किसान ऑफ़ इंडिया पर मशरूम का पहला Digital Conclave ‘Mushgroom– मशरूम से बढ़ाएँ आय’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के तीसरे सेशन में हमने बात की मशरूम उत्पादकों से, जो मशरूम की अलग-अलग किस्मों का उत्पादन कर उनकी प्रोसेसिंग कर रहे हैं।
मैंने किसान ऑफ़ इंडिया के मशरूम के पहले Digital Conclave के तीसरे सेशन को होस्ट किया। तीसरे सेशन का विषय ‘मशरूम की किस्में, उत्पादन और प्रोसेसिंग’ से जुड़ा था। मेरा इस विषय को चुनने का सबसे बड़ा कारण था कि आमतौर पर हम सब सिर्फ़ बटन मशरूम के बारे में जानते हैं। इसका कारण भी है, क्योंकि हम ज़्यादातर मंडियों में इसी को देखते हैं और खाते भी हैं। इसीलिए मैं चाहता था कि मैं अपने सेशन के दौरान इससे जुड़ी दो चीज़ों पर बात करूं।
पहला, मशरूम की अन्य किस्में भी उपभोक्ता और उत्पादक दोनों के लिए कैसे फ़ायदेमंद साबित हो सकती हैं। दूसरा, ज़्यादातर किसान मशरूम उगा तो लेते हैं, लेकिन मंडी में अपनी उपज को बेच नहीं पाते। इसलिए उन्हें मशरूम से बने उत्पादों और इसकी प्रोसेसिंग की जानकारी देना बहुत ज़रूरी है। इसी को देखते हुए मैंने अपने सेशन में ऐसे मशरूम उत्पादकों को बुलाया जो मशरूम की अलग-अलग किस्मों की खेती कर रहे हैं। साथ ही, मशरूम की प्रोसेसिंग कर सफ़ल तरीके से उत्पाद भी बेच रहे हैं।
बिहार के संजय कुमार ने तैयार किया मशरूम के बीजों का लैब
इस सेशन में मेरे साथ जुड़े बिहार से संजय कुमार, जो ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं। वो इसके बीज लैब में तैयार करते हैं और बाकी किसानों को भी बेचते हैं। मेरी उनसे पहली मुलाकात बिहार दौरे पर हुई थी। उस वक़्त उन्होंने मुझे एक अचार खिलाया, जिसका स्वाद काफ़ी अच्छा था। मैं हैरान था कि वो मशरूम का अचार है। वो मशरूम से बने कई और प्रॉडक्ट्स तैयार करते हैं।
उत्तराखंड के कुलदीप बिष्ट किसानों को देते हैं ट्रेनिंग, तैयार करके देते हैं प्लांट्स
कॉन्क्लेव में मेरे साथ दूसरे गेस्ट उत्तराखंड से कुलदीप बिष्ट जुड़े, जो मशरूम की कई किस्में उगा रहे हैं। इन्होंने कई कमाल की तकनीकें अपनाई हैं। उनकी फ़र्म मशरूम प्लांट्स बनाने में किसानों की मदद करती है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में छोटे किसानों को नई तकनीकों से लैस मशरूम प्लांट्स तैयार करके देते हैं। कुलदीप बिष्ट कहते हैं कि एक झोपड़ी से ही किसान मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकता है। मिट्टी के घर में भी किसान मशरूम प्लांट बना सकते हैं। साथ ही कम जगह, छोटे कमरों में रैक बनाकर भी किसान मशरूम की खेती कर सकते हैं।
राजस्थान के अभय बिश्नोई का ‘सुपर मशरूम’ है हिट
कॉन्क्लेव में मेरे साथ एक और ख़ास मेहमान जुड़े। राजस्थान के अभय बिश्नोई मशरूम की एक कमाल की किस्म ‘सुपर मशरूम’ का उत्पादन कर रहे हैं। इस किस्म को कॉर्डिसेप्स मशरूम (Cordyceps Mushroom) कहते हैं। इस किस्म को उगाने के लिए उन्होंने ट्रेनिंग ली और फिर इसकी एक लैब भी बनाई। इस किस्म का बाज़ार में दाम 1 लाख रुपये से शुरू होकर 2 लाख रुपये तक मिलता है।
उत्तराखंड के वेदपाल रावत ने किसानों को उपलब्ध कराया बाज़ार
चौथे गेस्ट मेरे साथ जुड़े उत्तराखंड से वेदपाल रावत, जो ऑयस्टर मशरूम से जुड़े उत्पाद बनाते हैं। वो अपने क्षेत्र के किसानों से मशरूम की उपज खरीदते हैं। उनके उत्पाद पूरे उत्तराखंड में मशहूर हैं।
मैं आपको संक्षेप में इस सेशन में हुई बातचीत के मुख्य बिंदुओं के बारे में बताने जा रहा हूं। इसके अलावा, आप पूरी बातचीत ऊपर दिए गए वीडियो में देख सकते हैं। सेशन से जुड़ी ये रहीं महवपूर्ण जानकारियां-
- औषधीय मशरूम (Medicinal Mushroom) जैसे शिताके मशरूम, गैनोडर्मा मशरूम और कॉर्डिसेप्स मशरूम कुछ ऐसी किस्में हैं, जिन्हें बेचकर आप ज़्यादा आय अर्जित कर सकते हैं।
- कॉर्डिसेप्स मशरूम को उगाने के लिए संतुलित वातावरण की ज़रूरत होती है। यह डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है।
- मशरूम की खेती करने के लिए बांस के हट (Bamboo Hut), मड हाउस बनाकर अनुकूल वातावरण पैदा कर सकते हैं।
- उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मंडियों की कमी के कारण मशरूम की प्रोसेसिंग करके उत्पाद बनाना फ़ायदेमंद।
- ऑयस्टर मशरूम से सूखा पाउडर, अचार, कूकीज़ और अन्य उत्पाद बनाकर बेच सकते हैं।
- मशरूम उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग करना ज़रूरी है। इसके लिए आप इंस्टाग्राम, फेसबुक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा amazon, flipkart पर भी खुद को लिस्ट कर सकते हैं।
मशरूम उत्पादन, प्रोसेसिंग, बाज़ार या मशरूम से जुड़ा कोई भी अगर आपका सवाल है तो आप हमें नीचे दिए गए सम्पर्क सूत्र पर भेज सकते हैं। हम आगे भी कॉन्क्लेव का आयोजन करेंगे और आपके भेजे गए सवालों का जवाब सीधा एक्सपर्ट किसानों से जानेंगे।
सम्पर्क सूत्र: किसान साथी यदि खेती-किसानी से जुड़ी जानकारी या अनुभव हमारे साथ साझा करना चाहें तो हमें फ़ोन नम्बर 9599273766 पर कॉल करके या [email protected] पर ईमेल लिखकर या फिर अपनी बात को रिकॉर्ड करके हमें भेज सकते हैं। किसान ऑफ़ इंडिया के ज़रिये हम आपकी बात लोगों तक पहुँचाएँगे, क्योंकि हम मानते हैं कि किसान उन्नत तो देश ख़ुशहाल।