनमें जीरो मैदा है। इतना ही नहीं, इन प्रॉडक्ट्स की शेल्फ़ लाइफ़ भी अच्छी है। मिलेट प्रोडक्ट्स में सबसे बड़ी समस्या उनकी शेल्फ़ लाइफ़ ही है, क्योंकि ये प्रॉडक्ट जल्दी ख़राब हो जाते हैं।
इसके अलावा, हेमलता बिना प्रिज़र्वेटीव के मिलेट ब्रेड, बन, मिलेट डोसा और इडली के प्रीमिक्स पर ही काम कर रही हैं।
Millets खाने से क्या लाभ होते हैं?
दुर्ग भिलाई के कुछ डाइटीशियंस को भी वो अपने मिलेट उत्पाद सप्लाई कर रही हैं। उनमें से एक डायबिटिक पेशेंट हैं, जो अब रागी की रोटी, चीला और सांवा के बने प्रॉडक्ट्सउपयोग कर रहे हैं। इससे उनका शुगर लेवल काफ़ी कंट्रोल में है।
मिलेट्स की प्रोसेसिंग में मुनाफ़ा
हेमलता ने बताया कि स्टार्टअप के शुरूआती दिनों में काफ़ी परेशानी हुई। जितनी लागत होती थी, वो भी बड़ी मुश्किल से निकल पाती थी। छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर मिलेट उत्पाद अभी शुरू ही हुआ है। इससे पहले व्यावसायिक तौर पर उत्पादन नहीं होता था। इस वजह से कच्चे माल यानी रॉ मटेरियल की कीमत बहुत ज़्यादा होती थी। इसके अलावा, लोगों को जागरूक करना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी। अब हालात बदले हैं और उन्हें अपने प्रॉडक्ट्स पर करीब 40 फ़ीसदी तक का फ़ायदा हो रहा है।
मिलेट की खेती को प्रोत्साहन
राज्य सरकार द्वारा मिलेट की खेती को प्रोत्साहन देने के फलस्वरूप किसानों का रूझान कोदो, कुटकी और रागी की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है। राज्य में मिलेट्स उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसे राजीव गांधी किसान न्याय योजना में भी शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत मिलेट्स उत्पादक कृषकों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति एकड़ की दर से नौ हज़ार रुपये की आदान सहायता भी दी जा रही है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां कोदो, कुटकी और रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ-साथ इनके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है।
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मिलेट्स का समर्थन मूल्य
राज्य सरकार द्वारा कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य 3 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल और रागी का 3 हज़ार 377 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। पिछले सीज़न में किसानों ने समर्थन मूल्य पर 34 हज़ार 298 क्विंटल मिलेट्स, 10 करोड़ 45 लाख रुपये में बेचा था।
मिलेट्स उत्पादन को लेकर मिला राष्ट्रीय अवार्ड
छत्तीसगढ़ में मिलेट की खेती को प्रोत्साहन, किसानों को प्रशिक्षण, उच्च क्वालिटी के बीज की उपलब्धता और उत्पादकता में वृद्धि के लिए मिलेट मिशन के अंतर्गत 14 ज़िलों हेतु आइआइएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से त्रिपक्षीय अनुबंध किया गया है। इसके पीछे सोच यही है कि मिलेट की उत्पादकता को दोगुना किया जा सके। मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के कारण छत्तीसगढ़ राज्य को राष्ट्रीय स्तर का पोषक अनाज अवॉर्ड 2022 सम्मान भी मिल चुका है।
क्या हैं Millet Cafe?
स्व सहायता समूह द्वारा बनाये जा रहे मिलेट उत्पादों को आम जनता तक पहुंचाने और मिलेट के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से राज्य के कई ज़िलों में मिलेट कैफ़े खोले गए हैं।
Millet Carnival का हुआ आयोजन
राज्य में मिलेट के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए मिलेट कार्निवल का आयोजन किया गया था जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की दिलचस्पी देखी गई।
मिलेट्स में मार्केटिंग ज़रूरी
हेमलता कहती हैं कि मिलेट प्रॉडक्ट्स की मार्केटिंग ज़रूरी है। मिलेट प्रॉडक्ट्स तैयार करने वाले लोगों का एक संगठन बनाना ज़रूरी है ताकि हम सीधे सरकार से जुड़ सकें। उनका कहना है कि ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे लोग अगर सीधे तौर पर शासन से जोड़े जाएं तो millets से जुड़े हर व्यक्ति को इसका फ़ायदा होगा।