गेहूं के भूसे से इको-प्लास्टिक तैयार करके अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं किसान

गेहूं का भूसा प्लास्टिक का बेहतरीन और इको फ्रेंडली विकल्प साबित हो सकता है। इससे पराली को जलाने की समस्या का समाधान तो होगा ही, साथ ही पर्यावरण के लिहाज़ से भी ये कदम अच्छा होगा।

इको-प्लास्टिक

गेहूं के भूसे से बना उत्पाद (Wheat Straw Product): प्लास्टिक का सस्ता और टिकाऊ विकल्प ढूंढने के लिए विशेषज्ञ धान और गेहूं के भूसे (Paddy and Wheat Straw) से प्लास्टिक जैसा उत्पादन (इको-प्लास्टिक) बनाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें इसमें सफलता भी मिल चुकी है। इससे दो तरह के फ़ायदे होते हैं। एक तो खेती के अपशिष्ट का इस्तेमाल हो जाता है और दूसरा लोगों को इको फ्रेंडली प्लास्टिक (Eco Friendly Plastic Items) की चीज़ें मिल जाती हैं।

ये प्लास्टिक, फसल की कटाई के बाद खेतों में बचे अपशिष्टों से तैयार किया जाता है। ऐसे में किसानों के लिए अपशिष्ट प्रबंधन की समस्या भी खत्म हो जाती है। गेहूं के भूसे (Wheat Straw) से किस तरह प्लास्टिक तैयार होता है और इसकी क्या ख़ासियत है, जानिए इस लेख में।

गेहूं के भूसे में कुदरती पॉलीमर

गेहूं के भूसे में सेल्यूलोज नामक तत्व (Cellulose Element In Wheat Straw) होता है।  इसकी वजह से इसे दोबारा इस्तेमाल करके प्लास्टिक जैसा उत्पाद बनाया जा सकता है। साधारण प्लास्टिक कृत्रिम पॉलीमर से बनाया जाता है, जबकि गेहूं के भूसे से बने पॉलीमर (Wheat Straw Polymers) पूरी तरह से प्राकृतिक होते हैं। गेहूं के भूसे से बने प्लास्टिक से कंटेनर, स्ट्रॉ, प्लास्टिक प्लेट, कॉफी कप जैसी कई उपयोगी चीज़ें बनाई जा सकती है।

यानी ये प्लास्टिक उत्पादों का बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। अगली बार पार्टी या फंक्शन के समय आपको जब प्लेट और कप की ज़रूरत पड़े तो बाज़ार से कोशिश करें कि गेहूं के भूसे से बने इको-फ्रेंडली उत्पाद ही खरीदें।

गेहूं भूसे से कैसे बनता है प्लास्टिक (Eco-Plastic from Wheat Straw)

गेहूं की फसल में लिग्निन नामक तत्व होता है, जिसे चीनी में मिलाकर बायो-प्लास्टिक में बदला जाता है। प्लास्टिक बनाने के लिए सबसे पहले लिग्निन को तोड़ा जाता है, इसे मिट्टी में पाए जाने वाले रोडोकोकस जोस्टी नामक बैक्टीरिया से तोड़ा जाता है। ये बैक्टीरिया एसिड उत्पन्न करता है, जिससे लिग्निन कुदरती रूप से टूट जाता है। टूटने के बाद इसे चीनी के साथ मिलाकर प्लास्टिक जैसा पदार्थ बनाया जाता है। फिर इस पदार्थ से कप, प्लेट, स्ट्रॉ, स्टोरेज कंटेनर जैसी चीज़ें बनाई जाती हैं।

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गेहूं के भूसे से कागज भी बनाया जा सकता है। इसके लिए कुछ केमिकल मिलाकर पुआल को लुगदी में बदला जाता है और फिर उसे प्लेट में दबाया जाता है। प्राकृतिक प्लास्टिक बनाने के लिए सिर्फ़ गेहूं के भूसे का ही इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, बल्कि घास, पत्ते और यहां तक की लकड़ी का भी उपयोग किया जा सकता है।

गेहूं के भूसे से बने प्लास्टिक के फ़ायदे

  • ये पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल है यानि नष्ट होकर मिट्टी में मिल जाता है। पर्यावरण को किसी तरह की हानि नहीं होती है।
  • ये नवीकरणीय और टिकाऊ है।
  • ग्लूटेन मुक्त होने के साथ ही इसे साफ़ करना आसान है और इस प्लास्टिक से बने उत्पाद मज़बूत होते हैं।
  • इसे माइक्रोवेव और फ़्रीज़र में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इसमें किसी तरह की गंध नहीं होती और फफूंदी भी नहीं लगती।
  • इसमें 100 डिग्री सेल्सियस तक के गर्म तरल पदार्थ रखे जा सकते हैं।
  • ये यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के दिशा-निर्देशों का पालन करता है।
  • गेहूं के भूसे से प्लास्टिक बनाने में कम एनर्जी लगती है, जबकि कृत्रिम प्लास्टिक के उत्पादन में अधिक ऊर्जा की खपत होती है। कार्बनडाई ऑक्साइड का भी उत्सर्जन ज़्यादा होता है, जो पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है।
  • इससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। गेहूं के भूसे से उत्पाद बनाकर वह बाज़ार में बेच सकते हैं।
  • किसानों को अपशिष्ट प्रबंधन नहीं करना पड़ेगा और पुआल जलाने से होने वाला वायु प्रदूषण भी कम हो जाएगा।
  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक की तरह इसका एक ही बार इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्लास्टिक की वजह से पर्यावरण को जिस तरह से भारी क्षति पहुंच रही है इसे देखते हुए इस तरह के इको फ्रेंडली उत्पाद (Eco Friendly Products) बनाने और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की ज़रूरत है।

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