आज देश किसानों को समर्पित राष्ट्रीय किसान दिवस (National Farmers Day) मना रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं 23 दिसंबर को ही किसान दिवस (Kisan Diwas) क्यों मनाया जाता है? इस दिन 5वें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती होती है। भारतीय कृषि में उनके योगदान को सराहते हुए 2001 में इस दिन को बतौर किसान दिवस मनाने का फैसला किया गया था। किसान दिवस (Kisan Diwas 2021) के इस ख़ास दिन पर हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी प्राइवेट नौकरी छोड़, लॉकडाउन में लोगों तक ऑक्सीज़न प्लांट्स (Oxygen Plants) पहुंचाने का काम किया।
आज़मगढ़ के युवा अमित सिंह ने एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद जब एक बड़ी कंपनी में नौकरी ज्वाइन की, उस वक्त तक उन्होंने नौकरी में ही अपना भविष्य बनाने की सोची थी। उनके दिमाग में कभी ये आया नहीं था कि भविष्य में उन्हें भी अपने परिवार के बाक़ी सदस्यों की तरह कारोबारी ही बनना है। पहली ही नौकरी दिल्ली एनसीआर में मिली और इसी के दौरान उनके जिम्मे सजावटी प्लांट्स की बिक्री का भी काम आया। अमित ने देखा कि एक ख़ास वर्ग है, जिसकी दिलचस्पी अपने घरों के भीतर या बाल्कनी में या फिर छत पर अलग-अलग तरह के पौधे लगाने में काफी ज़्यादा है। प्लांट्स की सेल का डेटा देखने और खरीदारों से बातचीत में अमित के सामने ये तथ्य भी आए कि सबसे ज़्यादा मांग उन प्लांट्स की है, जो अलग हटकर हों, ख़ास हों यानी भारत में पाए जाने वाले आम पौधे न हों। इस जानकारी ने उन्हें प्लांट्स को लेकर रिसर्च की प्रेरणा दी और धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी इस क्षेत्र में बढ़ने लगी। यहीं से हुई थी उस सफर की शुरुआत, जिसने पॉट्स एंड प्लांट्स (Pots & Plants) की बुनियाद पड़ी।
पॉट्स एंड प्लांट्स यानी एक ऐसा एग्रो स्टार्टअप, (Agri Startup) जिसने बहुत कम वक्त में अपनी अलग पहचान बनाई है और डिज़िटल एग्रो बिज़नेस का एक कामयाब मॉडल बनने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाया है। अमेज़न पर बेस्ट सेलर कंपनियों में शुमार और फ्लिपकार्ट पर भी अपनी कैटेगरी की शीर्ष कंपनियों में शामिल पॉट्स एंड प्लांट्स के प्रमुख अमित सिंह से किसान ऑफ इंडिया ने EXCLUSIVE बात की।
लॉकडाउन के समय लोगों के घर तक पहुंचाए ऑक्सीज़न प्लांट्स (Oxygen Plants)
अमित सिंह ने किसान ऑफ़ इंडिया को बताया कि कोरोना आपदा के दौरान जब देश भर में लॉकडाउन था, उसी वक्त उनकी नई कंपनी ने अपनी जड़ें मज़बूत की। ये वो वक्त था, जब लोग अपने घरों में सिमटे रहने को मज़बूर थे, उन्हें ये समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। इसी दौरान लोगों में अपने घरों में, घरों की बाल्कनी में, अपनी छतों पर पौधे लगाने की दिलचस्पी तेज़ी से बढ़ी। अमित सिंह ने देखा कि लोग बाहर जाकर पौधे खरीद नहीं सकते क्योंकि लॉकडाउन में बाहर आना-जाना नहीं हो पा रहा था, ऐसे में अगर उन्हें ऑनलाइन मनपसंद पौधा उपलब्ध कराया जाए तो फिर दिक्कत नहीं होगी। किसान ऑफ़ इंडिया से बातचीत में अमित सिंह कहते हैं कि उन्होंने जब अपना काम शुरू किया था तो अचानक से लगे लॉकडाउन में वो पौधे जहां रखे थे, वहां से हटा नहीं पाए थे और ख़ासा नुकसान हुआ था, लेकिन इसी आपदा ने उन्हें फिर से पांव जमाने की ज़मीन भी मुहैया कराई और पॉट्स एंड प्लांट्स ने डिज़िटल मार्केटिंग प्लेस के रूप में इस दौरान काफी काम किया।
विदेशों से मंगाते हैं पौधे
अमित सिंह का कहना है कि भारत में स्पाइरल बैम्बू जैसे प्लांट्स की काफी मांग है, जिसे वो चीन से मंगाते हैं। इसी तरह थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका जैसे देशों से वहां उगाए जाने वाले पौधों का भी निर्यात करते हैं और फिर उन्हें भारत में जहां-जहां से मांग आती है, वहां आपूर्ति कराते हैं। अमित सिंह के मुताबिक विदेशी किस्मों के पौधों को भारतीय जलवायु के अनुकूल बनाने के लिए जो तरीके हैं, उनकी जानकारी लोगों तक पहुंचाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। लोग खरीदते वक्त तो शौक के कारण खरीद लेते हैं, लेकिन कुछ दिनों के बाद ये पौधे मुरझाने लगते हैं क्योंकि उनका रख-रखाव उस तरीके से नहीं हो पाता, जो उनकी ज़रूरत है।
अमित सिंह कहते हैं कि पौधों को बचाना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और इसलिए उनकी कंपनी पॉट्स एंड प्लांट्स इसका पूरा ख्याल रखती है कि न सिर्फ पौधों की बिक्री बल्कि उनके संरक्षण के बारे में भी उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी मुहैया कराई जाए। अमित सिंह अपने स्टार्टअप के बारे में बताते हैं कि उनका कारोबार 80 फीसदी आयातित पौधों पर निर्भर है, शेष 20 फीसदी में वो भारत में ही उगाई जाने वाली किस्मों को शामिल करते हैं।
NURSERY है सदाबहार बिज़नेस
पॉट्स एंड प्लांट्स में न सिर्फ एक्सक्लूसिव वैरायटीज़ के पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं, बल्कि इन्हें ख़ूबसूरत गमलों, फ्लास्क्स और पॉट्स में रखकर भी उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है। अमित सिंह का कहना है कि पैकेजिंग इस बिज़नेस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि डिलीवरी में कई बार ज़्यादा वक्त भी लग सकता है और ये देरी पौधों को नुकसान पहुंचा सकती है। इस समस्या को दूर करने के लिए अमित सिंह सबसे तेज़ डिलीवरी करने वाली सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, साथ ही पैकेजिंग इस तरह से की जाती है कि पौधों को उनका पोषण पैकिंग के अंदर भी मिलता रहे।
अमित सिंह का कहना है कि सांस लेने के लिए ऑक्सीज़न ज़रूरी है और ऑक्सीज़न के लिए पौधे, इसलिए ये सदाबहार बिज़नेस है और गुज़रते वक्त के साथ-साथ इसे लेकर जागरुकता भी और बढ़नी है। उन्होंने बताया कि न सिर्फ महानगरों और विकसित राज्यों बल्कि पिछले कुछ महीनों में उनके पास छोटे-छोटे शहरों से भी ख़ासी मांग आई है।
अमित सिंह की सलाह
अमित सिंह कहते हैं कि भावी पीढ़ियों में पौधों को लेकर दिलचस्पी बढ़ाने और इसे अपने कारोबार के भविष्य के रूप में भी ढालने के विज़न पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोग अपने बच्चों को जन्मदिन पर आमतौर पर ऐसे गिफ्ट देते हैं, जो कुछ ही समय के बाद बेकार हो जाते हैं। इसकी जगह पर अगर खूबसूरत पौधों को गिफ्ट के रूप में उन्हें दिया जाए तो इससे न सिर्फ बच्चों की दिलचस्पी बढ़ेगी बल्कि हेल्दी फैमिली और हेल्दी सोसायटी बनाने में भी मदद मिलेगी।
एग्रो स्टार्टअप से जुड़े नए उद्यमियों और अपना बिज़नेस शुरू करने के इच्छुक युवाओं को लेकर अमित सिंह का संदेश है कि दूसरों को देखकर अपना काम न शुरू करें, बल्कि नई सोच के साथ नया काम शुरू करें तो सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।
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